Rajasthan

बेहद चमत्कारिक है भगवान नरसिंह की यह प्रतिमा, राजा को पूजा के बाद मिल गया था खोया हुआ राज्य

सचिन शर्मा/ धौलपुर. वैसे धौलपुर नगरी में काफी प्राचीन और ऐतिहासिक मंदिर हैं, जिनकी ख्याति दूर-दूर तक फैली हुई है. इनमें कई मंदिर काफी चमत्कारिक हैं, जहां दर्शन मात्र से ही भक्तों की इच्छा पूर्ण हो जाती है. ऐसा ही एक मंदिर है धौलपुर शहर में स्थित भगवान नरसिंह का मंदिर. इस मंदिर की स्थापना रियासतकाल में हुई थी. इस मंदिर की स्थापना के पीछे की कहानी भी काफी रोचक है.

कहा जाता है कि एक बार गोहद के महाराजा और ग्वालियर के सिंधियों के मध्य युद्ध हुआ था और गोहद पर सिंधियों का राज स्थापित हो गया. उस दौरान गोहद के महाराजा कीरत सिंह को जंगलों में भटकना पड़ा और उनका राज्य छीन गया.भगवान नृसिंह मंदिर के पुजारी रविंद्र श्रुति बताते हैं कि जब राजा कीरत सिंह जंगलों में भटक रहे थे तो उस समय उन्हें कई साधु-संत मिले. इन संतों ने उनको एक शिलाग्राम के रूप में भगवान नरसिंह की एक मूर्ति दी और कहा अगर भगवान नरसिंह की लगातार 6 महीने पूजा कर लेंगे तो आपको कहीं ना कहीं का राज मिल जाएगा. महाराज कीरत सिंह ने जैसा साधुओं ने कहा वैसा ही किया.

फिर मिली धौलपुर की रियासत
मंदिर के पुजारी ने बताया कि इसके बाद तत्कालीन अंग्रेज वायसराय ने महाराजा कीरत सिंह को धौलपुर का परगना दे दिया और अंग्रेज वायसराय ने महाराजा कीरत सिंह को धौलपुर का राजा घोषित कर दिया. धौलपुर के शेरगढ़ के किले में महाराज कीरत सिंह ने अपने राज्याभिषेक से पहले भगवान नरसिंह का राज्याभिषेक करवाया और धौलपुर के राजा के रूप में भगवान नरसिंह की नियुक्ति की गई और खुद दीवान बन गए.

विदेशी कार में भगवान करते थे नगर भ्रमण
मंदिर के महंत बताते हैं कि जब कहीं दरबार लगता था तो भगवान का राज सिंहासन सबसे ऊंचा होता था और महाराज कीरत सिंह उनके पैरों के नीचे बैठा करते थे. महाराजा उदयभान सिंह ने अपने राज के दौरान भगवान नरसिंह के लिए मेड इन जर्मनी की सबसे महंगी कार खरीदी थी. इसी कार से भगवान की प्रतिमा को नगर भ्रमण कराया जाता था.

नरसिंह स्टेट रखा नाम
धौलपुर महाराजाओं ने कुछ समय के लिए धौलपुर का नाम भी नृसिंह स्टेट रख दिया था. महाराजाओं ने अपनी सेना का नाम भी नृसिंह इन्फेंट्री रख दिया और अपने राज पत्रों और रियासत के झंडों पर भी भगवान नरसिंह की फोटो लगा दी थी. महंत रविंद्रश्रुति बताते हैं कि यहां पर नरसिंह भगवान का विशाल विग्रह रूप नहीं है. शालिग्राम के रूप में भगवान नृसिंह यहां स्थापित हैं, जिनके दर्शन मात्र से मनोकामना पूर्ण होती है.

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