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Maha Shivratri 2024 rare coincidence on Mahashivratri After three centuries shiv puja between purva bhadrapad revati nakshatra worship fast will give 5 times punya fal | Maha Shivratri : तीन शताब्दी बाद महाशिवरात्रि पर बन रहा ऐसा दुर्लभ संयोग, पूजा-व्रत से मिलेगा 5 गुना अधिक फल

इस लिहाज से इस बार आने वाली 8 मार्च को महाशिवरात्रि विशेष रूप से पूजनीय है। इसी दौरान साधक उपासक आराधक यथा श्रद्धा भक्ति अपने व्रत उपवास को वैदिक पौराणिक नियमों के अनुसार पूरा करेंग, क्योंकि योगों की यह स्थिति बार-बार नहीं बनती।

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तीन शताब्दी में एक या दो बार ही बनते हैं ये योग

ज्योतिषाचार्य पं. अमर डब्बावाला के अनुसार ग्रह-गोचर की गणना अनुसार देखें तो इस बार महाशिवरात्रि पर कुंभ राशि में सूर्य, शनि, बुध की युति रहेगी। क्योंकि कुंभ राशि का अधिपति शनि है और बुध उसका मित्र है। वहीं सूर्य इनके पिता हैं, तो पिता-पुत्र के संयुक्त अनुक्रम में यह एक प्रकार का विशेष योग बन रहा है। इस प्रकार के योग तीन शताब्दी में एक या दो बार बनते हैं, जब नक्षत्र, योग और ग्रहों की स्थिति केंद्र त्रिकोण से संबंध रखती हैं।

ज्योतिषाचार्य के अनुसार ऐसी स्थिति में या योग में विशेष साधना विशेष फल प्रदान करती है। जैसा कि सूर्य को आध्यात्म का कारक और शनि को दर्शन तथा तीर्थ एवं धर्म के प्रति सद्भावना रखने का कारक माना गया है। इस दृष्टि से धर्म आध्यात्मिक संस्कृति का संपूर्ण विश्व में विशेष स्थान बढ़ेगा। लोगों की धार्मिकता बढ़ेगी, आध्यात्मिकता बढ़ेगी। वहीं तीन शताब्दी बाद महाशिवरात्रि सर्वार्थसिद्धि योग में मनेगी।
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महाशिव की कृपा पाने का खास दिन

वर्षभर में आने वाली 12 शिवरात्रियों में यह शिवरात्रि खास होती है, फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी से युक्त यह शिवरात्रि महाशिवरात्रि की श्रेणी में आती है। इस दिन भगवान शिव की विशेष रूप से पूजन करनी चाहिए पूजन परंपरा में षोडशोपचार या पंचोपचार पूजन पंचाम्रताभिषेक अष्टाध्यायी रद्र, लघु रुद्र, महारुद्र आदि के माध्यम से भगवान शिव को प्रसन्न किया जा सकता है, वहीं अलग-अलग प्रकार से संकल्प युक्त होकर विशेष पूजन करने से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है।

इस नक्षत्र में पूजा विशेष

पंचांग की गणना के अनुसार देखें तो नक्षत्र का अपना विशेष प्रभाव होता है, जब किसी विशेष नक्षत्र में कोई विशेष त्यौहार आता है, तो उसका फल भी उतना ही प्राप्त होता है। क्योंकि इस बार महाशिवरात्रि पर श्रवण नक्षत्र है और पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र की भी स्थिति मध्य रात्रि में रहेगी। यह पंचक का नक्षत्र है, ऐसी मान्यता है कि पूर्वाभाद्र से लेकर के रेवती नक्षत्र के मध्य यदि कोई विशेष त्यौहार आता है तो ऐसी स्थिति में त्यौहार का अधिष्ठाता देवता की विशेष आराधना 5 गुना शुभ फल प्रदान करती है। इस दृष्टि को वैदिक रूप से मान्यता मिलती है, इस कारण इस दौरान विशेष पूजन करनी चाहिए जिसका फल 5 गुना प्राप्त हो सके।

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