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Mahashivratri 2025 Snan Daan Puja Vidhi conjunction of three planets is forming on mahashivratri get desired results by bathing and donating

Agency: Rajasthan

Last Updated:February 13, 2025, 12:32 IST

Mahashivratri 2025 Snan Daan Puja Vidhi: 60 साल बाद फिर महाशिवरात्रि पर तीन ग्रहों की युति बनी है. इससे पहले 1965 में यह योग बना था, तब सूर्य, बुध और शनि कुंभ राशि में गोचर कर रहे थे. इस महाशिवरात्रि 26 फरवरी क…और पढ़ें60 साल बाद महाशिवरात्रि पर बन रहा यह अनोखा योग, इस उपाय से मिलेगा मनचाहा फल

हरणी महादेव मंदिर

हाइलाइट्स

60 साल बाद महाशिवरात्रि पर तीन ग्रहों की युति बनी है.26 फरवरी को महाशिवरात्रि पर विशेष योग बनेगा.चार प्रहर की पूजा से धन, यश, प्रतिष्ठा और समृद्धि प्राप्त होती है.

भीलवाड़ा. हिंदू कैलेंडर के अनुसार साल का आखिरी महीना फाल्गुन 13 फरवरी से शुरू हो गया है. हिंदू धर्म में फाल्गुन का विशेष महत्व है. फाल्गुन को भी माघ मास की तरह शुभ माना जाता है और इस माह में स्नान और दान करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है. इस महीने भगवान शंकर के अलावा माता सीता, श्रीकृष्ण, मां लक्ष्मी और चंद्र देव की पूजा करने का विधान है. फाल्गुन मास का आरंभ 13 फरवरी से होगा और समाप्ति 14 मार्च को धुलंडी के साथ होगी.

फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि 26 फरवरी को महाशिवरात्रि मनाई जाएगी. इस दिन शिवजी और माता पार्वती का विवाह हुआ था. चतुर्दशी तिथि की शुरुआत 26 फरवरी सुबह 11:08 बजे होगी. समापन 27 फरवरी सुबह 8:54 बजे होगा. महाशिवरात्रि पर निशा काल में शिवजी की पूजा की जाती है. शहर के प्रमुख धार्मिक स्थल हरणी महादेव में तीन दिवसीय मेला भी भरता है.

60  साल बाद बन रहा है विशेष योग

पंडित अशोक व्यास ने बताया कि ग्रह योग की विशिष्ट स्थिति इससे पहले साल 1965 में बनी थी. करीब 60 साल बाद फिर महाशिवरात्रि पर तीन ग्रहों की युति बनी है. वर्ष 1965 में जब महाशिवरात्रि आई थी. तब सूर्य, बुध और शनि कुंभ राशि में गोचर कर रहे थे. इस महाशिवरात्रि 26 फरवरी को भी मकर राशि के चंद्रमा की उपस्थिति में यही तीन ग्रह युति बनाएंगे. सूर्य और शनि पिता-पुत्र हैं और सूर्य शनि की राशि कुंभ में रहेंगे. यह एक विशिष्ट संयोग है.

आराधना का भी है विशेष महत्व

पंडित अशोक व्यास ने बताया कि फाल्गुन मास में भगवान शिव की उपासना करना फलदायी माना गया है. इस महीने का महत्व इससे भी अधिक है, क्योंकि इस महीने में ही भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह महाशिवरात्रि के दिन हुआ था. शिवरात्रि को सुबह से शहर के शिवालयों में शिव भक्तों की भीड़ उमड़ेगी और दिनभर पूजन कार्यक्रम होगा. कई लोग इस दिन अपने घरों में भी रुद्राभिषेक करवाते हैं. पंडित अशोक व्यास के अनुसार महाशिवरात्रि के काल में चारों प्रहर की पूजा का महत्व है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, चार प्रहर की साधना से धन, यश, प्रतिष्ठा और समृद्धि प्राप्त होती है.

चार प्रहर पूजा की टाइमिंग

प्रथम प्रहर – शाम 6:19 से रात 9:30 बजे तक

द्वितीय प्रहर – रात 9:30 से मध्यरात्रि 12:35 बजे तक

तृतीय प्रहर – मध्यरात्रि 12:35 से 27 फरवरी अल सुबह 3:41 बजे तक

चतुर्थ प्रहर – 27 फरवरी अलसुबह 3:41 से सुबह 6:45 बजे तक


Location :

Bhilwara,Rajasthan

First Published :

February 13, 2025, 12:02 IST

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60 साल बाद महाशिवरात्रि पर बन रहा यह अनोखा योग, इस उपाय से मिलेगा मनचाहा फल

Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी, राशि-धर्म और शास्त्रों के आधार पर ज्योतिषाचार्य और आचार्यों से बात करके लिखी गई है. किसी भी घटना-दुर्घटना या लाभ-हानि महज संयोग है. ज्योतिषाचार्यों की जानकारी सर्वहित में है. बताई गई किसी भी बात का Local-18 व्यक्तिगत समर्थन नहीं करता है.

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