Rajasthan

Women Equality Necessary – पीहर कहे पराई बाई है, ससुराल कहे पराई जाई है…कहां है समानता

समानता का मतलब व्यक्तिगत तौर पर अवसरों में बराबरी और सामाजिक तौर पर सभी को एक समान दृष्टि से देखना है। मोटे तौर पर कह सकते हैं कि किसी भी विशेषाधिकार का न होना समानता है।

पोकरण की लॉ स्टूडेंट भावना रंगा हमारे समाज में महिलाओं की समानता को लेकर कहती हैं कि असमानता की शुरुआत संकुचित सोच से होती है। पीहर कहे पराई बाई है ससुराल कहता है पराई जाई है, जबकि लड़की दोनों घरों को समान मानती है, लेकिन उसे समानता दोनों ही घरों में नहीं मिलती है।
समानता का मतलब व्यक्तिगत तौर पर अवसरों में बराबरी और सामाजिक तौर पर सभी को एक समान दृष्टि से देखना है। मोटे तौर पर कह सकते हैं कि किसी भी विशेषाधिकार का न होना समानता है। वे कहती हैं कि जेंडर बजटिंग और सामाजिक सुधारों के एकीकृत प्रयास से ही भारत को लैंगिक असमानता के बंधनों से मुक्त किया जा सकता है। उनका मानना है कि लैंगिक समानता ही महिला सशक्तीकरण के लिए काफी नहीं है। जब तक अवसरों और महिला के महत्व को नहीं समझा जाएगा, उसे वह सम्मान प्राप्त नहीं होगा, तब तक वह सशक्त नहीं हो पाएगी।
शादी के मामले में ही महिला व पुरुष की आयु में भेद है, इसलिए भी महिलाएं अपने भविष्य और करियर के बारे में नहीं सोच पाती हैं। असमानता शुरू तब होती है, जब कहते है घर का काम लड़के नही करते है और लडकियों को समझाया जाता है कि कैसे तुमको एडजस्ट करना है।





Source link

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button

Uh oh. Looks like you're using an ad blocker.

We charge advertisers instead of our audience. Please whitelist our site to show your support for Nirala Samaj