कैसे गणगौर होती है तैयार, बीकानेर में ये परिवार 10 पीढ़ियों से कर रहा काम, जानें इस मथेरन कला के बारे में

Last Updated:March 09, 2025, 11:57 IST
गणगौर का त्योहार राजस्थान में बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है. इस त्योहार के लिए बीकानेर में बनने वाली गणगौर की चर्चा भारत में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी होती है. बीकानेर में गणगौर बनाने का काम एक परिवार की …और पढ़ेंX
तैयार होती गणगौर
हाइलाइट्स
बीकानेर की गणगौर की विदेशों में भी डिमांड हैमथेरन कला से गणगौर को सजाया जाता हैबीकानेर में 10 पीढ़ियों से गणगौर बनाई जा रही है
बीकानेर:- राजस्थान में गणगौर का त्योहार बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है. ऐसे में गणगौर हो और बीकानेर की बात न हो, ऐसा हो नहीं सकता है. बीकानेर की गणगौर पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है. यहां सबसे ज्यादा गणगौर तैयार की जाती है, और देश और विदेशों में भेजी जाती है. ऐसे में बीकानेर के गणगौर की डिमांड देश और विदेशों में रहती है. यहां गणगौर पर चित्रकारी करके यानी पूरी तरह गणगौर को तैयार करने को मथेरन कला कहते है. बीकानेर की मथेरन कला पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है. बता दें, बीकानेर में छोटी सी गली है, जिसे मथेरन गली बोलते है. इसमें 6 से 7 परिवार के लोग इस कला को आगे बढ़ाने का काम कर रहे हैं. यह उनका पुस्तैनी काम चलता आ रहा है. करीब 10वीं पीढ़ी उनकी इस काम में लगी हुई है और इस कला के माध्यम से घर का लालन पालन चल रहा है.
विदेशों में भेजी जाती हैं गणगौरइस बारे में आर्टिस्ट ज्योति जैन ने बताया, कि जब राव बीकाजी जोधपुर से बीकानेर आए थे, तब उनके साथ जैन चित्रकार भी आए थे. यह जैन चित्रकार भित्ति कला करते थे. धीरे-धीरे यह कला लकड़ियों पर बनने लगी. जिसे मथेरन कला के नाम से जाना जाने लगा. इस कला में जन्म से लेकर मृत्यु तक के चित्र बनाए जाते हैं. यह कला बीकानेर की सबसे प्रसिद्ध कला है. जिसके कारण यह कला पूरी दुनिया में प्रसिद्ध हुई. देश और विदेश में जहां-जहां मारवाड़ी परिवार रहते हैं, वहां यह गणगौर जाती है. यहां के कलाकार इस गणगौर को विदेशों में भी भेजते है.
साल भर तक गणगौर बनाने का काम चलतावे आगे बताती हैं, कि गणगौर का सीजन तो 15 दिन का होता है, लेकिन गणगौर को बनाना और उनके ऊपर कारीगरी करना तथा कपड़े पहनाना तो पूरे सालभर तक चलता रहता है. करीब चैत्र मास में गणगौर का सीजन शुरू होता है, जो आखातीज तक रहता है. छह महीने सिर्फ घरों में गणगौर पर काम चलता रहता है.
आगे वे बताती हैं, कि हर साल 25 से 30 हजार गणगौर तैयार करके बेच देते हैं. गणगौर को लकड़ी से आकार देने के बाद इनके कलर, कपड़े सहित अन्य चीजों को तैयार करते हैं. 650 रुपए में एक गणगौर और ईशर जी का जोड़ा मिलता है. अब बाजार में नई- नई चीजें आने लगी हैं, तो उनके अनुसार कीमतों में इजाफा होता रहता है. आगे वे बताती हैं, कि अभी भारत के कई कोनों से बड़े-बड़े ऑर्डर मिल चुके है. यहां जयपुर, जोधपुर, कोटा और कोलकाता से भी ऑर्डर आए हुए हैं. सारी चीजों को मिलाकर एक गणगौर पर 100 से 150 रुपए बचते है.
1 महीने में करीब 150 गणगौर तैयार होते हैंज्योति ने बताया कि एक गणगौर को साधारण लकड़ी से आकार मिलने के बाद इनके कलर और कपड़े सहित कई चीजें तैयार करने में करीब 10 दिन का समय लगता है. एक महीने में करीब 100 से 150 गणगौर पूरी तरह से तैयार करके बेचते है.
Location :
Bikaner,Rajasthan
First Published :
March 09, 2025, 11:57 IST
homerajasthan
बीकानेर में कैसे बनाता है ये परिवार गणगौर, जानें इस मथेरल कला के बारे में