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आर्थराइटिस में रामबाण है योग, एम्स की स्‍टडी में खुलासा, जानें कौन सी योग क्रियाएं हैं फायदेमंद

हाइलाइट्स

रूमेटाइड अर्थराइटिस सिर्फ बुजुर्गों ही नहीं बल्कि युवाओं को भी हो रही है.
इस बीमारी में जोड़ों में दर्द, सूजन और जकड़न की समस्‍या होती है.

Which yoga is best for arthritis: रूमेटाइड अर्थराइ‍टिस यानि गठिया की बीमारी सिर्फ बुजुर्गों को ही नहीं बल्कि युवाओं को भी चपेट में ले रही है. अब किसी भी उम्र में हो रही जोड़ों में दर्द की शिकायत होने के साथ-साथ ये बीमारी हड्डियों, आंखों और त्‍वचा को भी नुकसान पहुंचा रही है. इसके लिए लंबे समय तक इलाज की जरूरत पड़ती है लेकिन इस बीमारी को लेकर एक अच्‍छी खबर भी सामने आई है. दिल्‍ली के ऑल इंडिया इंस्‍टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज में हुए रिसर्च में योग को रूमेटाइड अर्थराइ‍टिस पर काफी कारगर पाया गया है.

गठिया जैसी बीमारी पर योग पद्धति से इलाज को लेकर अब मॉडर्न साइंस ने भी मुहर लगा दी है. हाल ही में एम्‍स दिल्‍ली के एनाटॉमी विभाग की ओर से की गई इस स्‍टडी में पाया गया है कि रूमेटाइड अर्थराइ‍टिस से जूझ रहे लोगों में 8 हफ्ते तक लगातार योग करने के बाद जबर्दस्‍त सुधार देखा गया है.

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इस स्‍टडी की प्रिंसिपल इन्‍वेस्टिगेटर एम्‍स के डिपार्टमेंट ऑफ एनाटॉमी की प्रोफसर उमा कुमार और प्रोफेसर रीमा दादा बताती हैं कि यह एक ऑटो इम्‍यून बीमारी है, जिसमें शरीर की इम्‍यूनिटी यानि रोग प्रतिरोधक क्षमता शरीर में बीमारी से लड़ने वाली स्‍वस्‍थ कोशिकाओं को ही नुकसान पहुंचाने लगती है. इससे जोड़ों में दर्द के साथ ही मसल्‍स में जकड़न होने लगती है.

प्रो. उमा कहती हैं कि कोरोना के बाद से रूमेटाइड अर्थराइ‍टिस के केसेज काफी देखे गए हैं. कई मरीजों में कोई भी वैक्‍सीन लेने के बाद गठिया की बीमारी पाई गई है. यह बीमारी इतनी खतरनाक हो जाती है कि इसका असर फेफड़ों, आंखों, किडनी और शरीर के अन्‍य सभी अंगों पर भी पड़ता है. इसके लिए मेडिकेशन जरूरी है लेकिन रिसर्च में देखा गया है कि अगर मेडिकेशन के साथ योग भी किया जा रहा है तो इसका परिणाम बेहद अच्‍छा है.

ये योग क्रियाएं हैं कारगर
प्रो. रीमा दादा बताती हैं कि 25 से 55 साल की उम्र के 105 लोगों पर की गई स्‍टडी में देखा गया है कि रूमेटाइड अर्थराइ‍टिस में योग, योगासन, प्राणायाम और ध्‍यान से मरीजों में इन्‍फ्लेमेशन की समस्‍या काफी कम हुई. इतना ही नहीं योग से इम्‍यून सेल्‍स की एजिंग को घटाने में भी मदद मिली.

डॉ. दादा कहती हैं कि स्‍टडी के दौरान गठिया के मरीजों को दो हिस्‍सों में बांटा गया. जिनमें से एक हिस्‍से को मेडिकेशन के साथ ही योग की क्रियाएं कराई गईं. शुरुआत में मरीजों को सूक्ष्‍म व्‍यायाम कराए गए. इसके बाद कुछ सरल आसन, सूर्य नमस्‍कार और नाड़ी शोधन प्राणायाम जैसे अनुलोम विलोग, कपालभाति, भस्त्रिका, भ्रामरी आदि का अभ्‍यास कराया गया. इससे मरीजों में इन्‍फ्लेमेशन कम हुआ.

हालांकि यहां ध्‍यान देने वाली बात ये है कि सभी मरीजों को योगासन, प्राणायाम और ध्‍यान जरूर कराए गए लेकिन उनकी हेल्‍थ के अनुसार ही इसका निर्धारण किया गया. मान लीजिए किसी को बीपी की समस्‍या थी तो उसे कपालभाति नहीं कराया गया.

आहार पर भी दिया गया ध्‍यान
डॉ. रीमा और उमा कहती हैं कि योग थेरेपी के दौरान सिर्फ योगासनों पर ही ध्‍यान नहीं दिया गया बल्कि मरीजों की डाइट को भी ठीक किया गया. रूमेटाइड अर्थराइ‍टिस के मरीज योग करते हैं तो उन्‍हें प्‍लांट बेस्‍ड फूड्स ज्‍यादा खाने चाहिए. स्‍मोकिंग और चीनी से बने पदार्थों को अवॉइड करना होगा. रिफाइंड और पैकेज्‍ड फूड भी न खाएं. इसलिए योग के दौरान सोच, विचार और आहार तीनों को ही ठीक करना होता है.

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