Minority Organizations Angry Over Low Representation In Cabinet – मंत्रिमंडल में अल्पसंख्यकों को कम प्रतिनिधित्वः विधायकों ने दिखाए तीखे तेवर, संगठन भी हुए नाराज

-अल्पसंख्यक वर्ग से जुड़े सामाजिक संगठनों में भी सरकार के खिलाफ नाराजगी,अल्पसंख्यक वर्ग से जुड़े संगठनों का दावा, विधानसभा और लोकसभा में 100 फ़ीसदी वोटिंग के बावजूद कांग्रेस कर रही है अल्पसंख्यक वर्ग की अनदेखी, एक या 2 दिन में अल्पसंख्यक वर्ग से जुड़े संगठनों की होगी बड़ी बैठक

जयपुर। प्रदेश में मंत्रिमंडल पुनर्गठन में अल्पसंख्यक वर्ग को कम प्रतिनिधित्व मिलने पर अल्पसंख्यक विधायकों के साथ-साथ अल्पसंख्यक वर्ग से जुड़े संगठनों में भी सत्ता और संगठन के खिलाफ नाराजगी बढ़ती जा रही है।
मंत्रिमंडल में कम स्थान मिलने पर जहां कांग्रेस से जुड़े अल्पसंख्यक विधायकों ने तीखे तेवर दिखाए हैं तो वही सामाजिक संगठन भी आप खुलकर मैदान में आने लगे अल्पसंख्यक वर्ग से जुड़े संगठनों का दावा है कि विधानसभा लोकसभा चुनाव में सौ फीसदी वोटिंग के बावजूद मंत्रिमंडल में अल्पसंख्यक वर्ग की उपेक्षा की गई है। मंत्रिमंडल में जहां पहले एक ही अल्पसंख्यक मंत्री था तो अब 2 हो गए हैं जबकि मंत्रिमंडल में कम से कम तीन मंत्री होने चाहिए।
अल्पसंख्यक विधायकों ने दिखाए तीखे तेवर
इधर मंत्रिमंडल पुनर्गठन में अल्पसंख्यक वर्ग को कम प्रतिनिधित्व ने विधायकों ने तीखे तेवर दिखाए थे। कांग्रेस विधायक सफिया जुबेर, वाजिब अली और राज्यमंत्री बनाई गई जाहिदा खान ने भी इसे लेकर नाराजगी जाहिर की थी। सफिया जुबेर और वाजिब अली ने ने तो यहां तक कह दिया कि विधानसभा चुनाव में अल्पसंख्यक मतदाता सौ फीसदी कांग्रेस पक्ष में मतदान करता है उसके बावजूद भी उनकी अनदेखी की गई है।
उन्होंने यह भी कहा कि कैबिनेट में एक मंत्री का पद और जो विभाग मिला वह भी किसी काम का नहीं है। जाहिदा खान ने भी शपथ लेने से पूर्व कहा था कि अल्पसंख्यक वर्ग को मंत्रिमंडल में उचित प्रतिनिधित्व नहीं मिला है मंत्रिमंडल में कम से कम 3 अल्पसंख्यक चेहरे होने चाहिए थे।
जट-सिख समुदाय को भी नहीं मिला प्रतिनिधि
इधर मंत्रिमंडल में जट-सिख समुदाय को भी मंत्रिमंडल में स्थान नहीं मिल पाया है, जिससे उनमें भी नाराजगी बढ़ती जा रही है। गंगानगर से करणपुर से विधायक गुरमीत सिंह कुन्नर का नाम मंत्रिमंडल में तय माना जा रहा था लेकिन उन्हें भी मंत्री पद में शामिल नहीं किया गया।
एक-दो दिन में हो सकती बड़ी बैठक
इधर अल्पसंख्यक वर्ग से जुड़े सामाजिक संगठनों ने भी अब सत्ता व संगठन के खिलाफ ताल ठोक ठोक दी है। अल्पसंख्यक संगठनों में इसे लेकर रोष है और माना जा रहा है कि 1 या 2 दिन में बड़ी बैठक हो सकती है जिसमें सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलने की रणनीति बनेगी।
भारी पड़ सकती है नाराजगी
इधर पहले नगर निगम चुनाव और अब मंत्रिमंडल पनर्गठन में उचित प्रतिनिधित्व नहीं मिलने पर अल्पसंख्यक वर्ग में बढ़ी नाराजगी कांग्रेस को भारी पड़ सकती है। चूंकि जिस इस लिहाज से एआईएमआईएम पार्टी के चीफ असदुद्दीन ओवैसी अल्पसंख्यक वर्ग में घुसपैठ के प्रयास कर रहे हैं उससे माना जा रहा है कि कांग्रेस से नाराज अल्पसंख्यक मतदाता विधानसभा चुनाव में ओवैसी के पाले में जा सकता है, जिससे विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को बड़ा खामियाजा भुगतना पड़ सकता है।