miraculous neem tree – हिंदी

करौली. राजस्थान के करौली में इन दिनों एक नीम का पेड़ चर्चा का विषय बन गया है. करौली से लगभग 25 किलोमीटर की दूरी पर स्थित भांकरी गांव में यह पेड़ लोगों के लिए एक तरह से चमत्कारी पेड़ बना हुआ है. इस पेड़ को देखने के लिए दूरदराज के लोग बड़ी संख्या में भांकरी गांव पहुंच रहे हैं. इस पेड़ का चर्चा में आने का कारण आपको हैरानी में भी डाल सकता है. इस चमत्कारी नीम के पेड़ से लगभग 2 महीने से एक दूध जैसा पदार्थ लगातार निकल रहा है. यह दूध जैसा तरल पदार्थ नीम के इस पेड़ के एक तने से बड़ी मात्रा में खुद ही निकल रहा है.
चमत्कारी नीम देखने के लिए उमड़ी भीड़ गांव के लोग इस पेड़ और इससे निकलने वाले दूध जैसे लिक्विड पदार्थ को लेकर कई तरह के दावे भी कर रहे हैं. गांव के अधिकांश लोगों का कहना है कि इस तरल पदार्थ को पीते ही उनकी कई बीमारी ठीक हो रही है. दर्जनों लोग इस नीम के पेड़ से निकलने वाले इस दूध जैसे तरल पदार्थ अब तक पी चुके हैं. देखने वालों की बात करें तो इस पेड़ को देखने के लिए हमेशा ही भांकरी गांव के एक घर में भीड़ लगी ही रहती है. इस पेड़ को आसपास के गांवों से देखने आए लोग भी चमत्कारी नीम कह रहे हैं. और इससे निकलने वाले दूध जैसे पदार्थ को भी अपने साथ लेकर भी जा रहे हैं.
2 महीने से टपक रहा है यह पदार्थ गांव के जिस घर में यह पेड़ लगा हुआ है, उस घर के सदस्य भगवान सिंह मीणा ने लोकल 18 को बताया कि लगभग 2 महीने से यह पदार्थ हमारे आंगन में लगे नीम के पेड़ से टपक रहा है. इसी वजह से लोग इस पेड़ को देखने के लिए आ रहे हैं. मीणा का कहना है इस पेड़ से निकलने वाले पदार्थ को कई लोग पीकर और कई लोग घर लेकर जा रहे हैं.लगभग 25 साल पुराना है यह पेड़ भांकरी गांव के स्थानीय निवासी राजेश शर्मा का कहना है कि इस नीम के पेड़ से दूध जैसा पदार्थ लगभग डेढ़ से दो महीनों से निकल रहा है. दूर-दूर से लोग इस पेड़ को देखने के लिए हमारे गांव में आ रहे हैं. शर्मा का कहना है कि बहुत से लोग इस लिक्विड को बोतल में भरकर भी अपने साथ लेकर जा रहे हैं. वह बताते हैं कि यह पेड़ लगभग 25 साल पुराना है. और इसमें से यह तरल पदार्थ भी ऑटोमेटिक निकल रहा है.
लोगों की मिट रही है बीमारीस्थानीय निवासी राजेश शर्मा ने लोकल 18 से खास बातचीत में बताया कि हमारे गांव के विशेषकर इस नीम के पेड़ से यह लिक्विड पदार्थ कुदरती ही बड़ी मात्रा में निकल रहा है. रोजाना इस लिक्विड से कम से कम 3 से 4 बाल्टी दिनभर में भर जाती हैं. शर्मा का कहना है कि जो लोग इस लिक्विड को पी रहे हैं और इसे लेकर जा रहे हैं उनका दावा है कि इसे पीते ही उनकी कई तरह की बीमारी ठीक हो रही है.
एक्सपर्ट ने बताया इसका वैज्ञानिक कारण राजकीय महाविद्यालय करौली के वनस्पति शास्त्र के प्रोफेसर डॉ. सीताराम खंडेलवाल ने बताया कि यह घटना पूरी तरह से वैज्ञानिक है. कई बार पौधों में छोटे कीटों या एफिड्स (aphids) के संक्रमण के कारण फ्लोएम ऊतक प्रभावित हो जाते हैं. इसके परिणामस्वरूप फ्लोएम में उपस्थित तरल पदार्थ बाहर निकलने लगता है. इसे ‘नीम टोडी’ कहा जाता है.
त्वचा रोग और बुखार में एंटीबायोटिक की तरह करता है काम डॉ. खंडेलवाल के अनुसार, इस द्रव्य में एजेडिरेकटिन (Azadirachtin) नामक रसायन पाया जाता है, जो त्वचा रोग और बुखार में एंटीबायोटिक की तरह काम करता है. हालांकि, यह प्रक्रिया दुर्लभ होती है और सामान्य रूप से कम देखी जाती है.
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FIRST PUBLISHED : January 2, 2025, 21:19 IST