क्या मस्का बंद रंगे सियार साबित हुए हैं मोदी जी ?
दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश में चुनाव सम्पन्न हो गए,परिणाम सामने आए, मोदी के अबकी बार,भाजपा 400 पार के जुमले का नकार दिया गया यानि स्टेपनी पंचर हो गई , जो परिणाम सामने आए उसमें मोदी की निराशा अप्रत्यक्ष रूप से साफ तौर पर उनके कार्यकर्ताओं को दिए पहले भाषण में झलकी। मोदी है तो मुमकिन है। उनका जादुई करिश्मा कुछ भी दिखा सकता है लेकिन इस बार मोदी जी के विश्वास पर कुठाराघात जनता जर्नादन ने कर दिया। मोदी अब भाजपा का नाम लेने के बजाय हैट्रीक करते हुए प्रधानमंत्री के रूप में अपने आप को स्थापित करने के लिए एनडीए की जीत बताने लग गए। यानि मोदी जी के भाषण ने स्पष्ट कर दिया कि समय के अनुरूप भाजपा अपना चरित्र भी बदल सकती है। मोदी का चेहरा भाजपा बन गई लेकिन जो जनादेश सामने आया उसने साबित कर दिया कि मोदी विगत 10 साल में मस्का बंद के रूप में रंगे सियार साबित हुए है महज पद लोलुपता के चलते येनकेन सत्ता का केन्द्र बिन्दु बने रहना चाहते है। फैजाबाद लोकसभा क्षेत्र ने साबित कर दिया कि हर हर मोदी घर घर मोदी और मोदी है तो मुमकिन है जैसे नारों से पब्लिक को नहीं लुभाया जा सकता है। गौरतलब है कि राम मंदिर अयोध्या फैजाबाद में ही आता है और वहा का जनादेश भाजपा और एनडीए के खिलाफ गया है।
कौन होगा प्रधान मंत्री? इसका फैसला भाजपा खाते में कल नागपुर मुख्यालय पर होने वाली बैठक के बाद खुलासा होगा वहीं एनडीए से हटकर बात करी जाए तो इंडिया गठबंधन में यह फैसला भी आने वाले कल पर ही छाेड़ दिया है। राजनीति की न तो कोई चाल होती है और न ही कोई चरित्र। अभी तक तो एनडीए के घटक दल मोदी के साथ की बात कर रहे हैं। अभी सरकार भी एनडीए की ही बन रही है। नागपुर आरएसएस मुख्यालय से भी शत प्रतिशत मोदी को तीसरे कार्यकाल के लिए हरी झंडी मिल जाएगी लेकिन घटक दल की बैसाखियों के सहारे क्या भाजपा पांच साल केन्द्र में बनी रहेगी इस पर संशय हर दिन बरकरार रहेगा।
अब भाजपा में चुनाव परिणाम आने के साथ अंदरूनी जंग छिड गई है। क्योंकि गांधी परिवार को लेकर कोसने वाली भाजपा में कई ऐसे नेता है जिनकी नजर प्रधानमंत्री की कुर्सी पर है और वो नहीं चाहते कि मोदी तीसरी बार प्रधानमंत्री बने। उम्रदराज अनुभवी भाजपा नेता अब तोड़ बट्टा करके इस कुर्सी को हथियाना चाहते है लेकिन उनकी मजबूरी यह है कि भाजपा के पास सरकार बनाने के लिए पूर्ण बहुमत का अभाव है, और इस दशा में एनडीए के दो घटक दल इस बार 18वीं लोकसभा के लिए किंगमेकर साबित होगें यह किसी से छुपा नहीं है। अब इन घटक दलों का रूख फिलहाल भाजपा की ओर झलक रहा है लेकिन कल क्या हो जाए यह खबर किसे है?
देश के शीर्ष व्यावसायिक घरानों की 18वीं लोकसभा के गठन के साथ कोन बनेगा प्रधानमंत्री इसमें महत्वपूर्ण भूमिका रहेगी यह भी किसी से छुपा नहीं है। अब सत्ता किस के हाथ रहेगी और किसके हाथ से खिसकेगी यह तो सत्ता के गलियारों में चालू हो गई शतरंज की चालों के आने वाले परिणामों से ही पता चलेगा लेकिन यह तय हो चुका है कि मोदी का जादू न तो विधानसभा चुनावों में चला और न ही लोकसभा चुनावों में चला। उदाहरण के तौर पर देखा जाए तो राजस्थान के विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव इस बात के परिणाम है। पूर्व विधानसभा चुनावों में पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को चेहरा बनाकर जो चुनाव लड़े गए मोदी उसका रिकार्ड भी मोदी नहीं तोड़ पाए। मोदी के चेहरे पर लड़ा गए विधानसभा चुनाव 2023 में भाजपा को मात्र 115 सीट ही हासिल कर पाई। अगर कांग्रेस में पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत बनाम सचिन पायलट न रहा होता तो मोदी यह सीट भी नहीं जीत पाते। लोकसभा चुनाव के परिणामों ने भी जाहिर कर दिया कि राजस्थान में जनादेश अंधभक्त के रूप में नहीं है। कांग्रेस ने 10 साल बाद अपना खाता ऐसे हालात में खोला जब भाजपा मोदी के चेहरे पर 400 पार की हवा लोगों के दिल दिमाग में भर रही थी।
राजस्थान में भाजपा मुख्यालय पर इतना जोश नहीं दिखा जितना जोश 10 साल बाद कांग्रेस मुख्यालय पर देखने को मिला। हालात ऐसे है कि परिणाम से मोदी ही निराश नहीं है बल्कि भाजपा भी उम्मीद विपरित परिणाम आने से स्तम्भ है और भाजपा का अंतिम निर्णय कल होने वाली आरएसएस पर निर्भर है,लेकिन कुल मिलाकर विपक्ष की नजरों में देश को मस्का लगाने वाले मोदी देश की जनता के लिए इन लोकसभा चुनावों में मस्का बंद रंगा सियार साबित कर दिया हैं।
- प्रेम शर्मा