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monsoon-2022-skymet-weather-prediction-monsoon-to-be-normal | Monsoon Forecast 2022:: झूमकर आएगा 2022 का मानसून,औसत से अधिक बरसेंगे बदरा

Monsoon 2022: स्काईमेट ने इस साल मौसम का पूर्वानुमान जारी किया है। साल 2022 में मानसून (Monsoon Update) किस राज्य में कैसा रहेगा। आइए आपको इस बारे में बताते हैं.

जयपुर

Published: April 12, 2022 10:45:47 pm

जयपुर गर्मी के बीच मानसून के मौसम का पूर्वानुमान आ गया है। मानसूनी मौसम को लेकर निजी एजेंसी स्काईमेट ने कहा है कि इस बार मानसून रहने वाला है। मानसून में जून से सितंबर के बीच 880.6 मिमी वर्षा होती है। ऐसे में 2022 में इसी मात्रा का 98 फीसदी बारिश होने की संभावना है। स्काईमेट ने कहा है कि अनुमान में पांच फीसदी का अंतर हो सकता है। गौरतलब है कि 96 से 104 फीसदी की बारिश को सामान्य बारिश कहा जाता है।
मानसून के चार माह के दौरान औसत 880.6 मिलीमीटर बारिश होती है। इसे मौसम विज्ञान की भाषा में जिसे लंबी अवधि औसत (LPA) कहा जाता हैं। इस दौरान अगर 880.6 मिलीमीटर की बारिश हो जाती है तो उसे 100 फीसदी माना जाता है। 2021 में स्काईमेट ने 907 मिलीमीटर बारिश होने की संभावना जताई थी। इस बार यह 862.9 मिलीमीटर बता रहा है। यह अनुमान अगर सही साबित होता है तो भारत में लगातार चौथा साल होगा कि जब सावन झूमकर आएगा।

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खाद्यान्न कोटरे में सबसे ज्यादा पानी
देश में फूड बाउल की हैसियत रखने वाले मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश, पंजाब और हरियाणा में सामान्य से अधिक बारिश की संभावना है। गुजरात में सामान्य से कम बारिश होने का अनुमान है।

राजस्थान रहेगा सूखा
स्काईमेट का अनुमान है कि राजस्थान में औसत से कम बारिश होगी। इसके साथ ही देश के पूर्वोत्तर क्षेत्र नागालैंड, मणिपुर, मिजोरम और त्रिपुरा में पूरे सीजन में बारिश कम होगी। केरल और कनार्टक को भी कम पानी
केरल और कर्नाटक में जुलाई-अगस्त के दौरान कम बारिश का अनुमान है। स्काईमेट ने हालांकि बारिश के पहले सीजन के तुलना में आगे के सीजन को बेहतर बताया है। जून में मानसून की सबसे बेहतर शुरूआत रहेगी।

इस बार मौसम नहीं बिगाड़ेगा अलनीनो
मानसून को लेकर इस बार खास बात है कि इस बार ला नीना का असर नहीं रहेगा। इससे पहले सर्दियों के मौसम में ला नीना तेजी से घटा था लेकिन पूर्वी हवाओं ने इसे रोक दिया है। प्रशांत महासागर की ला—नीना दक्षिण-पश्चिम मानसून की शुरुआत से पहले तक प्रबल होने की संभावना है। ऐसे में मानसून बिगाड़ने वाले अलनीनो की संभावना नहीं है।

बीकर से नापते हैं बारिश
बारिश नापने का एक ही तरीका है। इसे 1662 में क्रिस्टोफर व्रेन ने ब्रिटेन में बनाया था। इसे रेन गेज कहते हैं। यह बीकर या फिर ट्यूब के आकार का होता है। इसमें स्केल बनी रहती है। इस पर एक कप की तरह फनल होती है। इसी में बारिश का पानी एकत्र होकर नीचे आता है। फिर इसे ही नाप कर बताया जाता है कि कितनी बारिश हुई है।

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Anand Mani Tripathi

आनंद मणि त्रिपाठी राजस्थान पत्रिका में राजनीति, अपराध, विदेश, रक्षा एवं सामरिक मामलों के पत्रकार हैं। पत्रकारिता के तीनों माध्यम प्रिंट, टीवी और आनलाइन में गहरा और अपनी तेज तर्रार रिपोर्टिंग के लिए जाने जाते हैं। पश्चिम बंगाल के कलकत्ता में जन्म हुआ। प्रारंभिक शिक्षा उत्तर प्रदेश के कानपुर और बस्ती में हुई। माध्यमिक शिक्षा नवोदय विद्यालय बस्ती, फैजाबाद और पूर्वोत्तर त्रिपुरा के धलाई जिले में हुई। अयोध्या के साकेत महाविद्यालय से स्नातक और 2009 में जेआईआईएमसी,दिल्ली से पत्रकारिता का डिप्लोमा किया।
हरियाणा से पत्रकारिता आरंभ की। शिक्षा, विज्ञान, मौसम, रेलवे, प्रशासन, कृषि विभाग और मंत्रालय की रिपोर्टिंग की। इंवेस्टिगेटिव रिपोर्टिंग से शिक्षा और रेलवे विभाग के कई भ्रष्टाचार का खुलासा किया। रक्षा मंत्रालय के रक्षा संवाददाता पाठयक्रम-2016 पूरा किया। इसके बाद रक्षा मामलों की पत्रकारिता शुरू कर दी। चीन, पाकिस्तान और कश्मीर मामलों पर तीक्ष्ण नजर रहती है।
लेफ्टिनेंट उमर फैयाज की हत्या 2017, राइफलमैन औरंगजेब की हत्या 2018, जम्मू—कश्मीर में बदले 2018 में बदले राजनीतिक समीकरण, पुलवामा हमला 2019, कश्मीर से 370 का हटना, गलवान घाटी मुठभेड़ 2020 को बेहद करीब से जम्मू और कश्मीर में रहकर ही कवर किया। कोरोना काल 2020 में भी लददाख से नेपाल तक की यात्रा चीन के बदलते समीकरण को लेकर की।
इसके साथ ही लोकसभा चुनाव 2019 में जम्मू कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा और पंजाब की रिपोर्टिंग की। 9 नवंबर 2019 को श्रीराम जन्म भूमि अयोध्या मामले में आए फैसले की अयोध्या से कवर किया। 2022 उत्तरप्रदेश् चुनाव को सहारनपुर से सोनभद्र तक मोटर साइकिल के माध्यम से कवर किया। पत्रकारिता से इतर आनंद मणि त्रिपाठी को संगीत और पर्यटन का जबरदस्त शौक है। इन्हें किसी भी कार्य में असंभव शब्द न प्रयोग करने के लिए जाना जाता है…

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