फ्रिज से भी अधिक ठंडा पानी, बिजली और बिल दोनों का झंझट खत्म, सेहत भी रहेगी एकदम चकाचक

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मिट्टी के घड़े बनाने वाले कारीगर बताते हैं कि खेतों से लाई गई हुई चिकनी मिट्टी से कुम्हार कारीगर के ‘चाक’ में आकार देकर बनाए जाने वाले घड़े, कुछ दिनों तक सूखने के लिए रखे जाते हैं और फिर उन्हें तेज आग (अग्नि) में पकाया जाता है. कुछ दिनों तक इसके बाद मिट्टी के घड़े को पूर्ण रूप देने के लिए उन पर सौंदर्य रूप देने के लिए रंगीन रंगों से चित्रकारी भी की जाती है, मुख्य रूप से लाल कलर से, कुल मिलाकर एक साथ अनेक घड़े को बनाने के लिए कारीगर को 10 से 15 दिन का समय लगता है. चिकनी मिट्टी से बनने वाले घड़े गर्मियों के मौसम में काफी ठंडे रहते हैं और राजस्थान के लोगों के लिए एक प्रकार से पानी का फ्रिज साबित होते हैं, और इनमें गर्मियों के मौसम में बार-बार हवा लगने से ठंडा पानी रहता है, जिसे पीकर लोग अपनी प्यास बुझाते हैं. गर्मियों के मौसम में इस घड़े मूल्य 80 से 200 रुपए तक रहता है.