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लोकल 18 धरोहर सीरीज: बागोर की हवेली, उदयपुर की शाही विरासत की अनमोल पहचान

Last Updated:May 11, 2025, 19:48 IST

Historical Monument: 18वीं शताब्दी में मेवाड़ रियासत के प्रधानमंत्री अमरचंद बडवा ने करवाया था. हवेली की संरचना में मेवाड़ी स्थापत्य कला की छाप साफ दिखाई देती है, जिसमें नक्काशीदार खिड़कियां, सुंदर झरोखे, रंगीन …और पढ़ेंX
बागौर
बागौर की हवेली 

हाइलाइट्स

बागोर की हवेली उदयपुर की ऐतिहासिक धरोहरहवेली में मेवाड़ी स्थापत्य कला की मिलती है झलकयहां हर शाम आयोजित होता है ‘धरोहर नृत्य कार्यक्रम’

उदयपुर. झीलों की नगरी उदयपुर अपनी प्राकृतिक सुंदरता और ऐतिहासिक धरोहरों के लिए मशहूर है.  लोकल 18 की ‘धरोहर’ सीरीज में आज हम आपको उदयपुर की एक खास ऐतिहासिक हवेली के बारे में बताएंगे, जिसका नाम है बागोर की हवेली. पिछोला झील के किनारे स्थित यह हवेली उदयपुर की सबसे भव्य और ऐतिहासिक इमारतों में से एक मानी जाती है. इसका निर्माण 18वीं शताब्दी में मेवाड़ रियासत के प्रधानमंत्री अमरचंद बडवा ने करवाया था.

संग्रहालय और सांस्कृतिक केंद्र के रूप में किया गया विकसितहवेली की संरचना में मेवाड़ी स्थापत्य कला की झलक साफ दिखाई देती है, जिसमें नक्काशीदार खिड़कियां, सुंदर झरोखे, रंगीन कांच और भव्य आंगन शामिल हैं. बागोर की हवेली को बाद में मेवाड़ शाही परिवार ने अपने कब्जे में ले लिया और यह राजघराने के उपयोग में भी रही. वर्तमान में इस हवेली को संग्रहालय और सांस्कृतिक केंद्र के रूप में विकसित किया गया है, जहां पर्यटक मेवाड़ी संस्कृति की झलक देख सकते हैं.

मेवाड़ी त्योहारों और परंपराओं का जीवंत चित्रणहवेली में मौजूद संग्रहालय में पारंपरिक राजस्थानी वस्त्र, आभूषण, बर्तन, पेंटिंग्स और लोक जीवन से जुड़ी अनेक वस्तुएं प्रदर्शित की गई हैं. यहां का प्रमुख आकर्षण ‘धोली गवरी’ और ‘गणगौर’ से संबंधित प्रदर्शनी है, जो मेवाड़ी त्योहारों और परंपराओं का जीवंत चित्रण करती हैं. हर शाम को यहां आयोजित होने वाला ‘धरोहर नृत्य कार्यक्रम’ पर्यटकों के बीच खासा लोकप्रिय है, जिसमें पारंपरिक राजस्थानी लोकनृत्य जैसे घूमर, भवाई और कालबेलिया प्रस्तुत किए जाते हैं. यह नृत्य कार्यक्रम बागोर की हवेली के खुले प्रांगण में झील के किनारे होने के कारण और भी रमणीय अनुभव प्रदान करता है.

मेवाड़ की कला, संस्कृति और गौरवशाली परंपराओं की जीवित मिसालबागोर की हवेली केवल एक ऐतिहासिक इमारत नहीं, बल्कि यह मेवाड़ की कला, संस्कृति और गौरवशाली परंपराओं की जीवित मिसाल है. अगर आप उदयपुर आएं, तो इस हवेली की भव्यता को न देखना आपकी यात्रा को अधूरा कर देगा.

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उदयपुर की शान बागोर की हवेली, झील किनारे खड़ी मेवाड़ी विरासत की अनमोल तस्वीर

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