Nagaur Chunav Result: नागौर में फिर आए हनुमान, क्या बीजेपी और कांग्रेस के लिए जरुरी हो गए बेनीवाल?

जयपुर. नागौर लोकसभा सीट से एक बार फिर से आरएलपी सुप्रीमो हनुमान बेनीवाल ने जीत का परचम लहरा दिया है. हनुमान बेनीवाल लगातार दूसरी बार यहां से लोकसभा के सांसद चुने गए हैं. बेनीवाल ने सासंद का पहला चुनाव साल 2014 में निर्दलीय लड़ा था लेकिन हार गए थे. उसके बाद साल 2019 में उनकी पार्टी एनडीए में शामिल हो गई थी. वे बतौर एनडीए प्रत्याशी चुनाव जीते. राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी इस बार इंडिया गठबंधन का हिस्सा बनी और हनुमान उसके प्रत्याशी. इस बार वे लगातार दूसरी बार सांसद बने हैं.
चुनाव जीतकर हनुमान बेनीवाल ने ये भी जता दिया कि वे नागौर की राजनीति का आज के समय के बेहद अहम किरदार हैं. फिर चाहे बीजेपी या कांग्रेस दोनों को उनकी जरुरत है. राजस्थान के नागौर से ही दशकों पहले पंचायती राज शुरुआत हुई थी. नागौर की राजनीति में नाथूराम मिर्धा परिवार की दशकों तक तूती बोलती रही है. किसी समय नागौर में कांग्रेस का मतलब ही नाथूराम मिर्धा हुआ करते थे. लेकिन समय की धारा के साथ यह बात धुंधली पड़ती गई और विरासत की जंग में मिर्धा परिवार की पकड़ कमजोर होती गई.
बेनीवाल 2008 में पहली बार विधायक बने थेउसके बाद हनुमान बेनीवाल ने नागौर की राजनीति में कदम तो फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा. नागौर के खींवसर इलाके के हनुमान बेनीवाल ने राजस्थान विश्वविद्यालय छात्रसंघ के अध्यक्ष बनकर अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की. छात्रसंघ चुनाव के बाद राजनीति की मुख्यधारा में आने के लिए हनुमान बेनीवाल ने अपने गृहक्षेत्र को खींवसर (तत्कालीन मूंडवा सीट) को चुना. विधानसभा चुनाव 2003 में वे पहली बार निर्दलीय के तौर विधानसभा चुनाव में उतरे लेकिन हार गए. उसके बाद वे बीजेपी में शामिल हो गए और 2008 में चुनाव जीतकर पहली विधानसभा पहुंचे.
हमेशा चर्चाओं में रहते हैं बेनीवालअपनी बात बेबाकी से कहने के लिए चर्चित हनुमान बेनीवाल की बीजेपी की दिग्गज नेता वसुंधरा राजे से नहीं बनी. इस पर उन्होंने बीजेपी छोड़ दी. बाद में 2013 में निर्दलीय चुनाव जीतकर फिर विधानसभा पहुंचे. उसके बाद 2014 में पहली बार निर्दलीय सांसद का चुनाव लड़ा लेकिन हार गए. जिद और जुनून के पक्के बेनीवाल ने विधानसभा चुनाव 2018 से पहले अपनी पार्टी बना ली. नाम रखा राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी. इसके जरिये राजस्थान में तीसरा मोर्चा बनाने का प्रयास किया लेकिन सफल नहीं हुए.
बेनीवाल ने एडीए से तोड़ लिया था नाताइस समय तक बेनीवाल नागौर की राजनीति में इतने गहरे तक पांव जमा चुके थे इससे बीजेपी और कांग्रेस दोनों को उनके साथ की जरुरत पड़ने लगी. हालांकि साल 2014 में बीजेपी के सीआर चौधरी मोदी लहर में वहां से सांसद बन गए थे. लेकिन बाद में बीजेपी को वहां जमीनी हालात ठीक नहीं लगे. इस पर साल 2019 बीजेपी ने आरएलपी को एनडीए में शामिल कर हनुमान को मैदान में उतार दिया. हनुमान ने नाथूराम मिर्धा की पौत्री ज्योति मिर्धा को हरा दिया. लेकिन किसानों के मुद्दे पर फिर बेनीवाल ने एनडीए से नाता तोड़ लिया.
बेनीवाल अब इंडिया गठबंधन से चुनाव जीतेइस बार बीजेपी ने ज्योति मिर्धा को अपने खेमे में मिला लिया और उनको नागौर से प्रत्यााशी बना दिया. दूसरी तरफ अपने खोए हुए गढ़ को फिर से जीतने के लिए कांग्रेस ने हनुमान को इंडिया गठबंधन में बुला लिया और उनको चुनाव मैदान में उतार दिया. परिणाम फिर हनुमान के पक्ष में गया. हनुमान के बिना लड़ने वाली बीजेपी के हाथ से दस साल बाद उसकी यह सीट निकल गई. हनुमान ने यहां ज्योति मिर्धा को 42225 वोटों के अंतर से हरा दिया. आज हनुमान इस मुकाम पर पहुंच गए हैं कि बीजेपी हो या फिर कांग्रेस दोनों को अगर जीत चाहिए तो उनके लिए हनुमान का साथ जरुरी हो गया है. ये हम नहीं बल्कि वहां के राजनीतिक समीकरण बता रहे हैं.
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FIRST PUBLISHED : June 5, 2024, 11:43 IST