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नागौर: राजस्थान के नागौर जिले में आज भी कई गांव ऐसे हैं जो कुएं, बावड़ी और तालाबों पर निर्भर हैं. नागौर के कई जिलों में पानी आज भी एक बड़ी समस्या है. सैकड़ों साल पहले बने तालाब और कुएं आज भी यहां जिंदा हैं. आज हम आपको एक ऐसे ही तालाब के बारे में बताएंगे, जो 800 साल बाद भी लोगों को पानी मुहैया करा रहा है. बता दें कि यहां ब्लैक, सफेद, पीली, गुगली और पाली बतखें भी पाई जाती हैं, जो तालाब की सुंदरता को बढ़ाती हैं. इसे गांव का ऑक्सीजन हब माना जाता है, क्योंकि इसके आसपास हजारों पेड़ हैं.
गिरावंडी तालाब का इतिहासजोरावर पुरा गांव में बना गिरावंडी तालाब, यह एक ऐसा तालाब है जो आज तक कभी खाली नहीं हुआ. यह तालाब 800 साल पुराना बताया जाता है. इसका निर्माण खींवसर के ठाकुर ने करवाया था. यह तालाब शुद्ध पानी और पांच तरह की बत्तखों के लिए जाना जाता है. तालाब की लंबाई और चौड़ाई की बात करें तो इस तालाब में 52 बीघा पानी भरा हुआ है. वहीं, ग्रामीण सीताराम ने बताया कि इस तालाब में 500 बीघा क्षेत्र से पानी आता है. इसकी गहराई करीब 40 फीट है. इस तालाब को गिरावंडी के नाम से जाना जाता है. पांच तरह की बत्तखें बढ़ाती हैं तालाब की खूबसूरती
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यह तालाब अपने शुद्ध पानी, लंबाई और चौड़ाई के लिए जाना जाता है, लेकिन तालाब की खूबसूरती बढ़ाने के लिए इस तालाब में पांच तरह की बत्तखें देखने को मिलती हैं. बत्तखों की बात करें तो काली, सफेद, पीली (हल्दी रंग की), गुगली (हल्का भूरा) और पॉली बत्तखें देखने को मिलती हैं. नागौर के इस तालाब में ये पांच तरह की बत्तखें देखने को मिलती हैं. इस तालाब को गांव का ऑक्सीजन हब भी माना जाता है. क्योंकि इस तालाब के आसपास हजारों पेड़ लगे हुए हैं जो पर्यावरण को शुद्ध करने का काम करते हैं.
लोगों का गला सूखने नहीं देता यह तालाब800 साल पुराना यह तालाब आज तक कभी सूखा नहीं है. यह सैकड़ों सालों से लोगों की प्यास बुझा रहा है. इसकी ख्याति पूरे राजस्थान में फैली हुई है. इसकी शुद्धता के कारण आस-पास के कई गांव इससे पानी लेते हैं. गांव वालों का कहना है कि इस तालाब के पानी के सामने फिल्टर किया हुआ पानी भी कुछ नहीं है. इसका पानी मीठा होने के साथ-साथ कई बीमारियों को भी दूर करता है. गौरतलब है कि यह तालाब 800 साल से सूखा नहीं है, जो इसे अनोखा बनाता है.
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FIRST PUBLISHED : October 24, 2024, 14:08 IST