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Navratri 2024: राजस्थान के इस मंदिर में गिरे थे माता सती के होंठ, सबसे ऊंची पहाड़ी पर विराजमान हैं मां कात्यायनी , नवरात्रि में लगती है भीड़

सिरोही: देशभर में गुरुवार से शारदीय नवरात्रि की शुरुआत हो गई है.नवरात्रि में शक्ति की भक्ति का विशेष महत्व माना जाता है.आज हम आपको एक ऐसे देवी मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जो राजस्थान की सबसे ऊंची पहाड़ी पर गुफा के अंदर बना हुआ है.यहां दुर्गा के छठे रूप मां कात्यायनी की गुप्त स्वरूप में पूजा होती है. हम बात कर रहे हैं माउंट आबू के अधर देवी मंदिर की.अधर देवी या अर्बुदा देवी के नाम से प्रसिद्ध इस मंदिर के प्रति देशभर से आने वाले भक्तों में गहरी आस्था है.

अर्बुदा देवी मंदिर, माउंट आबू अर्बुदा देवी को कात्यायनी माता का स्वरूप माना जाता है. मंदिर का नाम अधर देवी पड़ने के पीछे एक मान्यता है कि यहां माता सती के अधर (होंठ) गिरे थे. इस मंदिर का गुजरात के शक्तिपीठ अम्बाजी से संबंध है. स्कंद पुराण के अनुसार, माता इस गुफा में छठे स्वरूप कात्यायनी के रूप में विराजमान हैं. मंदिर की स्थापना करीब पांच हजार वर्ष पूर्व होने का बताया जाता है.नवरात्रि में यहां दूरदराज से भक्त दर्शन करने आते हैं.

350 सीढ़ियां चढ़कर पहुंचते हैं भक्त भक्त निखिल बंजारा ने बताया कि आधार देवी उनकी कुलदेवी हैं.माउंट आबू आने वाले भक्त यहां 350 सीढ़ियां चढ़कर मंदिर तक पहुंचते हैं. मंदिर में प्रवेश करते ही विशाल पहाड़ी में बनी गुफा में प्रवेश के लिए झुककर जाना पड़ता है, जहां भक्त माता के दर्शन करते हैं.पास में ही एक प्राचीन बावड़ी बनी हुई है, जिसे ‘दूध बावड़ी’ कहा जाता है.परमार राजपूतों की कुलदेवी अर्बुदा देवी का अक्षय तृतीया को वार्षिकोत्सव मनाया जाता है.यहां पर साल के चार नवरात्रों में अखंड चंडी पाठ, नवचंडी यज्ञ और चैत्रीय पूनम पर ध्वजादंड कार्यक्रम आयोजित होते हैं.

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बासकली राक्षस का किया था वध  मंदिर के पास ही अर्बुदा देवी की चरण पादुका मंदिर है.यहां माता की चरण पादुकाओं की पूजा-अर्चना की जाती है.इन चरण पादुकाओं को लेकर एक पौराणिक कथा भी प्रसिद्ध है.इसके अनुसार, बासकली नामक दानव ने कई वर्षों तक तपस्या कर भगवान शिव से अजय होने का वरदान प्राप्त किया था.वरदान मिलने के बाद राक्षस ने देवलोक में देवताओं को परेशान करना शुरू कर दिया.उसके उत्पात से दुखी देवताओं ने मां अर्बुदा देवी को प्रसन्न करने के लिए तपस्या की.जिसके बाद मां प्रकट हुईं और बासकली राक्षस को अपने चरणों के नीचे दबाकर उसका संहार कर दिया.तब से यहां उनकी चरण पादुकाओं की पूजा की जाती है.

Tags: Hindu Temple, Local18, Navratri Celebration

FIRST PUBLISHED : October 4, 2024, 11:41 IST

Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी, राशि-धर्म और शास्त्रों के आधार पर ज्योतिषाचार्य और आचार्यों से बात करके लिखी गई है. किसी भी घटना-दुर्घटना या लाभ-हानि महज संयोग है. ज्योतिषाचार्यों की जानकारी सर्वहित में है. बताई गई किसी भी बात का Local-18 व्यक्तिगत समर्थन नहीं करता है.

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