Navratri 2024: राजपरिवार की कुलदेवी हैं ये माता, अष्टमी के दिन महाराज करते थे पूजन, साल में दो बार लगता है भव्य मेला
भरतपुर:- भरतपुर के झील बाड़ा स्थित कैलादेवी मंदिर का धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व पूरे क्षेत्र में विशेष रूप से प्रसिद्ध है. यह मंदिर भरतपुर के पूर्व राजपरिवार की कुलदेवी के रूप में पूजित है और इसे करौली के प्रसिद्ध कैलादेवी मंदिर के समान ही श्रद्धा और आस्था का केंद्र माना जाता है. मान्यता है कि देवी कैलादेवी और महालक्ष्मी जी द्वापर युग से यहां विराजमान हैं. धार्मिक कथाओं के अनुसार, देवी ने इस स्थान पर कलासुर नामक राक्षस का वध करने के लिए अवतार लिया था, जिससे यह स्थल अत्यधिक पूजनीय है.
अष्टमी के दिन आते थे महाराजमंदिर का वर्तमान स्वरूप भरतपुर रियासत की महारानी गिर्राज कौर द्वारा 1923 में जीर्णोद्धार के बाद उभरा. इसी साल देवी की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा की गई, जिसके बाद से यह मंदिर राजपरिवार की धार्मिक गतिविधियों और आस्था का मुख्य केंद्र बना रहा. भरतपुर के राजा महाराजा बृजेंद्र सिंह, विशेष रूप से अष्टमी के दिन यहां पूजा-अर्चना करने आते थे. वह पीताम्बरी वस्त्र धारण कर देवी की आराधना करते और विशेष स्नान के बाद मंदिर में आरती में शामिल होते थे. इस अवसर पर कलाकारों द्वारा मंदिर प्रांगण में नाच-गाने की प्रस्तुति दी जाती थी, जिसमें महाराज की ओर से कलाकारों को पुरस्कार भी प्रदान किए जाते थे.
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ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्वकहा जाता है कि महाराजा बृजेंद्र सिंह ने अपने जन्मदिन 12 अप्रैल 1924 को मंदिर के सामने स्थित रवि कुंड का निर्माण करवाया था. यह कुंड आज भी श्रद्धालुओं और पर्यटकों के लिए एक प्रमुख आकर्षण का केंद्र बना हुआ है. यह स्थल न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि इसके साथ जुड़े ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व ने इसे और भी प्रतिष्ठित बना दिया है. मंदिर में प्रतिवर्ष चैत्र और शारदीय नवरात्रि के अवसर पर दो बड़े मेलों का आयोजन होता है, जो लगभग 15 दिनों तक चलते हैं. इन मेलों में लाखों की संख्या में श्रद्धालु हिस्सा लेते हैं, जो विवाह की जात लगाने, बच्चों के मुंडन कराने और अन्य धार्मिक अनुष्ठानों के लिए यहां आते हैं. इन मेलों में श्रद्धालुओं की अपार भीड़ उमड़ती है, जो मंदिर की आस्था और महत्व को और भी बढ़ा देती है.
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FIRST PUBLISHED : October 11, 2024, 18:26 IST