होलिका की मौत के बाद भी अमर हो गई प्रेम कहानी, जानें लोकदेवता इलोजी की लव स्टोरी का पूरा सच

पाली. राजस्थान के कई शहरों और गांवों में आज भी लोकदेवता इलोजी की पूजा की जाती है. इलोजी, हिरण्यकश्यप की बहन होलिका से प्रेम करते थे और शादी के बंधन में बंधने ही वाले थे. शादी से ठीक पहले ही होलिका का आग में जलने से निधन हो गया. होलिका की मौत के बाद इलोजी की प्रेम कहानी अधूरी रही. हालांकि इलोजी ने फिर कभी शादी नहीं की और प्रेम कहानी अमर हो गई. इतना ही नहीं राजस्थान के कई क्षेत्रों में आज भी इलोजी की पूजा होती है. कई जगहों पर महिलाएं बेटे की कामना को इलोदी के लिंग की पूजा करती हैं. इतना ही नहीं इलोजी को मजाकिया और छेड़छाड़ के अनोखे लोकदेवता माना जाता है. इलोजी के यहां कई मंदिर पर भी पाए जाते हैं.
यह है पूरी प्रेम कहानी
बता दें कि होलिका दहन की कहानी किसी से छिपी नहीं है. हिरण्यकश्यप की बहन होलिका ने अपने भाई के आदेशानुसार उनके पुत्र प्रहलाद को जलाने के लिए गोद में लेकर आग में बैठ गईं थीं. होलिका को आग में जलने का वरदान था. इसके बाद भी होलिका आग में जल गईं थीं. वहीं प्रभु की कृपा से प्रहलाद की जान बच गई थी. वहीं होलिका से प्यार करने और शादी करने वाले इलोजी का प्रेम शादी से पहले ही अमर हो गया. इलोजी ने फिर होलिका की याद में कभी शादी नहीं की. इतना ही नहीं इलोजी आज भी दूल्हे के पहनावे में ही पाए जाते हैं. उनके कई मंदिरों में उनकी मूर्ती में गले में फूलों का हार डला रहता है. चमकीली आंखों वाले इलोजी के सिर पर साफा बंधा रहता है जिसमें कलंगी जरूर लगी होती है. इलोजी के हाथ-पैर भी कंगनों से भरे रहते हैं.
व्यापार में बढ़ोत्तरी के लिए भी होती है पूजा…
राजस्थान में इलोजी को लोकदेवता के रूप में पूजा जाता है. राजस्थान के पाली में धानमंडी व सर्राफा बाजार में 150 साल पुराना मंदिर आज भी मौजूद है. यहां महिलाएं संतान सुख के लिए कामना करने आती हैं. साथ ही व्यापारी अपनी धंधे में बृद्धि की कामना भी इलोजी से करने आते हैं. पाली में मंदिर में प्रतिमा को पाठा बिठाने की रस्म होती है. साथ ही यहां ठंडाई और पेठे का भोग लगाया जाता है. धुलंडी के दूसरे दिन यहां बादशाह का मेला भी भरता है. इस मेले में आस-पास के सैकड़ों लोग यहां शिरकत करते हैं. इलोजी के दर्शन के बाद धानमंडी में तणी खोलने की रस्म भी निभाई जाती है. कई सालों से यहां परंपरा है कि ताणी खोलने की रस्म के बाद ही बाजार खोले जाते हैं.
इसलिए लगाते हैं गुलाल
बता दें कि शादी के एक दिन पहले ही होलिका की मौत हो जाती है. इस बात से इलोजी काफी दुखी हो जाते हैं. बारात दुल्हन की चौखट पर पहुंच नहीं पाती है और दुखद समाचार आ जाता है. गम में डूबे इलोजी होलिका के पास पहुंचते हैं और शव को देखकर जमकर विलाप करते हैं. माना जाता है कि इलोजी ने होलिका की राख को अपने शरीर पर मलकर अपना प्यार जताया था. साथ ही ताउम्र शादी नहीं की और होलिका की याद में जीवन बिताया. होली जलने के दूसरे दिन धूल भरी होली के रूप में लोग एक-दूसरे को गुलाल लगाते हैं.
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