जिंदगी में कभी नहीं खाया अंडा, अब मुर्गे के पंख से बना दी कमाल की चीज, देखते ही वाह-वाह कर पड़े लोग

कहते हैं ना कि अगर मन में लगन हो तो कोई भी काम असंभव नहीं होता. बहाने बनाने वाले सिर्फ बहाना बनाते रह जाते हैं और जिसे कुछ कर दिखाना होता है वो कारनामा कर जाता है. जयपुर में रहने वाले राधेश भारतीय शिल्प और डिजाइन संस्थान से शोध कर रहे हैं. अपने रिसर्च में उन्हें कचरे से नया सामान बनाने का प्रॉजेक्ट दिया गया. आम तौर पर लोग घर पर मिलने वाले कचरे को ही रिसाइकिल कर कुछ ना कुछ बना लेते हैं. लेकिन शुद्ध शाकाहारी राधेश ने पोल्ट्री फार्म वेस्ट से कपड़े और कागज बना डाले.
जी हां, राधेश ने मुर्गे-मुर्गियों के पंख से बेहद मुलायम फैब्रिक बनाकर तैयार कर दिया. नॉन वेज की दुकानों से निकलने वाले वेस्ट का इस्तेमाल कर राधेश ने कमाल कर दिया. जिसे लोग छूना भी पसंद नहीं करते, उससे उन्होंने ऐसा कपड़ा बनाया है जो बेहद सॉफ्ट है. इसके अलावा उन्होंने इस वेस्ट से कागज भी तैयार किया है. बताया जा रहा है कि उनके इस कारनामे से अब बूचड़ वेस्ट की समस्या से निजात मिल जाएगा.
बना रहे हैं कई प्रॉडक्टराधेश ने अपने इस प्रॉजेक्ट पर काफी लंबे समय से काम किया है. उन्होंने चिकन वेस्ट को रिसाइकिल करने का फैसला किया. उन्होंने चिकन फाइबर की सफाई करके उससे फाइबर तैयार किया और फिर उससे कपड़े बनाए. इसके अलावा उन्होंने पेपर भी बनाया. अपने प्रॉजेक्ट के लिए राधेश ने पुणे के कई कचरा बीनने वालों को ट्रेनिंग दी. इसके बाद मुर्गी के पंख जमा कर अपना स्टार्टअप शुरू किया. अब खासकर आदिवासी महिलाओं को ट्रेनिंग देकर वो इन पंखों से बैग, पर्स, शर्ट, कंबल, पेन्सिल, कॉपी सहित कई चीजें बना रहे हैं.
ऐसे करते हैं उपयोगअपने प्रोजेक्ट की जानकारी देते हुए राधेश ने बताया कि एक किलो चिकन से साढ़े तीन सौ ग्राम वेस्ट निकलता है. ऐसे में पहले वेस्ट को सैनिटाइज किया जाता है. एक केजी पेपर बनाने के लिए एक किलो पंख को तीन लीटर खारे पानी में डुबाया जाता है. राधेश का दावा है कि मुर्गे के पंख से बनने वाले ये पेपर इको फ्रेंडली हैं और इससे हजारों पेड़ कटने से बचाए जा सकते हैं.
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FIRST PUBLISHED : September 13, 2024, 16:28 IST