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‘दिलकशी’ से शुरू और ‘मौत’ पर खत्म, प्यार के 7 मुकाम बयां करता ये गाना, 1998 में गुलजार की कलम ने रचा था इतिहास

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इश्क के 7 मुकाम होते हैं, जिनमें सबसे पहले आता है दिलकशी (आकर्षण). इस मुकाम पर गुलाजर गाने की पहले पैरा में लिखते हैं, ‘तू ही तू, तू ही तू सतरंगी रे, तू ही तू, तू ही तू, मनरंगी रे, दिल का साया हमसाया सतरंगी रे, मनरंगी रे कोई नूर है तू, क्यों दूर है तू जब पास है तू, एहसास है तू कोई ख्वाब है या परछाई है’. गाने के पहले पैरा में गुलजार ने दिलकशी को समझाया है. (फोटो साभार-Instagram)

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