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700 साल पुराना ये बिजनेस आज भी कई लोगों को दे रहा रोजगार, अफ्रीका से जापान तक है इसकी डिमांड

गुजरात: खंभात, आणंद ज़िले का एक ऐतिहासिक शहर है, जहाँ 700 साल पुराना अकीक पत्थर का व्यवसाय अब भी यहाँ के करीब 5,000 लोगों को रोज़गार प्रदान करता है. अकीक का इतिहास खंभात के समुद्री बंदरगाह होने के समय से जुड़ा है. अकीक के कच्चे पत्थर भरूच जिले के झगड़िया गांव से खंभात आते हैं, जहां इन पत्थरों को तोड़ने से लेकर अन्य प्रक्रियाओं के माध्यम से विभिन्न वस्तुएं बनाई जाती हैं. हालांकि, वर्तमान में खंभात के इस अकीक के व्यवसाय में मंदी आई है, ऐसा यहां के व्यवसाय से जुड़े लोगों का कहना है.

खंभात में अकीक व्यवसाय की शुरुआतस्थानीय व्यापारी बताते हैं कि खंभात में अकीक के व्यवसाय की शुरुआत खंभात बंदरगाह के अस्तित्व में रहने के समय हुई थी. अफ्रीका और गल्फ देशों के लोग लाल अकीक पत्थर को शुभ मानते थे और अपनी विभिन्न सामाजिक विधियों में इसका उपयोग करते थे. उन देशों के लोग खंभात के समुद्री तट पर जहाजों के माध्यम से आते थे. उस समय झगड़िया गांव के लोग दो-तीन प्रकार के अकीक पत्थर तैयार करके खंभात समुद्र तट पर ले आते थे, जिसे अफ्रीका और गल्फ के लोग सोने के बदले खरीदते थे. जब झगड़िया के लोग खंभात से लौटते थे, तब रास्ते में लुटेरे उनका सामान लूट लेते थे. इसी कारण से झगड़िया के लोग खंभात में बस गए और यहां अकीक व्यवसाय की स्थापना की, जो धीरे-धीरे खंभात का प्रमुख व्यवसाय बन गया. बाद में विभिन्न राज्यों से भी कई प्रकार के पत्थर यहां आने लगे और व्यवसाय का विस्तार हुआ.

चीन से चुनौती और अकीक का महत्वआज खंभात का अकीक व्यवसाय चुनौती का सामना कर रहा है, क्योंकि चीन भी इस व्यवसाय में प्रवेश कर गया है और आकर्षक पत्थरों को सस्ते दामों में बेचता है. हालांकि, जो लोग अकीक का महत्व समझते हैं, वे चीनी पत्थर नहीं लेते. अकीक से कई प्रकार की वस्तुएं बनाई जाती हैं, जैसे कि मछलीघर की सजावट, वास्तुकला, ऊंचे होटलों में और बगीचों में इस्तेमाल होने वाली वस्तुएं, साथ ही गहने भी बनते हैं, जो हजारों लोगों को आजीविका प्रदान करते हैं.

दारूकोठा क्षेत्र के लोगों का योगदानखंभात के अकीक व्यवसाय में दारूकोठा क्षेत्र के लोगों का प्रमुख योगदान है. अकीक के पत्थर से कोई भी वस्तु बनाने के लिए पहले उसे तोड़ा जाता है. इस कार्य में दारूकोठा क्षेत्र के ठाकोर समाज के पुरुष अकीक तोड़ने के कारखानों में काम करते हैं. लेकिन, खास बात यह है कि ठाकोर समाज की महिलाएं भी अपनी सामाजिक जिम्मेदारियों को निभाते हुए अकीक तोड़ने का काम करती हैं और घर की आर्थिक स्थिति को सुधारने में मदद करती हैं.

खंभात के अकीक व्यवसाय को अंतरराष्ट्रीय पहचानखंभात के अकीक पत्थर को अंतरराष्ट्रीय पहचान तब मिली जब खंभात के शेखवाड़ी इलाके के अकीक निर्माता और व्यापारी साबीर भाई शेख ने जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे को अकीक से बना बाउल भेंट किया. साबीर भाई का परिवार तीन पीढ़ियों से इस व्यवसाय से जुड़ा हुआ है और इस व्यवसाय से उनके परिवार की आजीविका चलती है. आज भी उनका परिवार इस घटना को याद करते हुए गर्व महसूस करता है.

देश-विदेश में अकीक की मांगअकीक से बनी विभिन्न वस्तुएं देश-विदेश में बिकती हैं. ध्यान, वास्तुशास्त्र, और रेखी जैसी क्रियाओं के लिए अकीक की मांग बढ़ रही है. व्यवसायियों के अनुसार, फिलहाल व्यवसाय में मंदी है, लेकिन अकीक से बनी विभिन्न आकर्षक वस्तुएं, जैसे हाथी, शिवलिंग, भगवान की मूर्तियां, सुंदर कांटे, चाकू, चम्मच इत्यादि, ग्राहकों को आकर्षित करती हैं. ग्राहक इन वस्तुओं को देखकर खरीदने का मन बना लेते हैं और खंभात के अकीक कारीगरों का आभार व्यक्त करते हैं.

Tags: Art and Culture, Local18, Special Project

FIRST PUBLISHED : October 26, 2024, 12:51 IST

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