हर तरह के कल्याणकारी कार्य
उन्होंने बताया कि शाम को अस्र की नमाज़ के बाद से रोज़ा खोलने, शाम ढले मग़रिब और रात को इशा की नमाज़ से तरावीह की नमाज़ तक रौनक़ रहती है। यहां की एक खास बात यह है कि मस्जिदों में कल्चरल व कम्युनिटी सेंटर होते हैं जो हर तरह के कल्याणकारी कार्य करते हैं। यहां कैनेडियन कौंसिल आफ इमाम समाजसेवा के कार्य करती है।
कनाडा की मस्जिदों में रौनक़ (Mosques in Canada)
डॉ.निज़ाम अहमद ने बताया कि रमज़ान में अल-रशीद मस्जिद बैतुल हादी मस्जिद एडमोंटन अलबर्टा,बैतुन नूर मस्जिद कैलगरी अलबर्टा, हैमिल्टन का बोस्नियाई इस्लामिक सेंटर और हैमिल्टन ओन्टारियो और कैलगरी इस्लामिक सेंटर कैलगरी अलबर्टा सहित कई मस्जिदों में खूब रौनक़ नजर आ रही है। पांचों नमाज़ों और तरावीह के समय रोज़ेदार नमािज़यों की अच्छी खासी तादाद रहती है।
पांच वक्त की नमाज़ व तिलावत
डॉ.निज़ाम अहमद ने बताया कि रोज़ेदार आम तौर पर सेहरी के बाद कुरान शरीफ की तिलावत करते हैं। सुबह सूूर्योदय से पहले फज्र, दोपहर बाद जुहर, शाम सूर्यास्त से पहले अस्र, सूर्यास्त के बाद मगरिब और रात को इशा की नमाज़ अदा की जा रही है। महिलाएं घरों में नमाज़ पढ़ती हैं। रमज़ान में दुआओं का बहुत महत्व होता है, जो की उनके रोज़ा रखने और खोलने के समय में पढ़ी जाती हैं।
अल्लाह की इबादत
उल्लेखनीय है कि रमज़ान में मुस्लिम रोज़ा रख कर सच्चे दिल से अल्लाह की इबादत करते हैं, रोज़ा रखने के लिए सुबह सेहरी खाई जाती है। इसके बाद रोज़ा शुरू हो जाता है और रोज़ेदार पूरे दिन बिना कुछ खाये पीये रहते हैं। शाम को इफ्तार के समय रोज़ा खोला जाता है। इफ्तार के बाद मग़रिब और इशा की नमाज़ पढ़ी जाती है और फिर तरावीह की नमाज़ पढ़ी जाती है। रात की सबसे आखिरी और पांचवीं नमाज़ में अधिक समय लगता है। आम दिनों में तरावीह की नमाज़ नहीं पढ़ी जाती है। यह केवल रमज़ान के महीने में ही पढ़ी जाती है।
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