Oh I Am So Sad – करगिल में ग्रेनेड ने उतना दर्द नहीं दिया, जितना अब मिल रहा

बेटे की अनुकंपा नियुक्ति के लिए चक्कर लगा रहा 18 साल पहले जख्मी हुआ सैनिक। हाईकोर्ट का आदेश भी 5 माह से फाइल में। कार्मिक विभाग ने विधानसभा को दी गलत जानकारी, विधायक ने मुख्य सचिव से की शिकायत।

जयपुर. करगिल युद्ध में ग्रेनेड से जख्मी होने से जितना दर्द नहीं हुआ, उससे अधिक दर्द बेटे को अनुकंपा नियुक्ति के लिए चक्कर काटने से मिला। हाईकोर्ट 5 माह पहले एक माह में नियुक्ति का आदेश दे चुका लेकिन फाइल अभी घूम रही है। यह कहना है झुंझुनूं जिले के मंदरूप सिंह का। उधर, इसी मामले में तत्कालीन अधिकारियों पर कार्रवाई के बारे में विधानसभा में लगाए सवाल पर मिले जवाब को भ्रामक बताते हुए बारां-अटरू विधायक पानाचंद मेघवाल ने मुख्य सचिव को शिकायत की है।
विधायक मेघवाल ने इसी साल बजट सत्र में मंदरूप सिंह के मामले में हाईकोर्ट आदेश की पालना में अधिकारियों के खिलाफ विचाराधीन कार्रवाई की जानकारी मांगी थी, जिस पर सरकार ने जवाब दिया कि हाईकोर्ट ने किसी अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई का आदेश नहीं दिया। मेघवाल ने इस जवाब को भ्रामक व राज्य सरकार की छवि खराब करने वाला बताते हुए मुख्य सचिव से दोषियों पर कार्रवाई करने को कहा है। उधर, मंदरूप सिंह का कहना है कि हाईकोर्ट के आदेश के बाद फाइल फिर से चली लेकिन अब दूसरे बेटे का रेलवे में चयन होने का हवाला देकर अनुकंपा नियुक्ति से इंकार किया जा रहा है। उनके बेटे का आवेदन 2012 में तत्कालीन कलक्टर जोगाराम के कार्यकाल में निरस्त हुआ था, जिसके खिलाफ वे हाईकोर्ट गए थे। उनका आरोप है कि एक साथी के बेटे को समान मामले में अनुकंपा नियुक्ति का लाभ कब का मिल चुका क्योंकि उसका जानकार सैनिक कल्याण निदेशालय में अधिकारी था।
यह है हाईकोर्ट का आदेश
हाईकोर्ट ने इसी साल जनवरी में मंदरूप सिंह की याचिका मंजूर कर राज्य सरकार पर एक लाख रुपए का हर्जाना लगाया। साथ ही उसके बेटे को अनुकंपा नियुक्ति पर एक माह में विचार करने और दोषी कलक्टर पर कार्रवाई का आदेश दिया। आदेश में तत्कालीन कार्मिक सचिव की कार्यशैली पर भी सवाल उठाया।