पिता के सपने को पूरा करने का जज्बा, 2 बेटे निकले 250 ग्रामीणों को तीर्थयात्रा कराने हरिद्वार
प्रेमदान.
बाड़मेर. कहते हैं कि पिता के सपनों (Dream) को उसके वे ही बेटे या बेटियां साकार कर पाते हैं जिनमें पिता के पद चिन्हों पर चलने का जज्बा हो. कुछ ऐसा ही सामने आया है भारत-पाकिस्तान सीमा पर बसे सरहदी बाड़मेर (Barmer) में. यहां दो भाइयों ने अपने पिता के सपने को साकार करने के लिए 250 लोगों को देवभूमि हरिद्वार की यात्रा करवाने के लिए गुरुवार को खास ट्रेन से रवानगी ली. बाड़मेर के इन दो भाइयों ने अपने गांव के साथ आसपास के गांवों के ग्रामीणों को भी इस यात्रा में शामिल किया है. गुरुवार को सुबह जब यह खास ट्रेन देवभूमि के लिए रवाना हुई तो तीर्थ यात्रियों में गजब का उत्साह नजर आ रहा था.
बाड़मेर से ऋषिकेश के लिए यह ट्रेन रवानगी तो हमेशा लेती है लेकिन गुरुवार को इस ट्रेन की रवानगी से पहले बाड़मेर के रेलवे स्टेशन पर खास चहल पहल दिखी. उसकी वजह थी अपने पिता के सपने को साकार करने की दो भाइयों की ललक. दरअसल बाड़मेर के उद्यमी तन सिंह चौहान ने अपने गांव के लोगों को ऋषिकेश और हरिद्वार की यात्रा करवाने की बात कही थी. लेकिन चौहान अपनी बात को पूरा करने से पहले दुनिया से विदा हो गए.
रोमांचित नजर आये तीर्थयात्री
तनसिंह चौहान के उस सपने को उनके दोनों बेटों जोगेंद्र सिंह चौहान और राजेंद्र सिंह चौहान ने पूरा करने का बीड़ा उठाया है. उन्होंने अपने गांव और आसपास के गांवों के लोगों से इस बारे में मंत्रणा की. देवभूमि की यात्रा के लिए सैकड़ों लोगों की सूची तैयार की गई. उनमें से 250 लोगों को हरिद्वार के लिए आज रवाना किया गया है. इस यात्रा में शरीक होने वाले लोगों के मुताबिक इस तरह की यात्रा में हिस्सेदार बनकर वे बेहद रोमांचित हैं.
यात्रियों को रवाना करने जिला प्रमुख और सभापति पहुंचे
बाड़मेर से निकला तीर्थयात्रियों का यह जत्था बीकानेर और चंडीगढ़ होते हुए हरिद्वार पहुंचेगा. हरिद्वार के बाद ऋषिकेश भी इस जत्थे का पड़ाव रहेगा. इस यात्रा के यात्रियों को रवाना करने के लिए बाड़मेर जिला प्रमुख महेंद्र चौधरी और बाड़मेर नगर परिषद के सभापति दिलीप माली भी पहुंचे. दोनों ने ही समाजसेवी तन सिंह के बेटों को उनके कदमों पर चलने वाला और इस यात्रा को मिसाल बताया.
तीर्थयात्रा से वापसी पर भव्य जागरण का आयोजन किया जाएगा
अपने पिता के सपने को साकार करने के लिए एक साथ एक 250 लोगों की इस यात्रा की पूरी जिम्मेदारी दोनों भाइयो ने अपने ऊपर ली है. पूरी यात्रा में रहने और खाने पीने की सारी व्यवस्था की गई है. वहीं वापसी पर भव्य जागरण का भी आयोजन किया जाएगा. अपने पिता के सपने के पूरा करने जा रहे युवा उद्यमी जोगेंद्र सिंह चौहान ने बताया आगामी 15 अप्रैल को उनके पिता की पुण्य तिथि है. पिता का एक अधूरा सपना था जिसे पूरा करने का उन्होंने बीड़ा उठाया है.
ट्रक ड्राइवर से अपना करियर शुरू किया था तन सिंह ने
उल्लेखनीय है कि बाड़मेर में ट्रक ड्राइवर से अपने करियर की यात्रा शुरू करने वाले तन सिंह चौहान राजस्थान के सबसे बड़े आयकरदाता रह चुके हैं. बीमारी की वजह से इस दुनिया को अचानक छोड़कर जाने वाले तनसिंह चौहान के दोनों बेटे अपने पिता की समाज सेवा की परिपाटी को लगातार बढ़ाए हुए है. यही वजह है कि आज तनसिंह चौहान की ही तरह उनके दोनों बेटे समाज सेवा के पथ पर अग्रणी नजर आते हैं.
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