राजस्थान में लठमार होली की तर्ज पर ‘नेजा’ उत्सव, महिलाएं बरसाती है लाठियां, परंपरा और आस्था का है संगम

Last Updated:March 12, 2025, 13:55 IST
Pratapgarh Rajasthan Unique Holi Tradition: प्रतापगढ़ के टांडा गांव में मनाया जाने वाला ‘नेजा उत्सव’ केवल एक खेल नहीं, बल्कि महिलाओं के सशक्तिकरण और ग्रामीण समाज की सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक है. यह उत्सव महिल…और पढ़ेंX
प्रतापगढ़ होली
हाइलाइट्स
प्रतापगढ़ के टांडा गांव में मनाया जाता है ‘नेजा उत्सव’.महिलाएं पुरुषों पर लाठियां बरसाती हैं, पुरुष विरोध नहीं करते.यह उत्सव महिलाओं की ताकत और स्वतंत्रता का प्रतीक है.
उदयपुर. ब्रज की लठमार होली के बारे में तो सभी ने सुना होगा, लेकिन राजस्थान के उदयपुर संभाग के प्रतापगढ़ जिले के टांडा गांव में हर साल एक अनूठी परंपरा देखने को मिलती है, जिसे ग्रामीण अपनी बोली में ‘नेजा’ या लट्ठमार होली कहते हैं. इस दिन गांव की महिलाएं पूरी तरह स्वतंत्र होती हैं और वे इस अवसर का भरपूर आनंद उठाती हैं. इस अनूठे आयोजन में महिलाएं पुरुषों पर लाठियां बरसाती हैं, और पुरुषों को बिना किसी विरोध के इसे सहना पड़ता है.
महिलाओं के लिए आज़ादी का दिन
‘नेजा’ का दिन टांडा गांव की महिलाओं के लिए किसी महिला दिवस से कम नहीं होता है. इस दिन पति, ससुर, जेठ, पड़ोसी या कोई भी पुरुष महिलाओं के प्रहार से नहीं बच पाता. सालभर परिवार की जिम्मेदारियों और अनुशासन में रहने वाली महिलाएं, इस दिन पूरी ताकत के साथ पुरुषों को चुनौती देती हैं. परंपरा के अनुसार, इस दिन कोई भी पुरुष महिलाओं के वार का जवाब नहीं देता और पूरे सम्मान के साथ इसे सहन करता है.
ऐसे होता है आयोजन
गांव का मुखिया इस आयोजन की घोषणा ढिंढोरा पीटकर करता है और सभी ग्रामीणों को इसमें भाग लेने के लिए आमंत्रित करता है. शाम होते ही गांव के पुरुष और महिलाएं एक बड़े खुले मैदान में एकत्र होते हैं. यहां महिलाएं और पुरुष अलग-अलग समूहों में नगाड़े की थाप पर नृत्य और गीतों के माध्यम से एक-दूसरे पर तंज कसते हैं.
महिलाओं की चुनौती का समाना करते हैं पुरूष
मैदान के बीच में रेत से भरा एक बोरा और एक नगाड़ा रखा जाता है . महिलाएं हाथों में लचीली लकड़ियां लेकर पुरुषों को बोरा उठाने की चुनौती देती है. जैसे ही कोई पुरुष बोरा उठाने की कोशिश करता है, महिलाएं उस पर लाठियां बरसाना शुरू कर देती हैं. यह सिलसिला तब तक चलता रहता है, जब तक कोई पुरुष बोरा उठाने में सफल नहीं हो जाता.
‘नेजा’ से जुड़ी है आस्था के साथ परंपरा
इस खेल की जड़ें गांव की देवी की पूजा और कृषि परंपराओं से जुड़ी हुई है. मान्यता है कि जब गेहूं, चना और अफीम की फसल पककर तैयार हो जाती है, तब यह आयोजन किया जाता है. ग्रामीणों का मानना है कि इस खेल से देवी प्रसन्न होती हैं और गांव में खुशहाली बनी रहती है. यह आयोजन देखने के लिए दूर-दूर से लोग टांडा गांव आते हैं और इस अनूठी परंपरा का आनंद उठाते हैं.
Location :
Udaipur,Rajasthan
First Published :
March 12, 2025, 13:55 IST
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राजस्थान में होली की अनूठी परंपरा, इस उत्सव में महिलाएं बरसाती है लाठियां