Rajasthan

RAS Exam Result-2018: बार-बार क्यों सवालों के घेरे में आता है राजस्थान लोक सेवा आयोग, Rajasthan Public Service Commission should not be tainted due to interview | – News in Hindi

हरीश मलिक

हरीश मलिक पत्रकार और लेखक

Rajasthan Public Service Commission: राजस्थान लोक सेवा आयोग की कार्यप्रणाली को लेकर अक्सर सवाल उठते रहते हैं. इस बार फिर आरएएस-2018 परीक्षा (RAS Exam Result) में साक्षात्कार में दिये गये नंबरों को लेकर वह सवालों के घेरे में हैं. ऐसा क्यों हो रहा है ?

Source: News18 Rajasthan
Last updated on: July 22, 2021, 1:49 PM IST

शेयर करें:
Facebook
Twitter
Linked IN

जयपुर. राजस्थान लोक सेवा आयोग (RPSC) एक बार फिर विवादों के कठघरे में है. खासकर आरएएस-2018 परीक्षा (RAS Exam Result) के साक्षात्कार में आयोग के सदस्यों की ओर से दिए गए नंबरों को लेकर आयोग पर सवालिया निशान उठ रहे हैं. आयोग के इस भंवर में इस बार शिक्षा राज्यमंत्री भी सोशल मीडिया पर सुर्खियों में हैं. इसे संयोग कहें या कुछ और कि उनकी पुत्रवधु के भाई-बहन के साक्षात्कार (Interview) में समान नंबर आए हैं. विरोधी इसे लेकर शिक्षामंत्री इस्तीफा दो हैशटैग ट्रेंड कराने में लगे हैं. हालांकि डोटासरा ने स्पष्ट किया है कि साक्षात्कार में नंबर उनकी प्रतिभा को मिले हैं. इसमें उनका कोई दोष नहीं है.

यह हो सकता है कि शिक्षा राज्यमंत्री सही हों. लेकिन सोशल मीडिया पर आरएएस-2018 परीक्षा देने वाले कुछ परिक्षार्थियों की मार्कशीट वायरल हो रही हैं. उन्हें लिखित परीक्षा में तो टॉप 20 में शामिल चयनित लोगों से ज्यादा अंक मिले हैं, लेकिन साक्षात्कार में काफी कम नंबर मिलने के चलते या तो उनकी रेंकिंग कम हो गई या फिर उनका आरएएस में चयन ही नहीं हो पाया. यदि वास्तव में किसी मिलीभगत से मेधावी अभ्यर्थियों का चयन नहीं हो पाया तो यह समूची परीक्षा और साक्षात्कार प्रणाली को कठघरे में खड़ा करता है. क्योंकि इससे प्रदेश गरीब​ किन्तु मेधावी और विजनरी अफसरों को पाने से रह गया. उनके स्थान पर पहुंच वाले अफसर बन गए.

आरएएस भर्तियां पहली बार नहीं हुईं हैं विवादित
प्रदेश स्तर की सबसे प्रतिष्ठित आरएएस भर्ती पहली बार विवाद में नहीं आई है. पिछली चार आरएएस भर्तियों के विवादों के कारण ही तीन-तीन साल लग गए. आंकड़े गवाह हैं कि वर्ष 2012 की भर्ती के चयनितों को 2015 में नियुक्ति मिली. इसी प्रकार 2013 आरएएस भर्ती के चयनितों को तीन साल बाद 2016 में नियुक्ति मिल पाई. यह क्रम 2016 में भी जारी रहा. इस परीक्षा में चयनितों को भी तीन साल बाद 2019 में नौकरी मिल पाई. अब 2018 की भर्ती का परिणाम ही तीन साल बाद 2021 में आया है. चयनि​तों को नियुक्ति से पहले ही भर्ती के साक्षात्कार विवादों में आ गए हैं.

राजनीतिक नियुक्तियों पर उठते हैं सवाल
आरपीएससी में राजनीतिक नियुक्तियों को लेकर भी सवाल उठते रहे हैं. एक समय था ज​बकि आरपीएससी में हाईकोर्ट के जज ही सदस्य बनते थे. बाद में राजनीतिक नियुक्तियां होने लगीं तो पहुंच वालों की चल निकली. न सिर्फ नियुक्तियों पर बल्कि साक्षात्कार में पहुंच और जुगाड़ चलने लगी. लेकिन 23 लाख जैसा भ्रष्टाचार कभी सामने नहीं आया. आरएएस 2018 के साक्षात्कार के दौरान ही 23 लाख की घूस लेकर अच्छे नंबर दिलाने का मामला सामने आया. इसमें एक कनिष्ठ लेखाकार को एसीबी गिरफ्तार कर चुकी है. आरपीएससी सदस्य राजकुमारी गुर्जर के पति का नाम भी सामने आ रहा है. आयोग के अध्यक्ष डॉ. भूपेंद्र यादव तो खुद एसीबी में रह चुके हैं. उन्होंने खुद इस मामले में अब तक दूध का दूध, पानी का पानी क्यों नहीं किया ? कविवर कुमार विश्वास की पत्नी मंजू शर्मा को भी राजस्थान लोक सेवा आयोग में सदस्य बनाना काफी सुर्खियों में रहा था.

साक्षात्कार के लिए पारदर्शी प्रक्रिया अपनाएंराजस्थान लोक सेवा आयोग को विवादों से बचने के लिए कड़े कदम उठाने ही होंगे. शिक्षा राज्यमंत्री पर आरोपों के मसले में किसी सेवानिवृत्त जज से राज्य सरकार निष्पक्ष जांच करा सकती है. इसके अलावा साक्षात्कार काजल की ऐसी कोठरी है, जिसमें दाग लगने की संभावना सबसे ज्यादा है. ऐसे में क्यों न साक्षात्कार पैनल में हों और उनकी वीडियो रिकार्डिंग कराई जाए ? इसके अलावा आरपीएससी सदस्यों की भी जिम्मेवारी तय की जाए कि उनसे भी अंक दिए जाने के बारे में अभ्यर्थी कोर्ट आदि के माध्यम से जवाब-तलब कर सके. इससे अपने लोगों को साक्षात्कार में अतिरिक्त अंक दिए जाने की प्रवृत्ति पर कुछ लगाम लग सकेगी.
(डिस्क्लेमर: ये लेखक के निजी विचार हैं. लेख में दी गई किसी भी जानकारी की सत्यता/सटीकता के प्रति लेखक स्वयं जवाबदेह है. इसके लिए News18Hindi किसी भी तरह से उत्तरदायी नहीं है)


ब्लॉगर के बारे में

हरीश मलिक

हरीश मलिक पत्रकार और लेखक

वरिष्ठ पत्रकार और लेखक. कई वर्षों से वरिष्ठ संपादक के तौर पर काम करते आए हैं. टीवी और अखबारी पत्रकारिता से लंबा सरोकार है.

और भी पढ़ें

First published: July 22, 2021, 1:49 PM IST

Source link

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button

Uh oh. Looks like you're using an ad blocker.

We charge advertisers instead of our audience. Please whitelist our site to show your support for Nirala Samaj