51 शक्तिपीठों में से एक, हिंदू मंदिर जहां मुस्लिम करते हैं पूजा, PAK में ‘नानी पीर’ नाम से है प्रसिद्ध

बाड़मेर: देश भले ही बंट जाए, लेकिन श्रद्धा, विश्वास और आस्था का बंटवारा नहीं हो सकता. यह कहानी पाकिस्तान के बलूचिस्तान स्थित माँ हिंगलाज शक्तिपीठ की है. भारत-पाकिस्तान के 1947 के बंटवारे के बावजूद आज भी लाखों भक्त भारत में हिंगलाज मंदिर की आराधना करते हैं. भारत में हिंगलाज खत्री समाज की कुल देवी है, लेकिन यहां मुस्लिम भी इसे पूजते हैं और नानी के नाम से जानते हैं.
मुसलमानों के लिए नानी पीर, हिंदुओं के लिए शक्ति पीठजब पाकिस्तान का जन्म नहीं हुआ था और भारत की पश्चिमी सीमा अफगानिस्तान और ईरान से लगती थी, तब हिंगलाज हिंदुओं का प्रमुख तीर्थ था. बलूचिस्तान के मुसलमान भी हिंगलाज देवी की पूजा करते थे और उन्हें नानी कहते थे. मुस्लिम श्रद्धालु यहाँ लाल कपड़ा, अगरबत्ती, मोमबत्ती, इत्र और फिरनी चढ़ाते हैं. हिंगलाज शक्तिपीठ हिंदुओं और मुसलमानों का एक संयुक्त महातीर्थ बन चुका है.
बाड़मेर में स्थापित हिंगलाज माता का मंदिरसरहदी बाड़मेर जिला मुख्यालय पर 6 फरवरी 2019 को पाकिस्तान के बलूचिस्तान से हिंगलाज माता की अखंड ज्योत लाकर स्थापित की गई. पहले भक्त थार एक्सप्रेस के माध्यम से पाकिस्तान में हिंगलाज शक्तिपीठ के दर्शन करने जाते थे, लेकिन थार एक्सप्रेस बंद हो जाने के बाद अब भक्त भारत में स्थापित हिंगलाज मंदिर में दर्शन कर अपनी मनोकामनाएं पूरी करते हैं. बाड़मेर के अलावा, गुजरात, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश सहित आसपास के राज्यों से भी भक्त यहां आते हैं.
थार एक्सप्रेस से लाई गई अखंड ज्योतिहिंगलाज माता मंदिर के पुजारी स्वरूप जोशी ने बताया कि बाड़मेर के नरगासर स्थित इस मंदिर में 6 साल पहले थार एक्सप्रेस के जरिए पाकिस्तान के बलूचिस्तान से अखंड ज्योत लायी गई थी. खत्री समाज ने इस मंदिर का निर्माण करवाया, और यहाँ की अखंड ज्योत लगातार प्रज्वलित है.
51 शक्तिपीठों में से एक हिंगलाज शक्तिपीठपाकिस्तान के बलूचिस्तान में हिंगोल नदी के तट पर स्थित हिंगलाज मंदिर हिंदू देवी सती को समर्पित 51 शक्तिपीठों में से एक है. इसे हिंगलाज देवी या हिंगुला देवी के नाम से भी जाना जाता है. यहाँ केवल हिंदू ही नहीं, बल्कि मुस्लिम भी दर्शन के लिए पहुँचते हैं.
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FIRST PUBLISHED : October 3, 2024, 11:15 IST