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OPINION: भारत विरोधियों की सांसें फुला देगा भारत-मध्य पूर्व-यूरोप का आर्थिक कॉरिडोर, बाइडेन ने बताया गेमचेंजर

तहसीन मुनव्वर

जी-20 शिखर सम्मेलन के फ़ौरन बाद ही भारत में सऊदी अरब के राजकुमार और प्रधानमंत्री प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान बिन अब्दुल अज़ीज़ अल-सऊद के राजकीय दौरे पर रुकने भर से ही सरहद पार की सांसें फूलने लगी हैं. याद रहे कि सऊदी राजकुमार ने पाकिस्तान के दौरे को कुछ समय पहले ही रद्द किया था और भारत के साथ सऊदी अरब के रिश्ते पहले के मुकाबले अधिक मज़बूत होते प्रतीत हो रहे हैं. इस दौरे की सब से अहम कड़ी जी-20 के दौरान आईएमइसी गलियारे का ऐलान है जो भारत- मध्य पूर्व और यूरोप के बीच एक क्रांतिकारी पहल कहा जा सकता है. इस गलियारे के ऐलान से चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव का टांय-टांय फिस्स होना भी तय है.

सोशल मीडिया पर पाकिस्तानी नागरिक अपनी सरकार को कोस रहे हैं क्योंकि सऊदी अरब हमेशा पाकिस्तान को मुस्किल में सहारा देने वाला देश रहा है, लेकिन जिस प्रकार के पाकिस्तान में हालात हैं और हर दिन पाकिस्तान की माली हालत ख़स्ता होती जा रही है उससे वहां की जनता त्रस्त है और उनकी उम्मीद की आखरी लौ भी अब टिमटिमा रही है.

जो बाइडन ने आर्थिक गलियारे को गेम चेंजर बताया
देखा जाये तो इस आर्थिक गलियारे को जिस प्रकार अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने गेम चेंजर क़रार दिया है, उससे भी भारत विरोधी तत्वों की सांसें फूलना लाज़मी हैं. अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने अपने एक ट्वीट में लिखा है कि ‘मुझे यह घोषणा करते हुए गर्व हो रहा है कि अमेरिका, भारत, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, फ्रांस, जर्मनी, इटली और यूरोपीय संघ ने नए भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारे के लिए एक ऐतिहासिक समझौते को अंतिम रूप दिया है. यह परियोजना सिर्फ ट्रैक बिछाने का नहीं, उस से कहीं अधिक है. यह एक गेम-चेंजिंग क्षेत्रीय निवेश है’.

सऊदी ने जी-20 समिट की सफलता के लिए भारत को दी मुबारकबाद
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के ट्वीट के बैकग्राउंड में अगर सऊदी राजकुमार के सरकारी दौरे को देखा जाए, तो भारत और सऊदी अरब संबंधों की मज़बूती का अंदाज़ा भली भांति लगाया जा सकता है. सऊदी राजकुमार और प्रधानमंत्री प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने जी-20 की सफ़लता के बाद जो बयान दिया है वह यह बताने के लिए काफी है कि भारत इस क्षेत्र के लिए कितना महत्वपूर्ण है. उन्होंने कहा कि इस रिश्ते में कभी कोई असहमति नहीं रही है कि दोनों देश भविष्य के अवसरों पर काम कर रहे हैं. उन्होंने भारत को जी-20 शिखर सम्मेलन की सफ़लता और मध्य पूर्व, भारत और यूरोप को जोड़ने वाले आर्थिक गलियारे की पहल के लिए भी मुबारकबाद दी और इस बात पर ज़ोर दिया कि इसे बनाने के लिए लगन से काम करना ज़रूरी है.

सऊदी अरब भारत का चौथा सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार
ज्ञात रहे कि भारत और सऊदी अरब के बीच ऐतिहासिक संबंध हैं जो भारत के आज़ाद होते ही क़ायम हो गए थे. दोनों मुल्कों के बीच राष्ट्रअध्यक्षों का आना-जाना भी लगा रहा है, लेकिन अगर देखा जाए तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आने के बाद इसमें और अधिक निकटता देखने को मिली है. सऊदी अरब भारत का चौथा सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है. भारत का 18% से अधिक कच्चा तेल आयात सऊदी अरब से होता है. FY22 (अप्रैल-दिसंबर) के दौरान, द्विपक्षीय व्यापार का मूल्य 29.28 बिलियन अमेरिकी डॉलर था. सऊदी अरब ने कोरोना काल में भी भारत की ओर से हाजियों की संख्या बढ़ाने के निवेदन को मान लिया था. यह संख्या इस वर्ष पौने दो लाख थी.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सऊदी अरब के राजकुमार और प्रधानमंत्री प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान बिन अब्दुल अज़ीज़ अल-सऊद ने भारत-सऊदी अरब रणनीतिक साझेदारी परिषद की पहली बैठक को संबोधित किया. इस दौरे में भी सऊदी अरब के साथ 8 समझोतों पर हस्ताक्षर हुए हैं. भारत के लिए सऊदी अरब सबसे महत्वपूर्ण रणनीतिक सहयोगियों में से एक है. विश्व की 2 बड़ी और तेज गति से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्थाओं के रूप में दोनों का आपसी सहयोग पूरे क्षेत्र की शांति और स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण है, लेकिन इससे भारत विरोधियों में खलबली ज़रूर मचेगी. उनके लिए उपयुक्त तो यही रहेगा कि सकारात्मकता के साथ भारत की ओर देखें और हमारे साथ-साथ प्रगति को गले लगाने के लिए आगे आएं. क्या भारत विरोधी ऐसा करेंगे? अब तक का इतिहास इससे विपरीत ही रहा है.

(डिस्क्लेमर: ये लेखक के निजी विचार हैं. लेख में दी गई किसी भी जानकारी की सत्यता/सटीकता के प्रति लेखक स्वयं जवाबदेह है. इसके लिए News18Hindi उत्तरदायी नहीं है.)

Tags: Europe, G20 Summit, Joe Biden, Narendra modi, Saudi arabia

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