Pacemaker implanted without touching heart, saved the patient’s life | हार्ट को बिना छुए इंप्लांट किया पेसमेकर, बचाई मरीज की जान

जयपुर। फैमिली हिस्ट्री में कार्डियक अरेस्ट से मौत होने के कारण 35 वर्षीय मरीज को भी कार्डियक अरेस्ट होने का पूरा खतरा था। डॉक्टरों ने उनके दिल को बिना छुए पेसमेकर इंप्लांट कर उन्हें इस जानलेवा खतरे से बचा लिया।
हार्ट को बिना छुए इंप्लांट किया पेसमेकर, बचाई मरीज की जान
जयपुर। फैमिली हिस्ट्री में कार्डियक अरेस्ट से मौत होने के कारण 35 वर्षीय मरीज को भी कार्डियक अरेस्ट होने का पूरा खतरा था। उन्हें दिल की अनियंत्रित धड़कन की गंभीर बीमारी वेंट्रीकुलर टेकिकार्डिया की समस्या थी, जिसके चलते वे हर समय जानलेवा खतरे में थे। ऐसे में डॉक्टरों ने उनके दिल को बिना छुए पेसमेकर इंप्लांट कर उन्हें इस जानलेवा खतरे से बचा लिया। डॉक्टर्स का दावा है कि सबक्युटेनियस आईसीडी तकनीक से हुआ यह प्रोसीजर राजस्थान में संभवत: पहली बार हुआ है।
डॉ. जितेंद्र सिंह मक्कड़ ने बताया कि मरीज को वेंट्रीकुलर टेकिकार्डिया की समस्या थी। इस बीमारी में मरीज के दिल की धड़कन अत्याधिक तेज हो जाती है और उसकी कार्डियक अरेस्ट से मौत भी हो सकती है। मरीज को जब उपचार के लिए यहां इटर्नल हॉस्पिटल लाया गया तो यहां कार्डियक इलेक्ट्रोफीजियोलॉजी टीम ने पूरी जांच की। पता चला कि मरीज को कार्डियक अरेस्ट से मौत की फैमिली हिस्ट्री थी और धड़कन से जुड़ी समस्याएं भी थी। ऐसे में आईसीडी पेसमेकर लगाना आवश्यक था।
धड़कन को करंट देकर नियंत्रित करता पेसमेकर –
डॉ. कुश कुमार भगत ने बताया कि सबक्युटेनियस आईसीडी एक विशेष तरह का पेसमेकर होता है, जिसमें तार को हृदय के बाहर ही लगाया जा सकता है। दिल की धड़कन अत्याधिक तेज हो जाती है तो यह पेसमेकर हार्ट में करंट देकर धड़कन को नियंत्रित कर लेता है और मरीज की जान बचा लेता है। इसके अलावा जब भी मरीज को कार्डियक अरेस्ट होता है तब भी मरीज को करंट देकर मरीज को बचा सकता है।
तार को हार्ट में डालने की जरूरत नहीं –
सामान्यतः आईसीडी पेसमेकर के तारों को हार्ट के चैंबर में डाला जाता है। हृदय के अंदर तार जाने से इंफेक्शन या अन्य जटिलताएं होने की संभावना रहती है। जबकि ये स्पेशल आईसीडी में तारों को हृदय के बाहर ही रखा जाता है। हार्ट को बिना छुए ही इसे इंप्लांट किया जा सकता है। इससे इन्फेक्शन या अन्य जटिलताओं का खतरा खत्म हो गया है। यह पेसमेकर बाएं तरफ के वक्षस्थल के नीचे इंप्लांट होता है। आधे घंटे में प्रोसीजर पूरा होने के एक दिन बाद मरीज को हॉस्पिटल से डिस्चार्ज कर दिया गया।