पंचमुखी बालाजी मंदिर: आस्था का केंद्र, विशेष पूजा-अर्चना के लिए श्रद्धालुओं का उमड़ता सैलाब

दौसा/ पुष्पेंद्र मीना: दौसा जिले के दांतली गांव की पहाड़ी पर स्थित पंचमुखी बालाजी मंदिर अपनी धार्मिक आस्था और विशेष पूजा-अर्चना के लिए प्रसिद्ध है. यह प्राचीन मंदिर श्रद्धालुओं के लिए एक प्रमुख धार्मिक स्थल है, जहां विभिन्न राज्यों से लोग अपनी मन्नतें मांगने आते हैं. कहा जाता है कि यहां आने वाले भक्तों की सभी मन्नतें पंचमुखी बालाजी पूरी करते हैं.
प्राचीन मंदिर की विशेषता: स्वयंभू प्रकट हुए पंचमुखी बालाजीपंचमुखी बालाजी मंदिर का निर्माण पहाड़ी के बीचों-बीच हुआ है और इसे दूर से देखने पर एक छोटा मंदिर प्रतीत होता है. मंदिर के पुजारी महेश दास ने बताया कि यह पंचमुखी बालाजी स्वयंभू प्रकट हुए थे. मंदिर के अंदर जाने पर यह विशाल और भव्य रूप में दिखता है. यहां धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन नियमित रूप से होता है और विशेष रूप से मंगलवार और शनिवार को विशेष पूजा अर्चना की जाती है. यह मंदिर मेहंदीपुर बालाजी से मात्र 3 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है, जिससे श्रद्धालु आसानी से यहाँ पहुंच सकते हैं.
श्रद्धालुओं की मन्नतें होती हैं पूरीपुजारी महेश दास ने बताया कि जो भी श्रद्धालु यहां आकर मन्नत मांगते हैं, उनकी मन्नतें अवश्य पूरी होती हैं. यहां रामायण पाठ, हनुमान चालीसा और अन्य धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है. भक्तों के बीच इस मंदिर की खास मान्यता है और वे विशेष रूप से यहां पूजा-अर्चना करने आते हैं.
गांव का उजड़ना और फिर से बसनामंदिर के इतिहास के अनुसार, लगभग 150 वर्ष पहले दांतली गांव किसी कारणवश उजड़ गया था. बाद में, मंदिर की महिमा के चलते यहां फिर से लोग आने लगे और धीरे-धीरे गांव का पुनर्वास हुआ. 1995 से यहां रोज़ाना सुबह-शाम आरती और भोग का आयोजन होता है, जिसमें गुल चना और रोट का विशेष भोग पंचमुखी बालाजी को अर्पित किया जाता है.
विशेष धार्मिक आयोजन और भंडारे स्थानीय ग्रामीणों के अनुसार, पंचमुखी बालाजी मंदिर में हर साल रामनवमी, हनुमान जयंती और दशहरे के अवसर पर विशेष धार्मिक कार्यक्रम और भंडारे का आयोजन किया जाता है. इनमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु हिस्सा लेते हैं. यहां आयोजित होने वाले भंडारे में श्रद्धालु प्रसाद ग्रहण करते हैं और इसे एक शुभ अवसर मानते हैं. यह मंदिर न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि इस क्षेत्र के लिए सांस्कृतिक धरोहर भी है, जो हर वर्ष श्रद्धालुओं और पर्यटकों को आकर्षित करता है.
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FIRST PUBLISHED : October 8, 2024, 20:34 IST