‘न निमंत्रण मिलता था न ही कोई पैसा उधार देता था’…बचपन के दिनों को याद कर भावुक हुए पं. धीरेंद्र शास्त्री

भीलवाड़ा : भीलवाड़ा शहर में पांच दिवसीय बागेश्वर धाम सरकार के पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री द्वारा हनुमंत कथा का आयोजन किया जा रहा है. भीलवाड़ा में आयोजित हो रहे हनुमंत कथा के दौरान लाखों श्रद्धालुओं की आंखों में उस समय आंसू आ गए और माहौल भावुक हो गया. जब पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने अपनी बचपन की कुछ यादों को श्रद्धालुओं के साथ साझा किया. इस दौरान पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की आंखों में भी आंसू आ गए और कथा स्थल पर मौजूद श्रद्धालु अपने आप को रोक नहीं पाए.
उन्होंने श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कहा कि हमने हमारी आंखों देखे महसूस किया है एक समय हमारे परिवार का ऐसा था कि हमें कोई निमंत्रण नहीं देता था क्योंकि वह सोचते थे कि जब यह फटे कपड़े में आएंगे और हमारी बेइज्जती होगी. इसके अलावा गांव में कोई हमें पढ़ाई के लिए 1 हजार उधार भी नहीं देता था क्योंकि हमारी उन्हें वापस लौटने की हैसियत नहीं थी लेकिन आज बालाजी में हमें इस काबिल बना दिया है. हम नहीं चाहते हैं कि बालाजी का कोई भी भक्त जो हमने देखा है वह न देखे.
इस दौरान पंडित धीरेंद्र कृष्ण ने उनकी बचपन की लम्हों को याद किया और कहा कि परमात्मा अगर कृपा करेंगे तो हम ऐसा प्रण लेंगे कि किसी भी भाई को अपनी बहन की शादी के लिए परेशान नहीं होना पड़ेगा. बहुत से लोग कहते हैं कि बागेश्वर बाबा पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री बड़ा नाम है. वो हेलिकॉप्टर, हवाई जहाज और चार्टर प्लेन से घूमते हैं. बाबा देश-विदेशों में जानते हैं, लेकिन इसके पीछे भी मेरा लंबा संघर्ष रहा है.
कोई नहीं देता था निमंत्रण और उधारपीठाधीश्वर प. धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री कहते है कि एक जमाना था जब उनके गांव परिवार समाज में उन्हें कोई निमंत्रण नहीं देता था न उनके निमंत्रण में पिताजी का नाम होता था क्योंकि लोग सोचते हैं कि जब यह आएंगे तब यह फटे हुए पुराने कपड़े पहन के आएंगे जिससे उनकी बेइज्जती होगी यही नहीं पढ़ाई के लिए भी कोई हमें 1 हजार रुपये तक नहीं देता था क्योंकि हमारी कभी उन्हें लौटने की हैसियत नहीं थी हमारे गांव का सरपंच तक हमारी बात नहीं सुनता था
आज बड़े लोग लेते हैं उनकी राहपं. धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री कहते हैं कि उनका बड़े लोगों से मिलने का उद्देश्य फेमस होना नहीं है. बल्कि उनसे मिलने वाले सहयोग से गरीब बेटियों की धूमधाम से शादी कराना है. बड़े लोग उन्हीं को सम्मान देते हैं जिनसे उन्हें कुछ मिलने की संभावना होती है. उनका काम फंसा होता है तो वो बुलाते हैं. मैं तो भगवान से प्रार्थना करता हूं कि जिस दुख से मेरा सामना हुआ उससे किसी दूसरे का सामना न हो. आज देश के टॉप मोस्ट राजनेता और नीति निर्धारण भी उनसे राय लेते हैं. यह सिर्फ बजरंगबली की कृपा है.
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FIRST PUBLISHED : November 11, 2024, 13:11 IST