Paralyzed at the age of 1 year the one who cannot walk on his own feet gave self-respect to thousands of people – News18 हिंदी
रिपोर्ट- मनमोहन सेजू
बाड़मेर. खुद के अधूरेपन को मजबूरी मानकर कुछ लोग अपनी जिंदगी को ही संघर्ष बना लेते हैं, लेकिन कुछ विरले ऐसे भी होते हैं जो उड़ चलते हैं अपने हौसलों के पंखों से. सरहदी जिले बाड़मेर के ईश्वर जांगिड़ ऐसे ही शख्स हैं. कभी तालीम के लिए संघर्ष तो कभी काम की तकलीफें, ईश्वर जांगिड़ ने हर वह मुश्किलें सही हैं जो इंसान की सफलता की राह में रोड़ा बनती हैं. लेकिन हिम्मत नहीं हारी. यही हिम्मत उनके लिए ढाल बनी. द बाड़मेर सेंट्रल कॉपरेटिव बैंक के मैनेजर मूलाराम जांगिड़ के बेटे ईश्वर जन्म के बाद एक साल तक ठीक रहे, लेकिन उसके बाद एक बुखार ने उन्हें जिंदगी भर की दिव्यांगता दे दी. अपने पैरों पर खड़ा नहीं होने की पीड़ा क्या होती है, ईश्वर से बेहतर कोई नहीं बता सकता.
दिव्यांग ईश्वर ने बड़ी कठिनाई से अपनी शिक्षा पूरी की और कुछ महीनों तक नौकरी भी की. पैरों से चलने में अक्षम ईश्वर जांगिड़ ने फिर कुछ ऐसा करने का ठान लिया, जिसने न सिर्फ उनकी जिंदगी बदल दी, बल्कि समाज के सैकड़ों ऐसे लोगों के जीवन में प्रकाश फैला दिया. ईश्वर ने दिव्यांगता को दरकिनार कर ई-मित्र सर्विस शुरू किया. आज ईश्वर की अगुवाई में 500 ईमित्र काम कर कर रहे हैं. वे बाड़मेर कम्प्यूटर के मानद निदेशक हैं. इस संस्था से जुड़कर 10 हजार बच्चे कम्प्यूटर कोर्स कर चुके हैं. ईश्वर अब तक 600 महिलाओं को निःशुल्क कम्प्यूटर कोर्स करवा चुके हैं. अपनी पत्नी सोनिया जांगिड़ के साथ बच्चों और महिलाओं को आत्मनिर्भर करने में जुटे दिव्यांग ईश्वर आज दर्जनों पुरस्कारों को प्राप्त कर चुके हैं.
ईश्वर जांगिड़ के मुताबिक बाड़मेर जिले में करीब 500 ईमित्र उनके अंतर्गत संचालित हो रहे हैं. कल तक जो खुद रोजगार के लिए सोच रहा था, आज उसकी बदौलत करीब 5000 लोग रोजगार से जुड़े हुए हैं. लोकल18 से बातचीत में ईश्वर बताते हैं कि दिव्यांगता को कमज़ोरी बनाने की बजाय अपनी सफलता का आधार बनाना चाहिए, जिससे वह खुद्दार बन सके.
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FIRST PUBLISHED : March 25, 2024, 12:56 IST