शौक नहीं मजबूरी में 2 शादी करते हैं इस गांव के लोग, युवाओं को इस वजह से नहीं पसंद आ रही….

अपने देश में एक पत्नी के रहते हुए दूसरी शादी करने पर सजा का नियम है. लेकिन इसी देश में एक ऐसी जगह है जहां लोगों को शौक में नहीं बल्कि मजबूरी में या कहिए कि एक मान्यता के चलते दो शादी करना पड़ता है. हम बात कर रहे हैं राजस्थान के बाड़मेर के एक गांव है देरासर की. इस गांव में जो प्रथा है उसे सुनकर पहली बार में तो आपको यकीन ही नहीं होगा कि यहां के प्रत्येक आदमी की दो पत्नियां हैं. तो चलिए आपको इसके बारे में विस्तार से बताते हैं कि क्या है यह प्रथा और लोगों को क्यों करनी पड़ती है दो शादी.
शौक नहीं मजबूरी है दो शादीदेरासर गांव में 70 मुस्लिम परिवार हैं और यहां के एक दो घरों को छोड़ दें तो हर आदमियों की दो बीवियां हैं. वैसे तो इस्लाम में एक से अधिक शादी पर सजा आदि का कोई नियम नहीं है, लेकिन देरासर गांव में दो शादी शौकिया तौर पर नहीं बल्कि एक मान्यता के चलते करते हैं. इसके पीछे की कहानी कुछ ऐसी है कि गांव के लोग मानते हैं कि यहां के किसी भी व्यक्ति को पहली शादी से आज तक बच्चा नहीं हुआ है. इसलिए यहां सभी की दूसरी शादी करवाई जाती है. लोगों का मानना है कि इस गांव के लोगों को दूसरी पत्नी से ही संतान सुख मिलता है. इस परंपरा को गांव के लोग खुदा की मेहर बताते हैं.
लोगों का कहना है कि गांव में पहली पत्नी से किसी को बच्चे नहीं होते. दूसरी पत्नी से ही बच्चे जन्म लेते हैं. इस कारण यहां के पुरूष दूसरी शादी करते हैं. देरासर गांव में कुछ ऐसे भी परिवार मौजूद हैं, जिन्होंने इस प्रथा को नकार दिया और एक पत्नी के होते हुए दूसरी शादी नहीं की. लेकिन ऐसे लोगों को बच्चे नहीं हुए.
गांव के ही मीठा नाम के शख्स ने एक पत्नी के रहते हुए दूसरी शादी करने से मना कर दिया था और उनके बच्चे नहीं हुए. उनकी पहली पत्नी का 55 साल की उम्र में निधन हो गया उसके बाद उन्होंने घर वालों के दबाव में दूसरी शादी कर ली. दूसरी शादी के बाद उनके घर लड़की का जन्म लिया और फिर तीन लड़के हुए.
पहली पत्नी कैसे करने देती है दूसरी शादीएक सवाल आप लोगों के मन में और आ रहा होगा कि पहली पत्नी अपने पति को दूसरी शादी आखिर करने कैसे देती होगी और क्या वह अपने अधिकारों के लिए लड़ती नहीं होगी. अगर शादी हो भी गई तो दोनों पत्नियां साथ कैसे रहती होंगी. तो देरासर गांव की एक बड़ी खासियत यह है कि यहां पहली पत्नी को अपने पति की दूसरी पत्नी से किसी तरह की कोई दिक्कत नहीं होती. सब साथ मिलकर रहते हैं. गांव के लोगों की मानें तो उनके मुताबिक, आजतक गांव में दो पत्नियों के बीच विवाद का कोई मसला भी सामने नहीं आया है. परिवार के बच्चे भी अपनी दोनों मां का पूरा ख्याल रखते हैं और दोनों के बीच कोई भेदभाव नहीं करते.
इस परंपरा को मानने से इंकार करने लगे युवाहालांकि, जैसे सुनने में आपको भी यह एक अजीबों गरीब प्रथा लग रही होगी उसी तरह अब यहां की नई पीढ़ी के युवा भी इस प्रथा से दूर हो रहे हैं. गांव के जो युवा बाहर निकल चुके हैं, पढ़ लिख चुके हैं वो बढ़ती महंगाई और आधुनिकता को देखते हुए वर्षों से चली आ रही इस परंपरा को नहीं मानते हैं और दो शादी नहीं करते हैं. इससे अब यह परंपरा खत्म होती जा रही है. अब यह सिर्फ कुछ ही परिवारों तक सीमित रह गयी है.
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FIRST PUBLISHED : August 8, 2024, 15:18 IST