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PHOTOS: यूक्रेन की वो सीक्रेट फैक्ट्री जहां बनते हैं पुतिन की नींद हराम करने वाले लॉन्ग-रेंज ड्रोन

रात के अंधेरे में यूक्रेन के एक गुप्त ठिकाने पर काम शुरू होता है. हल्की लाल रोशनी में सैनिक चुपचाप अपने काम में लगे रहते हैं. कोई आवाज नहीं, कोई हलचल नहीं. यहां पर ड्रोन तैयार किए जाते हैं – वो भी ऐसे जो रूस के अंदर सैकड़ों किलोमीटर तक जाकर हमला कर सकते हैं.

इन ड्रोन का निशाना होता है रूस की तेल रिफाइनरी, फ्यूल डिपो और फौजी ठिकाने. गर्मियों से यूक्रेन ने इन लंबी दूरी वाले हमलों में तेजी लाई है. अब हालात यह हैं कि रूस के कई इलाकों में पेट्रोल और डीजल की कमी दिखने लगी है, कुछ जगह राशनिंग तक करनी पड़ी है.

रूस की बड़ी रिफाइनरी पर वारअमेरिका के थिंक टैंक कार्नेगी एंडोमेंट की रिपोर्ट के मुताबिक, यूक्रेनी ड्रोन अब तक रूस की 16 बड़ी रिफाइनरी को निशाना बना चुके हैं. यह संख्या रूस की कुल तेल रिफाइनिंग क्षमता का करीब 38 प्रतिशत हिस्सा है. हालांकि रिपोर्ट में कहा गया है कि इन हमलों का असर सीमित रहा है.

ज्यादातर रिफाइनरी कुछ हफ्तों में फिर से चालू हो गईं. रूस ने पहले से मौजूद ईंधन भंडार और खाली क्षमता का इस्तेमाल करके नुकसान कुछ हद तक संभाल लिया. लेकिन इस सबके बावजूद, ये हमले यूक्रेन के लिए रणनीतिक बढ़त साबित हो रहे हैं.

ज़ेलेंस्की बोले – रूस का 20 फीसदी पेट्रोल खत्मयूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर ज़ेलेंस्की का कहना है कि उनके देश की यह नई ड्रोन क्षमता रूस को गहरी चोट पहुंचा रही है.

उन्होंने दावा किया कि इन हमलों के चलते रूस की करीब 20 फीसदी पेट्रोल सप्लाई रुक गई है. ज़ेलेंस्की ने कहा, “इन वारों की वजह से रूस को अब ईंधन आयात करना पड़ रहा है और निर्यात घटाना पड़ा है. यह हमारे लिए बड़ी जीत है.”

खुद बने ड्रोन, लेकिन असर कम नहींयूक्रेन का ज्यादातर ड्रोन बेड़ा पूरी तरह घरेलू स्तर पर बना है. सबसे चर्चित मॉडल का नाम है ‘लियूती’, जिसका मतलब होता है – ‘फीर्स’ यानी उग्र.

देखने में ये किसी गैराज में जोड़े गए पंखों वाला छोटा हवाई जहाज लगता है, लेकिन यही इसकी ताकत है. इसे बनाना आसान है, छिपाना आसान है और जरूरत पड़ने पर तुरंत डिजाइन बदला जा सकता है. अब इन ड्रोन की रेंज पहले से दोगुनी हो चुकी है.

जहां पहले ये 500 किलोमीटर तक जाते थे, अब 1000 किलोमीटर तक के अंदरूनी हिस्सों को भी निशाना बना रहे हैं. और सबसे खास बात, एक ड्रोन की कीमत लगभग 55 हजार डॉलर है, यानी महंगे मिसाइल सिस्टम के मुकाबले बहुत सस्ता सौदा.

अब रूस के लिए ‘सुरक्षित इलाका’ नहीं रहाअंतरराष्ट्रीय सुरक्षा विश्लेषक एड्रियानो बोसोनी का कहना है कि यूक्रेन अब युद्ध को रूस के अंदर ले गया है. पहले रूस यह मानकर चल रहा था कि उसके अपने इलाके पर कोई खतरा नहीं है, लेकिन अब वह भरोसा खत्म हो गया है. उनका कहना है कि यह रणनीति रूस की सप्लाई और लॉजिस्टिक चेन को थकाने की है. जब रूस को अपने ईंधन के रूट बदलने पड़ते हैं और एयर डिफेंस सिस्टम को बार-बार खिसकाना पड़ता है, तो उसकी ताकत बिखरती जाती है.

रूस की ईंधन क्षमता में भारी गिरावटअंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (IEA) की रिपोर्ट के अनुसार, लगातार हो रहे इन हमलों से रूस की रिफाइनिंग क्षमता हर दिन करीब 5 लाख बैरल कम हो गई है. इसका असर रूस के अंदर भी दिख रहा है, पेट्रोल-डीजल की कमी, कीमतों में उतार-चढ़ाव और निर्यात में कमी.

दूसरी तरफ, यूक्रेन को इसका फायदा यह है कि उसे अब पश्चिमी देशों की अनुमति का इंतजार नहीं करना पड़ता. अपने बनाए ड्रोन से वो सीधे रूस के अंदर हमला कर सकता है. “हम अपने बच्चों की आजादी के लिए लड़ रहे हैं”. यूक्रेन के गुप्त लॉन्च साइट पर एक कमांडर हैं, जिनका कोडनेम है ‘फिडेल’. वे ड्रोन लॉन्च होते वक्त नाइट विजन गॉगल्स से आकाश को देखते हैं.

वे कहते हैं, “पहले हमारे ड्रोन 500 किलोमीटर तक जाते थे, अब 1000 तक पहुंचते हैं. तीन चीजें जरूरी हैं, अच्छे ड्रोन, अच्छे लोग और सटीक प्लानिंग. यही हमारी पवित्र जिम्मेदारी है.” फिडेल का मानना है कि हर मिशन में जोखिम होता है. कई बार सिर्फ 30 फीसदी ड्रोन ही लक्ष्य तक पहुंच पाते हैं, लेकिन हर उड़ान एक सीख होती है.

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