Nutrition in high yielding wheat and rice reduced by 45 percent | उच्च पैदावार वाले गेहूं-चावल में 45 फीसदी तक कम हो गई पोषकता

जयपुरPublished: Jan 23, 2024 11:34:52 pm
हरित क्रांति ने हमारी थाली में गेहूं और चावल की पर्याप्त मात्रा जरूर पहुंचा दी है, पर इसके लिए गेहूं और चावल की जो नई प्रजातियां विकसित की गईं, उसमें अनाजों में जरूरी पोषक तत्वों की मात्रा कम हो रही है।
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हरित क्रांति ने हमारी थाली में गेहूं और चावल की पर्याप्त मात्रा जरूर पहुंचा दी है, पर इसके लिए गेहूं और चावल की जो नई प्रजातियां विकसित की गईं, उसमें अनाजों में जरूरी पोषक तत्वों की मात्रा कम हो रही है। इंडियन काउंसिल ऑफ एग्रीकल्चरल रिसर्च (आइसीएआर) और विधान चंद्र कृषि विश्वविद्यालय, पश्चिम बंगाल तथा नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूट्रीशन, तेलंगाना के 12 वैज्ञानिकों के संयुक्त अध्ययन में ये दावा किया गया है। जानी-मानी पत्रिका डाउन टू अर्थ में यह अध्ययन तीन श्रृंखला में प्रकाशित है। अध्ययन में दावा किया गया है कि चावल और गेहूं की नई प्रजातियां विकसित करने में सारा जोर उत्पादकता बढ़ाने पर रहा है, पर इस प्रक्रिया गेहूं और चावल में मौजूद पोषक मूल्यों से समझौता किया गया है। अध्ययन में पाया गया है कि भारत के लोगों की 50 फीसदी ऊर्जा जरूरतें गेहूं और चावल के जरिए पूरी होती हैं। अध्ययन के अनुसार, इन दोनों ही अनाजों का पोषक मूल्य पिछले 50 साल में 45 फीसदी तक कम हो गया है, जबकि इनमें मौजूद टॉक्सिक पदार्थ जैसे आर्सेनिक, बोरियम की मात्रा बढ़ती जा रही है। शोधकर्ताओं ने दावा किया है कि अगर ऐसा ही चलता रहा तो 2040 तक इन अनाजों की पोषकता बहुत कम हो जाएगी और ये शरीर को जरूरी पोषकता देने के बजाए हमें रोगी बनाने का काम करेंगे।