PM Modi ने वंदे मातरम विवाद में Nehru और Congress पर उठाए सवाल

Last Updated:December 09, 2025, 01:25 IST
PM मोदी ने लोकसभा में बताया कि 1937 में जवाहरलाल नेहरू ने मुस्लिम लीग के दबाव में वंदे मातरम पर समझौता किया, जिससे कांग्रेस ने गीत के टुकड़े कर दिए और विभाजन की राह खुली.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा में नेहरू से जुड़ी कई बातें बताईं.
नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा में एक ऐतिहासिक घटना का जिक्र करते हुए देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और कांग्रेस की नीतियों पर तीखा हमला बोला है. पीएम मोदी ने बताया कि आखिर क्यों 25 अक्टूबर 1937 को जवाहरलाल नेहरू ने आनन-फानन में कलकत्ता (अब कोलकाता) की फ्लाइट पकड़ी थी और कैसे उसी यात्रा ने ‘वंदे मातरम’ के भविष्य को बदल दिया. पीएम मोदी के भाषण के मुताबिक, यह यात्रा सामान्य नहीं थी, बल्कि मुस्लिम लीग के तुष्टिकरण के लिए राष्ट्रगीत के ‘टुकड़े’ करने की एक कवायद थी.
जिन्ना की धमकी और नेहरू का ‘डोलता सिंहासन’प्रधानमंत्री ने घटनाक्रम समझाते हुए कहा कि 1937 में वंदे मातरम के प्रति मुस्लिम लीग का विरोध चरम पर था. 15 अक्टूबर 1937 को मोहम्मद अली जिन्ना ने लखनऊ से वंदे मातरम के खिलाफ आवाज बुलंद की. पीएम ने कहा, जिन्ना के इस विरोध के बाद कांग्रेस अध्यक्ष जवाहरलाल नेहरू को अपना सिंहासन डोलता हुआ दिखाई दिया. कायदे से नेहरू को लीग के आधारहीन बयानों का करारा जवाब देना चाहिए था, लेकिन उन्होंने उल्टा वंदे मातरम की ही ‘पड़ताल’ शुरू कर दी.
बोस को लिखी चिट्ठी और जिन्ना से सहमतिइतिहास का हवाला देते हुए पीएम ने बताया कि जिन्ना के विरोध के महज 5 दिन बाद, 20 अक्टूबर को नेहरू ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस को एक चिट्ठी लिखी. इसमें उन्होंने जिन्ना की भावनाओं से सहमति जताते हुए लिखा कि ‘वंदे मातरम’ की आनंदमठ वाली पृष्ठभूमि मुसलमानों को भड़का सकती है.
25 अक्टूबर की वह फ्लाइट और ‘समझौता’
पीएम मोदी ने बताया कि इसके बाद कांग्रेस ने घोषणा की कि 26 अक्टूबर को कोलकाता में कांग्रेस कार्यसमिति (CWC) की बैठक होगी, जिसमें वंदे मातरम की समीक्षा की जाएगी. इसी बैठक में शामिल होने के लिए नेहरू ने एक दिन पहले, यानी 25 अक्टूबर 1937 को कोलकाता की फ्लाइट पकड़ी,” पीएम ने कहा. “उस वक्त पूरे देश में जनता ने इस प्रस्ताव के विरोध में प्रभात फेरियां निकालीं, लेकिन दुर्भाग्य से 26 अक्टूबर को कांग्रेस ने वंदे मातरम पर समझौता कर लिया और गीत के टुकड़े कर दिए गए.”
‘सद्भाव का नकाब, हकीकत में सरेंडर’प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में जोर देकर कहा कि उस फैसले को ‘सामाजिक सद्भाव’ का नकाब पहनाया गया था. लेकिन इतिहास गवाह है कि वह सद्भाव नहीं था, बल्कि कांग्रेस ने मुस्लिम लीग के आगे घुटने टेक दिए थे. पीएम ने कहा कि इसी मानसिकता ने आगे चलकर देश के विभाजन का रास्ता साफ किया.
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Delhi,Delhi,Delhi
First Published :
December 09, 2025, 01:25 IST
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25 अक्तूबर 1937 को जवाहर लाल नेहरू ने कलकत्ता की फ्लाइट क्यों पकड़ी?



