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Pneumonia Causing Death Of Children Up To Five Years – world pneumonia day: पांच साल तक के बच्चों की मौत का कारण बन रहा निमोनिया

world pneumonia day:

विश्व निमोनिया दिवस आज
हर साल इस दिन होते हैं जागरूकता कार्यक्रम
निमोनिया से मौतों को कम करना है उद्देश्य

world pneumonia day:

हर साल 12 नवंबर को विश्व निमोनिया दिवस मनाया जाता है। इस दिवस को पहली बार ‘ग्लोबल कोएलिशन अगेंस्ट चाइल्ड निमोनिया’ द्वारा वर्ष 2009 में मनाया गया था। निमोनिया से ग्रसित होने का खतरा पांच साल से कम उम्र के बच्चों को सबसे ज्यादा होता है। यह रोग शिशुओं की मृत्यु के 10 प्रमुख कारणों में से एक है। इसका कारण कुपोषण और कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता भी है। विशेषज्ञों की माने तो इस गंभीर रोग को टीकाकरण से पूरी तरह रोका जा सकता है। इसलिए जरूरी है कि बच्चों का संपूर्ण टीकाकरण करवाएं। पीसीवी या न्यूमोकॉकल कॉन्जुगगेट वैक्सीन का टीका शिशु को दो माह, चार माह, छह माह, 12 माह और 15 माह पर लगाने होते हैं। यह टीका ना सिर्फ निमोनिया बल्कि सेप्टिसीमिया, मैनिंजाइटिस या दिमागी बुखार आदि से भी शिशुओं को बचाता है।

विश्व निमोनिया दिवस के उद्देश्य
– निमोनिया के बारे में जागरूकता फैलाना
– निमोनिया की रोकथाम व उसका उपचार के लिए हस्तक्षेप को बढ़ावा देना
– निमोनिया का मुकाबला करने लिए एक्शन प्लान बनाना

विशेषज्ञों का कहना है कि कोविड-19 महामारी के कारण निमोनिया की मरीजों को बढ़ी परेशानी का सामना करना पड़ा है। मरीजों को समय पर इलाज ना मिलने से इससे होने वाली मौतें भी महामारी के दौरान बढ़ी हैं। निमोनिया एक तीव्र श्वसन संक्रमण है, जो कि फेफड़ों को प्रभावित करता है। आमतौर पर फेफड़ों की छोटी थैली में श्वास के दौरान हवा भर जाती है। हालांकि निमोनिया में फेफड़ों की इस जगह पर मवाद और द्रव भर जाता है, जो कि सांस लेने में कठिनाई उत्पन्न करता है और ऑक्सीजन लेने में कमी करता है।

बच्चों या बुजुर्गों को यदि निमोनिया है तो इसमें बुखार के साथ सांस लेने में दिक्कत आती है। ऐसे में पूरे शरीर की ऑक्सीजन आपूर्ति कम हो जाती है। वहीं छाती में खिंचाव होने लगता है। पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ. प्रद्रयुमन शर्मा का कहना है कि वायु प्रदूषण इस बीमारी के बड़े कारणों से है। वहीं धुम्रपान करने वाले व्यक्ति के सम्पर्क में लगातार रहने से भी यह बीमारी हो जाती है। डॉक्टर का कहना है कि वायु को साफ-सुथरा रखने की कोशिश की जानी चाहिए। इससे इस बीमारी में बड़ी राहत मिलेगी।

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