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postpartum depression bs yediyurappa granddaughter soundary found dead | जानिए आखिर क्या है पोस्टपार्टम डिप्रेशन, जिसके कारण येदियुरप्पा की नातिन ने दी जान

post pregnancy depression भारत की 80 फीसदी महिलाएं गुजरती हैं पोस्टपार्टम ब्लू से

जयपुर

Published: January 29, 2022 01:16:47 pm

— समय रहते उठाने चाहिए सकारात्मक कदम जयपुर। कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा की नातिन डॉ. सौंदर्या वी वाई ने शुक्रवार सुबह वसंत नगर में अपने फ्लैट में पंखे से फंदा लगाकर कथित तौर पर आत्महत्या कर ली। तीस वर्षीय सौंदर्या बेंगलुरु स्थित एमएस रमैय्या अस्पताल में डॉक्टर थीं। उनके पति भी डॉक्टर हैं और दोनों के छह माह का एक बच्चा भी है। बताया जा रहा है कि सौंदर्या पोस्टपार्टम डिप्रेशन में थी, जिसके कारण उन्होंने आत्महत्या कर ली।

जानिए आखिर क्या है पोस्टपार्टम डिप्रेशन, जिसके कारण येदियुरप्पा की नातिन ने दी जान

जानिए आखिर क्या है पोस्टपार्टम डिप्रेशन, जिसके कारण येदियुरप्पा की नातिन ने दी जान

अब सवाल यह है कि एक संपन्न परिवार की, पढ़ी—लिखी, अच्छे करियर वाली युवती ने ऐसा खौफनाक कदम क्यों उठाया और आखिर यह पोस्टपार्टम डिप्रेशन या पोस्ट प्रेग्नेंसी डिप्रेशन क्या है। दरअसल, मां बनने के बाद एक महिला के शरीर में ही नहीं जीवन में भी कई बड़े परिवर्तन आते हैं। वह शारीरिक रूप से कमजोर होती हैं और साथ ही दर्द में भी होती हैं। नवजात शिशु की जरूरतों को पूरा करने के कारण वह रात में ठीक से सो नहीं पाती और नींद पूरी न होने के कारण उन्हें थकान भी महसूस होती है। ये सभी पोस्टपार्टम डिप्रेशन को जन्म देता है।

यह है कारण मनोचिकित्सक डॉ अनीता गौतम का कहना है कि प्रेग्नेंसी के बाद हर महिला के जीवन में बड़े परिवर्तन होते हैं। भारत में शिशु होने के बाद सवा महीना तक महिलाओं को बाहर नहीं निकलने दिया जाता, क्योंकि शरीर कमजोर होता है और इंफेक्शन का डर रहता है। लेकिन कहीं न कहीं यही पोस्टपार्टम डिप्रेशन का कारण बन जाता है। आप इस दौरान टीवी और मोबाइल ज्यादा नहीं देख सकते, किताबें ज्यादा नहीं पढ़ सकते, बच्चे की देखभाल के दौरान रात को बार—बार उठना पड़ता है, जिससे नींद पूरी नहीं हो पाती। और धीरे—धीरे नई मां कहीं न कहीं थकावट महसूस करने लगती है।

भारत की 80 प्रतिशत महिलाएं गुजरती हैं पोस्टपार्टम ब्लू से डॉ गौतम का कहना है कि भारत की 80 प्रतिशत महिलाएं इस दौर से गुजरती हैं, लेकिन समय के साथ वह अपने आपको इन परिस्थितियों में ढाल लेती हैं। वहीं चार से पांच प्रतिशत महिलाएं इन परिस्थितियों में खुद को संभाल नहीं पातीं और पोस्टपार्टम डिप्रेशन का शिकार हो जाती हैं। पोस्टपार्टम डिप्रेशन के चलते ऐसी महिलाओं को बच्चे से लगाव भी कम हो जाता है। उन्हें आत्महत्या के विचार आने लगते हैं।

सब मदद करें तो बच सकते हैं इस डिप्रेशन से डॉक्टर्स का कहना है कि अगर परिवार नई मां की इन परिस्थितियों को ठीक से समझें तो वह आसानी से पोस्टपार्टम डिप्रेशन से मुकाबला कर सकती हैं। नवजात को सभी मिलकर संभालें, मां से अच्छी और सकारात्मक बातें करें, उसे बताएं कि मां बनना कितने सौभाग्य की बात है। तो कहीं न कहीं तनाव कम होगा। इसके साथ ही अच्छा संगीत सुनकर भी पोस्टपार्टम डिप्रेशन को दूर भगाया जा सकता है।

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