Prashashan Shahron Ke Sang Abhiyan Udh Shanti Dhriwal Houing Society – यूडीएच के एक आदेश से गृह निर्माण सहकारी समितियों के दस्तावेज हुए ‘बेअसर’

प्रशासन शहरों के संग अभियान से पहले सरकार ने गृह निर्माण सहकारी समितियों पर शिकंजा कसा है। यूडीएच ने अधिसूचना जारी कर 17 जून 99 के बाद की कॉलोनियों के नियमन के लिए गृह निर्माण सहकारी समितियों के दस्तावेजों को आधार नहीं माना जाएगा। ऐसी कॉलोनियों के नियमन के लिए भूखंडधारियों के 17 प्रकार के दस्तावेजों को ही आधार माना जाएगा।

जयपुर।
प्रशासन शहरों के संग अभियान से पहले सरकार ने गृह निर्माण सहकारी समितियों पर शिकंजा कसा है। यूडीएच ने अधिसूचना जारी कर 17 जून 99 के बाद की कॉलोनियों के नियमन के लिए गृह निर्माण सहकारी समितियों के दस्तावेजों को आधार नहीं माना जाएगा। ऐसी कॉलोनियों के नियमन के लिए भूखंडधारियों के 17 प्रकार के दस्तावेजों को ही आधार माना जाएगा।
यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल की अधिकारियों के साथ पिछले दिनों मैराथन बैठक हुई थी, जिसमें गृह निर्माण सहकारी समितियों के गड़बड़झाले को लेकर चर्चा हुई थी। जिसके बाद सहकारी समितियों को बेअसर करने का फैसला हुआ था। बैठक में हुई चर्चा के बाद यूडीएच ने अधिसूचना जारी कर दी है। इस अधिसूचना के पीछे तर्क दिया जा रहा है कि इन दस्तावेजों के अनिवार्यता को खत्म करने से लोगों को ज्यादा से ज्यादा पट्टे मिल सकेंगे।
सहकारी समितियों की ढाई हजार से ज्यादा कॉलोनियां
प्रदेश में सहकारी समितियों की ढाई हजार से ज्यादा कॉलोनियां हैं। इनमें समितियों ने जबर्दस्त गड़बड़ियां की। एक ही भूखंड कई लोगों को बेचने के साथ ही कृषि भूमि पर कॉलोनियां बसा दी गई। इसके चलते कांग्रेस सरकार के समय भू—राजस्व अधिनियम की 1956 में धारा 90—बी के तहत ऐसी कॉलोनियों के नियमन के लिए 17 जून, 1999 की कट आॅफ डेट निर्धारित की गई। हालांकि इससे समिति संचालकों पर कोई असर नहीं हुआ और नियम विरुद्ध कृषि भूमि पर कॉलोनियां बसाने का धंधा चलता रहा। इसके एवज में भूखंडधारियों से जबरन वसूली भी की जा रही थी।