प्रयागराज महाकुंभ भगदड़: जोधपुर के दिनेश पिंटू सारस्वत का अनुभव

Agency: Rajasthan
Last Updated:February 10, 2025, 12:46 IST
प्रयागराज महाकुंभ में भगदड़ के दौरान जोधपुर के दिनेश पिंटू सारस्वत और उनके परिवार ने भयावह दृश्य देखा. वह बोले कि प्रशासन की कमी और हालात ने उन्हें झकझोर दिया है. जोधपुर के रहने वाले लोगों ने महाकुंभ में हुई दु…और पढ़ेंX
प्रयागराज में महाकुंभ के हालात के बारे में बताते हुए लोग
हाइलाइट्स
प्रयागराज महाकुंभ में भगदड़ से भयावह दृश्य देखा गया.प्रशासन की कमी और हालात ने लोगों को झकझोर दिया.भगदड़ में फंसे लोग कई दिनों तक वहीं फंसे रहे.
जोधपुर. हम जब वहां थे वह मंजर बड़ा ही दुखद था मानों ऐसा लग रहा था जैसे किसी कब्रिस्तान में आ गए हैं इस तरह जमीन पर लाशें पड़ी हुई थी… यह कहना है इस घटना को अपनी आंखों के सामने देखने वाले जोधपुर और पाली रोड के पास कुड़ी भगतासनी हाउसिंग बोर्ड के रहने वाले दिनेश पिंटू सारस्वत का. 29 जनवरी को मौनी अमावस्या के दिन अपने परिवार सहित कुंभ स्नान के लिए गए सामाजिक कार्यकर्ता पिंटू सारस्वत और उनके परिवार ने जोधपुर पहुंचकर लोकल 18 से खास बातचीत में प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ के दौरान हुई घटना के बारे में बताया. दिनेश पिंटू सारस्वत अपने परिवार के साथ बड़े ही उत्साह और उमंग के साथ महाकुंभ के लिए परिवार सहित गए थे मगर उनको क्या पता था कि वहां इस तरह का मंजर उनको देखना पड़ेगा, जिसके चलते काफी दिनों तक वह वहीं पर फंसे रह जाएंगे.
लोकल-18 से खास बातचीत करते हुए दिनेश पिंटू सारस्वत ने कहा कि बड़ी आस्था से हम जोधपुर से कार करवाकर गए थे. जिस खुशी के साथ हम गए और वहां इस तरह का माहौल देखा तो हमारी आंखें नम हो गई. वहां भगदड़ मची तो लोग एक दूसरे के ऊपर से कूद कूदकर जाने लगे. मेरे साथ एक ऐसी महिला थी जिनके दोनों पैरो में राड डली हुई थी वह पंजे के सहारे जैसे तैसे चल रही थी. वहां हमे प्रशासन का कुछ सहयोग नहीं मिला. जहां भगदड़ हुई उस जगह हम मौजूद थे. खुशी थी कि इतने सालों बाद अवसर आया है तो मौनी अमावस्या का दिन चुना था. जेब में पैसे थे मगर कंडीशन ऐसी थी कि कुछ खा तक नहीं पा रहे थे.
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मन में था कि घर आएंगे भी या नहींपैरों में राड लगी महिला लीला कंवर ने वहा के हालात बया करते हुए कहा कि दोनों पेरो में राड डली हुई है. 50 किलोमीटर तक पैदल चलना पड़ा किसी प्रकार की कोई सुविधा नहीं थी. हालात ऐसे थे कि मन में यह लग रहा था कि जिस तरह से वहा भगदड़ मची तो लोगों के लाशों का ढेर देखकर लगा कि आखिर हम भी घर जा पाएंगे कि नहीं. वहीं मंजू सारस्वत ने कहा कि भगदड़ से जैसे तैसे करके जान बचाई. 6-6 घंटे गाडियों में बैठे रहे किसी प्रकार का पानी नाश्ता कुछ नहीं मिल रहा था. जान बचाकर जैसे तैसे हम आ पाए है मन में तो था कि आखिर वापस आ पाएगा या नहीं मगर भगवान की कृपा थी.
आज भी याद आता है मंजर तो सहम जाता है दिलपाली की रहने वाली प्यारी देवी भी आज जब उस मंजर को याद करती हैं तो दिल सहम सा जाता है. प्यारी देवी बताती हैं कि भगवान ने मुझे बचाया था अगर में भी नीचे गिर जाती तो शायद वापस अपने घर नहीं आ पाती. कोई भी ढूंढने वाला नहीं था बस नीचे नहीं गिरी यही भगवान की कृपा है. इतनी भगदड़ मची कि कुछ नहीं देख रहा था अटेचिया लोगों का सामान सब जगह-जगह बिखरा पड़ा था और ऊपर से दौड़कर सब भागते रहे. आज भी जब वह मंजर याद आता है तो सहम जाती हू.
Location :
Pali,Pali,Rajasthan
First Published :
February 10, 2025, 12:45 IST
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बड़ा ही दुखद था वो दिन, आंखों के आगे था कब्रिस्तान जैसा मंजर, हम बाल-बाल बचे