Power Crisis In Rajasthan – राजस्थान के ग्रामीण इलाकों में रात को अंधेरा, नहीं सुधरे बिजली संकट के हालात

राजस्थान में बिजली संकट के चलते ग्रामीण इलाकों में अंधेरा पसर रहा है और ग्रामीण रातभर जागकर गुजार रहे हैं। उधर, बिजली कम्पनियां कोल इंडिया को दोषी ठहरा रही हैं।

जयपुर। राजस्थान में बिजली संकट के चलते ग्रामीण इलाकों में अंधेरा पसर रहा है और ग्रामीण रातभर जागकर गुजार रहे हैं। उधर, बिजली कम्पनियां कोल इंडिया को दोषी ठहरा रही हैं। यह भी कहा जा रहा है कि मानसून की विदाई हो रही है जिससे गर्मी बढ़ गई है और बिजली की मांग तेजी से बढ़ रही है। राजस्थान में अगस्त में भी कोयले की कमी से बिजली का संकट खड़ा हो गया था और ऊर्जा मंत्री को दिल्ली तक दौड़ लगानी पड़ी थी। अब फिर से वही हालात बनते नजर आ रहे हैं। बिजली कम्पनियों के आला अधिकारियों ने लोगों की समस्या को दूर करने की बजाय फोन तक उठाना बंद कर दिया है। उधर, उपभोक्ता हैं कि बिजली के लिए दफ्तर चक्कर लगाकर थक चुके हैं।
राजस्थान को एक अक्टूबर से कोयला तय मात्रा से कम दिया जा रहा है और ऐसे में बिजली कम्पनियां गुपचुप में बिजली कटौती करती रहीं। अधिकारियों ने अब जाकर खुलासा किया है कि कोयला मंत्रालय के सब-ग्रुप ने 7 कोयले की रेक प्रतिदिन देने का निर्णय लिया था, लेकिन राजस्थान को 1 से 5 अक्टूबर के बीच कोयले की केवल 4 रेक प्रतिदिन ही मिल पाई है। बताया जा रहा है कि कोयले की कमी पूरे देश में होने वाली है। ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि राजस्थान को आगे भी कोयले की कम रेक ही मिलेंगी। यदि ऐसा होता है तो राजस्थान के ग्रामीणों को ना जाने कितनी रातें अंधेरे में रहना पड़ सकता है।
यह जवाब है विद्युत निगम के पास
बिजली वितरण कम्पनियों का कहना है कि कोल इंडिया से कोयले की पर्याप्त आपूर्ति नहीं होने से राजस्थान के थर्मल प्लांटों में विद्युत उत्पादन प्रभावित हो रहा है। दूसरा कारण गर्मी को बताया जा रहा है। राजस्थान से मानसून की हो रही विदाई एवं लगाातार गर्मी बढ़ने के कारण बिजली की मांग में 3 हजार 500 मेगावाट की बढ़ोतरी हुई हैं। बिजली की मांग 9 हजार मेगावाट के लगभग चल रही थी वह अब 12 हजार 500 मेगावाट तक पहुंच गई है। राजस्थान में 2000 लाख यूनिट प्रतिदिन चल रही विद्युत खपत भी बढ़कर 2400 लाख यूनिट प्रतिदिन हो गई हैं। कोल इंडिया से कोयले की कम आपूर्ति की वजह से राजस्थान के थर्मल प्लांटों में विद्युत उत्पादन कम हो रहा हैं। विद्युत की मांग व खपत में लगातार हो रही बढ़ोतरी व कोल इंडिया से कायले की पर्याप्त आपूर्ति नहीं होने की वजह से राजस्थान के थर्मल प्लांटों में विद्युत उत्पादन प्रभावित हो रहा है। जिसके चलते ग्रिड की सुरक्षा बनाए रखने के लिए ग्रामीण क्षेत्रों व मुनिसिपल क्षेत्रों में रोस्टर से लोड शेडिंग करनी पड़ रही है।
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राजस्थान के कम मिल रहा कोयला
विद्युत वितरण निगमों के अध्यक्ष भास्कर ए. सावंत ने बताया की सूरतगढ थर्मल पावर प्लांट की 250 मेगावाट की 6 इकाइयों व छबड़ा थर्मल की 250 मेगावाट की 2 इकाइयों तथा कोटा थर्मल की 1240 मेगावाट की 7 इकाइयों के लिए कोयला कोल इंण्डिया लि. की सबसीडरी कम्पनीज एनसीएल व एसईसीएल से प्राप्त होता हैं उच्चस्तरीय बातचीत के बाद 1 अक्टूबर को कोयला मंत्रालय के सब-ग्रुप ने 7 कोयले की रेक प्रतिदिन देने का निर्णय लिया था लेकिन राजस्थान को 1 से 5 अक्टूबर के मध्य कोयले की केवल 4 रेक प्रतिदिन ही मिल पाई है।
विंड पावर भी मिल रही कम
सावंत ने बताया कि राजस्थान सरकार के स्तर पर लगातार प्रयास किए जा रहे हैं, जिससे राजस्थान के थर्मल प्लांटों को कोल इंडिया से पर्याप्त कोयले की आपूर्ति हो सके। उसके बाद ही प्रदेश के पावर प्लांटों में सामान्य रूप से विद्युत उत्पादन शुरू हो सकेगा। उन्होंने बताया कि विंड पावर जो सामान्यतया 500 से 1000 मेगावाट मिलती थी वह भी अब बहुत कम मात्रा में मिल रही है।
इन इकाइयों से उत्पादन बंद
सावंत ने बताया कि कोल इंडिया द्वारा कोयले की पर्याप्त आपूर्ति नहीं होने की वजह से कोयले की कमी के कारण सूरतगढ थर्मल की 250 मेगावाट की 5 इकाईयां बन्द हैं। इसके अलावा छबड़ा थर्मल की 250 मेगावाट की 2 इकाईयों के लिए कोल इंडिया द्वारा काफी समय से कोयले की आपूर्ति नहीं की जा रही है। उधर, अन्य तकनीकी कारणों से छबड़ा की 660 मेगावाट की एक इकाई, कालीसिंध की 600 मेगावाट की एक इकाई व छबड़ा थर्मल की 250 मेगावाट की 3 इकाईयां बन्द हैं।