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बीएसएफ के इन ‘रेगिस्तानी जहाजों’ ने निभाई वफादारी, अब शानदार रियाटरमेंट के लिए की गई ये तैयारी

Last Updated:May 06, 2025, 14:56 IST

BSF Camels: बीएसएफ ने राजस्थान के रेतीली इलाकों से सटी भारत-पाक सीमा की निगरानी के लिए ऊंटों का सहारा लिया. बीएसएफ ने साल 1975 में पहली बार ऊंट दस्ता बीएसएफ में शामिल किया और 1976 में गणतंत्र दिवस परेड में हिस्…और पढ़ेंX
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बीएसएफ के सारथी रहे है ऊंट

बाड़मेर. रेगिस्तान के जहाज जो सीमा पर सैनिकों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर देश की रक्षा करता है, अब सेवानिवृत्ति की राह पर है. जी हां….जैसलमेर में बीएसएफ की 35वीं बटालियन अपने वफादार ऊंटों को रिटायर कर एक अनूठी पहल शुरू कर रही है. इन ऊंटों ने न केवल भारत-पाक सीमा की निगरानी में साथ दिया बल्कि गणतंत्र दिवस की परेड से लेकर युद्ध के मैदानों तक अपनी अद्भुत भूमिका निभाई है.

जैसलमेर में बीएसएफ की 35वीं बटालियन ने ऊंटों को रिटायर करने और गोद देने की अनूठी पहल शुरू की है. रेगिस्तान का जहाज कहे जाने वाले ये ऊंट दशकों से भारत-पाक सीमा की सुरक्षा में अहम भूमिका निभाते रहे हैं. बीएसएफ ने चार ऊंटों को रिटायर कर गोद लेने की प्रक्रिया शुरू की है. इसके लिए इच्छुक व्यक्ति या संस्थाएं बीएसएफ मुख्यालय से संपर्क कर सकते हैं. गोद लेने वालों को ऊंटों की देखभाल, पोषण और उपचार सुनिश्चित करना होगा और इन्हें व्यापारिक उपयोग या खेल में इस्तेमाल से दूर रखना होगा.

बीएसएफ में ऊंटों का इतिहास गौरवशाली रहा है. साल 1975 में पहली बार ऊंट दस्ता बीएसएफ में शामिल हुआ और 1976 में गणतंत्र दिवस परेड में हिस्सा लिया. 1990 से यह दस्ता बैंड के साथ परेड में शामिल होने लगा है. ऊंटों ने 1965 और 1971 के युद्धों में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया है. बीएसएफ की कैमल माउंटेड बैंड को “आठवां अजूबा” कहा जाता है, जो मधुर संगीत और अनुशासित प्रदर्शन से सबको मंत्रमुग्ध कर देते हैं.

वर्तमान में बीएसएफ के पास करीब 1,200 ऊंट हैं, जिन्हें जोधपुर के मंडोर रोड स्थित प्रशिक्षण केंद्र में 5 साल की उम्र से प्रशिक्षित किया जाता है. प्रशिक्षण में बैंड की धुनों, तेज आवाज में संयोजन, चलने का क्रम, उठना-बैठना और गर्दन घुमाना शामिल है. एक ऊंट औसतन 15 साल सेवा देता है, जिसके बाद उसे रिटायर किया जाता है.

Location :

Barmer,Rajasthan

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बीएसएफ के ‘रेगिस्तानी जहाजों’ ने निभाई वफादारी, अब शानदार रिटारमेंट की तैयारी

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