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Punjab के पूर्व CM अमरिंदर सिंह 'तनखैया' घोषित किये जाने के बावजूद चुनावों को लेकर चिंतित नहीं, जानिए क्यों

पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह पंजाब विधानसभा चुनावों के लिए जोर शोर से तैयारियां कर रहे हैं। इस बीच खबर आई कि उन्हें अकाल तख्त के ‘कार्यकारी समानांतर’ जत्थेदार ध्यान सिंह मंड ने ‘तनखैया’ घोषित कर दिया है। इस घोषणा के बावजूद अमरिंदर सिंह चिंतित नहीं दिखाई दे रहे, बल्कि पूरा फोकस चुनावों पर कर रखा है। अमरिंदर सिंह अपना सियासी कुनबा बढ़ाने में व्यस्त हैं और कॉंग्रेस को झटके दे रहे हैं। ताजा मामले में कांग्रेस नेता प्रिंस खुल्लर ने भी अब अमरिंदर का हाथ थाम लिया है। ऐसे में सवाल उठते हैं कि ‘तनखैया’ घोषित किए जाने के बाद भी उन्हें इसकी कोई चिंता क्यों नहीं है?

क्या कारण है इस बेफिक्री है?

तनखैया घोषित किए जाने के बावजूद अमरिंदर सिंह के व्यवहार को देखकर आप समझ जाएंगे कि वो इसे गंभीरता से बिल्कुल नहीं ले रहे हैं।इसका कारण है इस आदेश का कोई आधिकारिक वजूद न होना है। दरअसल, तख्त श्री हरमंदिर साहिब स्थित श्री अकाल तख्त के आधिकारिक (निर्वाचित) जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह हैं और उन्होंने ‘तनखैया’ की घोषणा नहीं की है।

इसकी घोषणा अकाल तख्त के ‘कार्यकारी समानांतर’ जत्थेदार ध्यान सिंह मंड ने की है। इसका अर्थ ये है कि जत्थेदार के रूप में मंड के अपने अधिकार ही विवादास्पद हैं।

मंड की नियुक्ति विवादास्पद मानी जाती है इसलिए इन्हें ‘समानांतर’ जत्थेदार के रूप में देखा जाता है। जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह के निजी सहायक के अनुसार मंड अकाल तख्त में नहीं बल्कि बाहर अपनी पैठ करते हैं और उनका दर्जा अन्य सिखों की भांति ही है। उन्होंने स्पष्ट किया कि ‘समानांतर’ जत्थेदार को कोई भी घोषणा करने का अधिकार नहीं होता है। यदि वो कोई घोषणा करता भी है तो वो आधिकारिक नहीं मानी जाएगी।

क्या है मामला?

दरअसल, वर्ष 2018 में जब पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह थे तब कई सिख संगठनों ने 2018 में गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी मामले के खिलाफ धरना प्रदर्शन किया था। इस दौरान उन्होंने मांग कि थी 2015 में गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी मामले दोषियों को जल्द से जल्द सजा दी जाए। इस विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व ध्यान सिंह मंड ने ही किया था। दिसंबर 2018 में कैप्टन के आश्वासन के बाद ये धरना प्रदर्शन खत्म कर दिया गया था। अमरिंदर सिंह के साथ तब और भी कैबिनेट मंत्री थे।

अभी तक इस मामले को लेकर एक्शन न लेने की बात सामने आ रही है। अब सत्ता में चरणजीत सिंह चन्नी हैं पर इनपर भी नवजोत सिंह सिद्धू ने एक्शन न लेने का आरोप मढ़ा है।

इस बीच पंजाब चुनावों से पूर्व कैप्टन अमरिंदर सिंह को बरगारी (Bargadi) बेअदबी मामले में ‘झूठा आश्वासन’ देकर आंदोलन खत्म करवाने और कोई एक्शन न लेने के लिए दोषी ठहरा दिया गया है। इसी आरोप के तहत उन्हें तनखैया घोषित कर दिया गया है।

तनखैया का मतलब क्या है?

सिख धर्म के अनुसार तनखैया का अर्थ, सिख धर्म से निष्कासित कर दिया जाना। यदि किसी सिख को तनखैया घोषित किया गया है तो कोई भी सिख न तो उससे कोई संपर्क रखेगा न ही संबंध। उसके यहाँ किसी भी कार्यक्रम में कोई हिस्सा नहीं ले सकता है।

तनखैया घोषित होने के बाद वो नजदीकी सिख संगत के समक्ष इसकी माफी मांग सकता है। इसके बाद इसकी समीक्षा होती है और उसी हिसाब से दंड का प्रावधान है। सजा पूरी होने के बाद तनखैया हटा दिया जाता है।

कौन कर सकता है इसकी घोषणा ?

तनखैया की घोषणा सिख पंथ की सर्वोच्च संस्था ही करती है, परंतु अमरिंदर सिंह के मामले में ये घोषणा एक ‘समानांतर’ जत्थेदार द्वारा की गई है। यदि ये घोषणा जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह करते तो इसको पूरा महत्व दिया जाता जिससे अमरिंदर सिंह की मुश्किलें चुनावों में बढ़ जाती। उस स्थिति में उन्हें पंजाब के सिखों का समर्थन नहीं मिलता और न ही कोई सिख उनकी रैली में दिखाई देता।

ऐसा लगता है कि अमरिंदर सिंह को भी पता है कि मंड की घोषणा उनकी चुनावी तैयारियों पर कोई प्रभाव नहीं डालेगा।

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