Rajasthan: पोखरण में खुली पहली कैमल मिल्क डेयरी, ऊंटनी के दूध से बनेगी आइस्क्रीम और बिस्किट

SANWAL DAN
जैसलमेर. पश्चिमी राजस्थान की पहली कैमल मिल्क डेयरी (Camel Milk Dairy) परमाणु नगरी पोखरण (Pokhran) में स्थापित हो चुकी है. डेयरी लगाने का कार्य पिछले कई महीनों से चल रहा था. वर्तमान में डेयरी के अंदर ऊंटनी के दूध की टेस्टिंग (Camel Milk Testing) कर प्रचार और प्रसार के लिए अन्य जगहों पर भेजा जा रहा है. डेयरी लगने से सीमांत जिले के ऊंट पालकों को बड़ी राहत मिलेगी और रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे. इससे ऊंटों की घटती संख्या पर भी ब्रेक लगेगा. पोकरण शहर के जैसलमेर रोड स्थित उरमूल परिसर से संचालित मरुगंधा परियोजना के द्वारा लगभग 80 लाख की लागत से पश्चिमी राजस्थान की प्रथम कैमल मिल्क डेयरी स्थापित की गई है. गौरतलब है कि राज्य सरकार ने 2014 को ऊंट को राज्य पशु का तो दर्जा दे दिया, लेकिन संरक्षण के अभाव में राज्य पशु विलुप्त होने के कगार पर पहुंच गया. डेयरी स्थापित होने से ऊंट पालकों को रोजगार मिलेगा तो सरहदी जिले में ऊंटों की संख्या भी बढ़ेगी.
कैमल क्लस्टर कॉर्डिनेटर नगेन्द्र माथुर ने बताया कि पोकरण में स्थापित डेयरी के लिए पोकरण विधानसभा के 240 ऊंट पालकों का एक समूह बनाया गया है जिसका श्री पाबूजी राठौड़ा ट्रस्ट दुग्ध उत्पादक सहकारी समिति लिमिटेड नाम रखा गया है. समूह में कुल 28 हजार ऊंट शामिल है. इस फेडरेशन के माध्य्म से ऊंटनी का दूध डेयरी तक पहुंचेगा. इसके बाद डेयरी में इसकी गुणवत्ता को परखने व स्वास्थ्य की दृष्टि से लाभ पहुंचाने के लिए टेस्टिंग की जाएगी. उसके बाद दूध बाजार में बिक्री के लिए पहुंचेगा. इससे पहले खेतोलाई व धोलिया गांव के बीच गंगाराम की ढाणी में ऊंटनी के दूध की जांच के लिए छोटे स्तर पर बीएमसी स्थापित की गई है.
दूध की जांच की जाएगी
प्रथम स्तर पर दूध की जांच की जाएगी. उसके बाद डेयरी तक दूध आएगा. डेयरी में स्थापित लेब में दूध की टेस्टिंग की जाएगी. माथुर ने बताया कि ऊंट पालकों से हम दूध 40 रुपये प्रति लीटर लेंगे. सभी तरह के खर्च के बाद बाजार में विक्रय की कीमत 60 रुपये प्रति लीटर रखी गई है. जहां-जहां डिमांड के अनुसार जरूरत होगी वहां ऊंटनी का दूध सप्लाई किया जाएगा. फिलहाल पोकरण, जैसलमेर और फलोदी में प्रचार व प्रसार के लिए बिना शुल्क दूध दिया जा रहा है. बाद में बड़े स्तर पर डेयरी में दूध बनने के बाद सम्पूर्ण राजस्थान में सप्लाई किया जाएगा. ऊंटनी का दूध मंदबुद्धि, कैंसर, लीवर, शुगर के साथ कई जटिल बीमारियों में औषधि के रूप में उपयोग लिया जाता है. ऊंटनी का दूध रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में भी सहायक होता है
पोकरण में स्थापित कैमल मिल्क डेयरी में प्रतिदिन 1 हजार लीटर प्रतिदिन दुग्ध तैयार किया जाएगा. बाद में मांग बढ़ने पर दूध उत्पादन की क्षमता बढ़ाई जाएगी. डेयरी में ऊंटनी के दूध से आइस्क्रीम, बिस्किट, साबुन और कॉफी भी तैयार हो रही है. क्लस्टर कॉर्डिनेटर नगेन्द्र माथुर ने बताया कि ऊंटनी के दूध की मांग राज्य, राष्ट्रीय व अन्तराष्ट्रीय स्तर भी मांग रहती है. समय के साथ-साथ इन स्तरों भी ऊंटनी का दूध व दूध से बने उत्पाद विक्रय किए जाएंंगे. 72 घण्टे तक दूध की उच्च गुणवत्ता बनी रहती है.