Dungarpur News: बिल्डिंग के बाहर लगा था हॉस्पिटल का बोर्ड, लगी थी मरीजों की भीड़, अंदर का नजारा देख हैरान हुए स्वास्थ्य अधिकारी

भारत में स्वास्थ्य व्यवस्था पर आए दिन सवाल उठते रहते हैं. पहले तो झोलाछाप डॉक्टर्स के चंगुल में लोग फंस जाते थे. लेकिन अब फ्रॉड का तरीका काफी एडवांस हो चुका है. अब नकली डॉक्टर नहीं, नकली अस्पताल ही खुलने लगे हैं. ऐसे ही एक अस्पताल का खुलासा बीते दिनों डूंगरपुर स्वास्थ्य विभाग ने किया. एक अस्पताल की कई बारे शिकायत मिलने के बा दजब स्वास्थ्य अधिकारीयों ने वहां निरीक्षण किया तो हैरत में पड़ गए.
डूंगरपुर जिला अस्पताल के पास ही एक ईमारत में प्राइवेट हॉस्पिटल खोला गया था. श्रीराम चिकित्सालय के नाम से चल रहे इस हॉस्पिटल में कई मरीज भर्ती थे. खासकर अंदर दो प्रेग्नेंट महिलाएं डिलीवरी के इंतजार में एडमिट मिली. जब टीम अंदर गई और उन्होंने जांच की तो पाया कि वहां कई तरह की अनियमितताएं थी. अंदर कोई डॉक्टर नहीं था. पूरा अस्पताल स्टाफ के ऊपर चल रहा था. इसके बाद टीम ने हॉस्पिटल को सीज कर दिया.
नहीं मिला एक भी डॉक्टरएसीएमएचओ डॉ विपिन मीणा ने जांच के बारे में बताया कि कई बार उन्हें इस अस्पताल की शिकायत मिल चुकी थी. जब जांच की गई तो पाया कि अस्पताल में प्रेग्नेंट महिलाएं डिलीवरी के लिए एडमिट करवाई गई हैं लेकिन वहां एक भी गायनिक नहीं थी. ना ही अंदर कोई डॉक्टर ही मौजूद था. इसकी वजह से अस्पताल को सीज कर दिया गया है.
स्टाफ भी नहीं थे प्रशिक्षितअस्पताल ने जिन स्टाफ को हायर कर रखा था, वही अस्पताल का सारा काम देख रहे थे. हालांकि, जांच में पता चला कि वो भी बिना ट्रेनिंग के ही काम कर रहे थे. जांच में पता चला कि श्रीराम अस्पताल के रजिस्टर्ड डॉ जिगनेश डामोर एमबीबीएसधारी ही है. इस कारण हॉस्पिटल का रजिस्ट्रेशन सिर्फ डे-केयर (ओपीडी) के लिए ही किया गया था. लेकिन उन्होंने हॉस्पिटल में डिलीवरी भी शुरू करवा दी. लेकिन इसके लिए किसी विशेषज्ञ गायनिक डॉक्टर से एमओयू नहीं किया गया था. वहां बिना ट्रेनिंग के स्टाफ ही डिलीवरी करवा रहे थे.
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FIRST PUBLISHED : October 17, 2024, 14:50 IST