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रूसी नागरिकता के लालच में गोरखा सैनिक वैगनर आर्मी में हो रहे शामिल, क्‍यों नहीं रोक पा रहा नेपाल

Gurkha Soldiers and Wagner Army: नेपाल के नागरिक रूस की निजी सैन्य कंपनी वैगनर ग्रुप में भाड़े के सैनिकों के तौर पर शामिल हो रहे हैं. इनमें से कुछ नेपाल सेना से सेवानिवृत्त भी हो चुके हैं. इसके तीन कारण बताए जा रहे हैं. पहला कारण नेपाल में बेरोजगारी दर का 11.12 फीसदी के उच्‍चस्‍तर पर पहुंचना है. दूसरा कारण भारतीय सेना के लिए नई भर्ती स्‍कीम ‘अग्निपथ योजना’ को माना जा रहा है. वहीं, सबसे बड़ा कारण रूस की नागरिकता का लालच बताया जा रहा है. दरअसल, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने 16 मई 2023 को ऐलान किया कि जो विदेशी लड़ाके यूक्रेन युद्ध में उनकी तरफ से लड़ेंगे, उनके लिए रूसी नागरिकता हासिल करने की प्रक्रिया आसान बना दी गई है.

नेपाल की सरकार अपने युवाओं के वैगनर ग्रुप में शामिल होने के चिंताजनक युझान से सतर्क हो गई है. दरअसल, नेपाल और रूस के बीच कोई द्विपक्षीय समझौता नहीं है. वहीं, मॉस्को में नेपाल के दूतावास का दावा है कि नेपाली युवा अपनी व्यक्तिगत क्षमता से रूस पहुंच रहे हैं. इस समय एक दर्जन से ज्‍यादा नेपाली युवा रूस में हथियार चलाने और लड़ाई का प्रशिक्षण ले रहे हैं. दरअसल, यूक्रेन के खिलाफ युद्ध में रूस को भारी नुकसान उठाना पड़ा है. हालात ऐसे हो चुके हैं कि रूसी सरकार को सेना में शामिल होने वाले लोग नहीं मिल पा रहे हैं. ऐसे में क्रेमलिन ‘विशेष सैन्‍य अभियान’ के तहत उन विदेशियों को तेजी से नागरिकता दे रहा है, जो रूसी सेना के साथ एक साल के अनुबंध पर हस्‍ताक्षर कर रहे हैं.

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मामले में कुछ नहीं कर सकती है नेपाल सरकार
रूस विदेशी लड़ाकों के साथ ही उनके परिवार के सदस्‍यों को भी आसान तरीके से रूसी नागरिकता की पेशकश कर रहा है. नेपाल और नेपाली सरकार के लिए यह चिंताजनक स्थिति है. वहीं, नेपाल सरकार इसको लेकर कुछ भी नहीं कर सकती है, क्‍योंकि रूस में प्रशिक्षण ले रहे नेपाली युवा व्यक्तिगत क्षमता से वहां पहुंचे हैं. यूरेशियन टाइम्‍स की रिपोर्ट के मुताबिक, नेपाल सेना के रणनीतिक विश्लेषक सेवानिवृत्‍त मेजर जनरल बिनोज बसन्यात का कहना है कि अगर नेपाली नागरिक एक संप्रभु राष्ट्र की सैन्य ताकतों का हिस्सा हैं, तो इसे सरकार की विदेश नीति का हिस्सा होना चाहिए या दूसरे देश के साथ समझौता होना चाहिए. रूस के मामले में ऐसा कुछ भी नहीं है. उन्होंने कहा कि नेपाल सरकार को जल्द इस पर ध्यान देने की जरूरत है.

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रूस विदेशी लड़ाकों के साथ ही उनके परिवार के सदस्‍यों को भी आसान तरीके से रूसी नागरिकता की पेशकश कर रहा है.

लौटने से बेहतर मान रहे पीएमसी में भर्ती होना
हाल के दिनों में सोशल मीडिया प्‍लेटफॉर्म टिकटॉक, टेलीग्राम और यूट्यूब पर कई ऐसे वीडियो आए हैं, जिनमें नेपाली युवाओं को रूसी सेना में शामिल होते दिखाया गया है. कुछ वीडियो में नेपाली युवाओं को प्रशिक्षण लेते हुए भी दिखाया गया है. वहीं, कुछ वीडियो में उन्हें ट्रेनिंग लोकेशन पर जाते देखा जा सकता है. कुछ वीडियो नेपाली युवाओं ने खुद ही शूट किए हैं. नेपाल प्रेस ने देश के कोशी क्षेत्र से रूस पहुंचे एक युवा से संपर्क किया. वह रूसी स्‍टेट यूनिवर्सिटी में पढ़ रहा था. उसका वीजा खत्म होने वाला था. उसका कहना है कि पढ़ाई खत्म करने के बाद उसके पास दो विकल्प थे. पहला, नेपाल लौट जाए और बेरोजगार हो जाए. वहीं, दूसरे विकल्‍प के तौर पर रूसी सेना में नौकरी करे और एक साल में नागरिकता हासिल कर ले.

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‘एक साल तक नहीं मरे तो हम यहीं रह सकते हैं’
रूस से पहले नेपाल के नागरिकों के फ्रांस की सेना में शामिल होने की खबरें भी आई थीं. अच्छी फिटनेस नेपाली युवाओं के लिए प्राइवेट आर्मी की रैंकों में प्रवेश करना आसान बनाती है. नेपाल के कोशी के युवा ने बताया कि हमें आधुनिक हथियार चलाना सिखाया जा रहा है. प्रशिक्षण पूरे दिन चलता है. कभी-कभी रात में भी ट्रेनिंग दी जाती है. प्रशिक्षण अवधि के दौरान बीमा समेत करीब 50 हजार नेपाली रुपये वेतन दिया जाता है. वहीं, एक साल के बाद रूस की नागरिकता भी मिल जाती है. वह कहता है कि अगर मैं एक साल में नहीं मरा, तो यहीं रहूंगा.

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नेपाली सेना छोड़ वैगनर सेना में हुआ शामिल
नेपाल के करनाली क्षेत्र के एक युवक के नेपाली सेना छोड़कर रूस में भाड़े के सैनिकों में शामिल होने का मामला भी सामने आया है. नेपाल की सेना में उसका प्रशिक्षण रूसी सेना में शामिल होने में भी उसके काम आया. उसने बताया कि हम नेपाल जैसे पहाड़ों वाली जगह पर हैं. मैं यहां लगभग 200 विदेशियों और तीन नेपाली मित्रों के साथ हूं. हम फ्रांसीसी सेना में शामिल होने की सोच रहे थे. लेकिन, इसकी प्रक्रिया काफी लंबी थी और यूरोप में घुसना भी मुश्किल था. उसके मुताबिक, रूस आना ज्‍यादा आसान है.

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गोरखा सैनिकों को दुनिया के सबसे खतरनाक लड़ाकों में गिना जाता है.

वैगनर ग्रुप ने खत्‍म किया भाषा का वैरियर
वैगनर समूह ने भाड़े का सैनिक बनने के लिए रूसी भाषा जानने की जरूरत भी खत्‍म कर दी है. अब सैनिकों का सिर्फ अंग्रेजी जानना ही काफी है. नेपाल के सेवानिवृत्‍त मेजर जनरल बासन्यात कहते हैं कि पढ़ाई पूरी करने के बाद बड़ी संख्या में युवा रोजगार के लिए बाहर आ रहे हैं. नेपाल उन्हें नौकरी नहीं दे पा रहा है. इसी वजह से नौकरी की तलाश में दूसरे देशों में जाने वाले नेपाली युवाओं की संख्या में बढ़ोतरी हुई है. अंतरराष्‍ट्रीय श्रम संगठन के मुताबिक, नेपाल की कुल आबादी का 63.7 फीसदी हिसा 30 वर्ष से कम आयु का है. वहीं, 15-29 साल की आयु वर्ग के युवाओं की बेरोजगारी दर 19.2 फीसदी है. अनुमान के मुताबिक, नेपाल में सालाना 4,00,000 से ज्‍यादा युवा श्रम बल तैयार हो रहा है.

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क्‍यों रूस का रुख कर रहे नेपाल के युवा
रोजगार के ज्‍यादातर अवसर नेपाल के अनौपचारिक क्षेत्रों में हैं, जहां काम करने की स्थिति और मजदूरी काफी खराब है. इसलिए बड़ी संख्या में नेपाली युवा विदेशों का रुख कर रहे हैं. रूस में न केवल अपने लिए बल्कि अपने परिवार के सदस्यों के लिए भी नागरिकता का लालच इन युवाओं के लिए आसान सौदा है. एक रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2023 में एक भी नेपाली गोरखा भारतीय सेना में शामिल नहीं होगा. दरअसल, नेपाल में कम्युनिस्ट सरकार ने हर साल भारतीय सेना में शामिल होने वाले 1,300 गोरखाओं की भर्ती की अनुमति नहीं देने का फैसला किया है. बता दें कि भारतीय सेना नेपाली सेना के मुकाबले ढाई गुना भुगतान करती है. साथ ही पेंशन के जरिये आर्थिक और सामाजिक सुरक्षा भी उपलब्‍ध कराती है.

क्‍या है गोरखा लड़ाकों का इतिहास
दुनियाभर में सबसे उग्र सैनिकों के तौर पर सम्मानित गोरखा को साल 1815 से भारतीय सेना और ब्रिटिश सेना में भर्ती किया जाता रहा है. अंग्रेजों ने ही गोरखा रेजिमेंट की स्थापना की थी. उन्होंने कई सैन्य अभियानों में बहादुरी से लड़ाई लड़ी. भारत की आजादी के बाद भारतीय सेना ने गोरखा सैनिकों की छह रेजिमेंट बरकरार रखीं. वहीं, चार भारत, नेपाल और यूके के बीच त्रिपक्षीय समझौते के हिस्से के रूप में ब्रिटिश सेना में चली गईं. अब भारत और नेपाल अपनी राजनीतिक समस्याओं को सुलझाने में व्‍यस्‍त हैं. इय बीच बेरोजगारी में फंसे नेपाली युवाओं ने बेहतर जीवन जीने के लिए रूस के लिए मरने का जोखिम उठाना चुना है.

Tags: Agnipath scheme, Gurkha, India Nepal Relation, Nepal, Russia ukraine war, Vladimir Putin, Wagner Group

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