Rajasthan

Rajasthan Chunav Result: शेखावाटी में क्यों हुई बीजेपी साफ? क्या अग्निवीर बनी कारण या फिर कुछ और…

जयपुर. राजस्थान में दस साल बाद लोकसभा चुनावों में बीजेपी को जोरदार झटका लगा है. वहीं कांग्रेस ने जबर्दस्त तरीके से वापसी की है. कांग्रेस ने बीजेपी के विजयी रथ को 25 से 14 सीटों पर थाम दिया है. कांग्रेस ने खुद की आठ सीटों समेत इंडिया गठबंधन के साथ तीन अन्य सीटों पर जीत का परचम लहराया. इनमें बीजेपी को सबसे तगड़ा झटका शेखावाटी में लगा. शेखावाटी में बीजेपी ने सूफड़ा साफ हो गया. यहां की तीनों सीटें सीकर, चूरू और झुंझुनूं सीट कांग्रेस ने बीजेपी से छीन ली. इससे बीजेपी सकते में हैं.

शेखावाटी में बीजेपी की इस करारी हार के कई कारण गिनाए जा रहे हैं. इनमें अग्निवीर योजना का नाम भी चर्चा में है. शेखावाटी की तीनों सीटें जाट बाहुल्य हैं. इन तीनों सीटों पर दशकों से दोनों पार्टियां जाट समाज के प्रत्याशियों पर ही दांव लगाती आ रही है. लिहाजा यहां लगातार जाट जाति से सांसद बनते रहे हैं. शेखावाटी के तीनों जिले सैनिक बाहुल्य हैं. झुंझुनूं तो देश का सर्वाधिक सैनिक देने वाला जिला है. वहीं सीकर और चूरू में भी सैनिकों और पूर्व सैनिकों की काफी संख्या है.

शेखावाटी में अग्निवीर योजना की काफी चर्चा रहीयहां के युवा का पहला सपना सेना में जाने का होता है. यहां के युवक सैन्य भर्ती रैलियों में बड़ी तादाद में शामिल होते हैं. पूरी शेखावाटी के सैंकड़ों युवा देश की सरहद पर अपना सर्वस्व न्योछावर कर चुके हैं. लिहाजा यहां गांव-गांव ढाणियों में शहीदों की मूर्तियां लगी हैं. ऐसे में इस इलाके में केन्द्र सरकार की अग्निवीर योजना की काफी चर्चा रही. इस मॉडल पर कई बार युवा आक्रोशित होते भी दिखे. वहीं यह पूरा इलाका किसान बाहुल्य भी है. हांलाकि किसान आंदोलन में यहां के किसानों ने कोई ज्यादा सहभागिता ने नहीं निभाई थी लेकिन फिर भी किसानों आय दुगुनी के मसले को कांग्रेस ने यहां खूब भुनाया जिसका फायदा उसे मिला. ये वो मुद्दे थे जिनका पूरी शेखावाटी में असर रहा.

चूरू में मौजूदा सांसद की बगावत ले बैठीइनके अलावा अगर सीटवार देखें तो उसके अलग कारण गिनाए जा रहे हैं. इनमें चूरू सीट से बीजेपी ने अपने मौजूदा सांसद राहुल कस्वां का टिकट काटकर पैरा ओलम्पिक खिलाड़ी देवेन्द्र झाझड़िया को दे दिया था. इसके लिए कस्वां ने पूर्व नेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ को जिम्मेदार ठहराया. उसके बाद यहां के जातीय मुद्दा हावी हो गया. राहुल ने बीजेपी को छोड़कर कांग्रेस का दामन थाम लिया. कांग्रेस ने मौके को भुनाते हुए उनको मैदान में उतार दिया. कांग्रेस को इसका फायदा मिला और बीजेपी के हाथ से यह सीट निकल गई.

झुंझुनूं में भी कांग्रेस की रणनीति कामयाब रहीझुंझुनूं में भी बीजेपी ने प्रत्याशी बदला था लेकिन वहां दूसरे कारण हावी हो गए. बीजेपी के प्रत्याशी के प्रति वहां भी एक वर्ग विशेष में नाराजगी रही. लेकिनपार्टी ने उसकी परवाह नहीं की. दूसरी तरफ बीजेपी के समीकरण को बिगड़ते देखकर कांग्रेस ने यहां पूर्व में कई बार सांसद रह चुके शीशराम ओला के बेटे बृजेन्द्र ओला को मैदान में उतारकर सहानुभूति लेने की कोशिश की और वह उसमें सफल भी हो गई.

सीकर में माकपा का खासा प्रभाव हैसीकर में बीजेपी ने अपने मौजूदा सांसद स्वामी सुमेधानंद को लगातार तीसरी बार टिकट थमाया. सीकर में माकपा का प्रभाव है. यहां की धोद विधानसभा सीट पर चार बार और दांतारामगढ़ सीट पर एक बार माकपा जीत चुकी है. माकपा के प्रदेश सचिव अमराम राम वही के हैं. वे तीन बार धोद से और एक बार दांतारामगढ़ से चुनाव जीत चुके हैं. कई बार लोकसभा का चुनाव लड़ चुके हैं. वे किसानों के बड़े नेता हैं.

विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का यहां प्रदर्शन अच्छा रहा थासीकर शहर और खंडेला इलाके में भी माकपा का दखल है. इसके अलावा राजस्थान कांग्रेस पीसीसी अध्यक्ष गोविंद डोटासरा भी इसी सीट के लक्ष्मणगढ़ इलाके के हैं. डोटासरा लगातार चार बार से विधायक हैं. विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का यहां प्रदर्शन अच्च्छा रहा था. लिहाजा उसने इस सीट को गठबंधन के सहयोगी माकपा को देकर इसे जीतने की रणनीति बनाई. कांग्रेस अपनी इस रणनीति में सफल हुई. इसका परिणाम यह हुआ कि कांग्रेस इस सीट पर भी काबिज हो गई.

Tags: Jaipur news, Loksabha Election 2024, Rajasthan news

FIRST PUBLISHED : June 5, 2024, 12:51 IST

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