Rajasthan News: इस गांव में नवरात्रि के बाद होती है खास पूजा, तलवारों और अखंड ज्योति के साथ निकलती है परिक्रमा

Pali: राजस्थान एक ऐसा राज्य है जो ऐतिहासिक मंदिरों के अलावा अलग-अलग मान्यताओं के लिए प्रसिद्ध है. यहां पर आज भी ऐसे कई गांव हैं जहां अलग-अलग मान्यताओं के तहत गांव के लोग सालों पुरानी परंपराओं को निभाते चले आ रहे हैं. ऐसी ही एक परंपरा निभाते हैं पाली जिले में आने वाले गढ़वाड़ा गांव के लोग. यहां नवरात्रि के बाद 5 तलवारें लेकर अखंड ज्योति के साथ परिक्रमा निकाली जाती है. इसका उद्देश्य बीमारियों से पशुओं और इंसानों को बचाना है. हर साल की तरह इस साल भी इसी मान्यता के तहत गांव के लोगों ने बीमारियों से पशुओं और इंसानों को बचाने की कामना से पूजन के बाद परिक्रमा निकाली.
650 वर्षों से चली आ रही यह परंपरा गांव में यह परंपरा आज से नही बल्कि 650 वर्षों से जारी है. खास बात यह कि यह परिक्रमा जब से (1441 सन में) गांव की स्थापना हुई, तब से हर साल निकल रही है. नवरात्रि के बाद हवन और पूजा में गांव के सभी शस्त्र रखे जाते हैं. उन शस्त्रों में से 5 तलवारों को गांव के देव आई श्री पीठड़ मां देती हैं. उन्हीं 5 तलवारों के साथ पूरे गांव में अखंड ज्योति के साथ परिक्रमा लगाई जाती है. गांव के सभी निवासियों के साथ-साथ गांव के सभी मवेशियों को भी इस परिक्रमा के अंदर रखा जाता है. परिक्रमा पूरी होने के बाद ही उनको हाका (चरने के लिए भेजना) जाता है.
बीमारियों से बचाने की है मान्यता इस परंपरा को निभाने के पीछे मान्यता ये है कि जो परिक्रमा में रहता है उसके यहां खुशहाली आती है. नवरात्रि के दिन घट स्थापना के साथ ही अखंड ज्योत जलायी जाती है. इसके बाद 9 दिन तक गांव के सात मंदिरों में अखंड ज्योत रहती है. राजल चौक में 9 दिन मां की आराधना होती है. पूरे गांव ओरण में यह परिक्रमा लगाई जाती है. मान्यता है कि ये गोवंश को बीमारियों से बचाती है.
इस विशेष पूजन से आज भी खुशहाल है गांवलोकल 18 को जानकारी देते हुए इस गांव के निवासी नारायणदान ने बताया कि इस गांव में यह पूजा आज से नही बल्कि सालों से हो रही है. पुराने लोग बताते हैं कि 1441 में इस गांव की स्थापना के साथ ही इस परपंरा की शुरूआत हुई थी. पूरा गांव इस अखंड ज्योति के साथ परिक्रमा में शामिल होता है. इसका उद्देश्य यही रहता है कि बीमारियों से पशुओं और इंसानों को बचाया जा सके. यहां के लोग मानते हैं कि इसी कारण यह गांव आज भी खुशहाली का प्रतीक है. यह गांव इतना समृद्ध है कि यहां एक भी ऐसा घर नही है जिसके परिवार से एक भी सदस्य सरकारी नौकरी में न हो.
FIRST PUBLISHED : October 18, 2024, 10:52 IST