मंत्री-सांसदों ने न बड़ा प्रोजेक्ट दिलाया, न लंबित मुद्दों को सुलझाने की राह निकाली Rajasthan News-Jaipur News-Center Vs Rajasthan-Minister-MP could not get any big project

जयपुर. राजस्थान ने केंद्र की बीजेपी सरकार (BJP government) को मजबूत करने के लिए दोनों कार्यकाल में झोली भर-भरकर सांसद दिए हैं. इसके बदले में नौ सांसद (Member of parliament) राजस्थान कोटे से मंत्री तो बने हैं, लेकिन सात साल में न तो कोई बड़ा प्रोजेक्ट मिला है और न ही प्रदेश के बड़े मुद्दे सुलझ पाए हैं. देशभर में चल रही सरकारी योजनाओं का लाभ प्रदेश को जरूर मिल पाया है.
केंद्र सरकार ने 30 मई को ही सात साल पूरे किए हैं. सात सालों की रिव्यू करें तो सांसद देने के अनुपात में प्रदेश को ज्यादा कुछ नहीं मिला है. इसके उलट यूपीए सरकार के कार्यकाल में मिले बड़े प्रोजेक्ट्स पर भी सरकार मौन साधे है. इनमें एक भीलवाड़ा में मेमू कोच फैक्ट्री थी. 2013 में शिलान्यास के बाद यहां कोई काम नहीं हो पाया. इसी प्रकार डूंगरपुर-रतलाम रेल प्रोजेक्ट भी ठंडे बस्ते में है.
प्रदेश हित के बड़े मुद्दे बरसों से अनसुलझे ही रहे
प्रदेश के कई बड़े मुद्दे अनसुलझे हैं. इनमें बरसों से लंबित अंतर्राज्यीय जल विवाद भी है जो राजस्थान के अलावा चार राज्यों पंजाब, हरियाणा, गुजरात और मध्यप्रदेश के बीच है. राज्य सरकार पानी के लिए विशेष पैकेज देने की मांग वर्षों से कर रही है. वह अब तक अधूरी है. जिन बड़े इश्यू पर काम नहीं हो पाया उनमें ईस्टर्न राजस्थान कैनाल प्रोजेक्ट भी है. अब तक सांसद इसे राष्ट्रीय महत्व की परियोजना घोषित कराने में असफल रहे हैं. लोकसभा चुनाव में इसे राष्ट्रीय परियोजना घोषित करने का वादा किया गया था. प्रदेश में वसुंधरा राजे जब मुख्यमंत्री थी तब उन्होंने तेरह राज्यों का यह प्रोजेक्ट बनाकर केंद्र को भेजा था.जयपुर-दिल्ली सिक्स लाइन हाईवे 12 साल से अधूरा
जयपुर से दिल्ली के बीच बन रहा सिक्स लेन का हाईवे भी ऐसे विवाद में फंसा है कि केंद्र सरकार यह काम एक दशक बाद भी पूरा नहीं करवा पाई. हालांकि इनके लिए बीजेपी के साथ-साथ यूपीए कार्यकाल में रहे कांग्रेस के सांसद भी दोषी हैं. इसी तरह कोटा एयरपोर्ट को मंजूरी तो मिल गई, लेकिन जमीनी स्तर पर यहां काम शुरू होना बाकी है.
कांग्रेसियों का काम आंख मूंदकर केंद्र की आलोचना करना: पूनिया
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गोविंद डोटासरा आरोप लगाते हैं कि राजस्थान के सांसद प्रदेश का कोई भला नहीं कर रहे हैं. कोई बड़ा प्रोजेक्ट राजस्थान के लिए नहीं आया है. दूसरी ओर प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया का कहना है कि कांग्रेसी सिर्फ केंद्र सरकार की आंख मूंदकर आलोचना करने में लगे हैं. वे जनहित में कोई भी कदम नहीं उठा रहे हैं.
दोनों कार्यकाल में राजस्थान के 9 सांसदों को बनाया मंत्री
मोदी के पहले कार्यकाल के पांच साल में प्रदेश से आठ सांसदों को मंत्रिमंडल में जगह मिली. दूसरे कार्यकाल में राजस्थान से तीन मंत्री बने हैं. जोधपुर से गजेंद्र सिंह शेखावत और बीकानेर से अर्जुन राम मेघवाल ही ऐसे सांसद हैं जिन्हें दोनों कार्यकाल में मंत्री बनाया गया है. उन्होंने पहली बार सांसद बने नेताओं पर भी भरोसा जताया है. पहले कार्यकाल में राज्यवर्धन सिंह राठौड़, पीपी चौधरी, सीआर चौधरी और गजेंद्र सिंह शेखावत पहली बार सांसद जीतकर मंत्री बने थे. इसी प्रकार दूसरे कार्यकाल में कैलाश चौधरी पहली बार सांसद बने और उन्हें भी मंत्री बनाया. शेष दोनों सांसद पहले कार्यकाल में भी मंत्री थे.
सात साल में राजस्थान पर सौगातों की रिमझिम
– प्रदेश में मेडिकल कॉलेज पांच से बढ़कर तीस हुये.
– जयपुर, कोटा, अजमेर, उदयपुर को स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट.
– पीएम किसान सम्मान निधि में 7367 करोड़ रुपये 66 लाख किसानों को मिले.
– 15 हजार करोड़ रुपये 67245 किमी सड़क विस्तार पर खर्च, स्वर्णिम चतुर्भुज भारतमाला प्रोजेक्ट.
– प्रधानमंत्री आवास योजना में राज्य में नौ लाख आवास बने.
– 63 लाख को उज्ज्वला योजना में रसोई गैस कनेक्शन और सिलेंडर मिले
पहले ही कार्यकाल में मंत्री बने सांसद
राज्यवर्धन सिंह – जयपुर ग्रामीण
निहालचंद – श्रीगंगानगर
गजेंद्र सिंह शेखावत – जोधपुर
पी.पी. चौधरी – पाली
अर्जुनराम मेघवाल – बीकानेर
सीआर चौधरी – नागौर
राज्ससभा
के.जी. अल्फांस
विजय गोयल
दूसरे कार्यकाल में तीन मंत्री और लोकसभा अध्यक्ष भी
ओम बिड़ला – लोकसभा अध्यक्ष
गजेंद्र सिंह शेखावत – जोधपुर
अर्जुन राम मेघवाल – बीकानेर
बाड़मेर – कैलाश चौधरी