Rajasthan Politics : सचिन पायलट और अशोक गहलोत के चक्कर में अटकी विधायकी
राजस्थान विधानसभा के आधे से ज्यादा सदस्यों की सदस्यता पर तलवार लटकी हुई है। जानकारों के अनुसार विधानसभा के इतिहास में संभवतया ऐसी स्थिति पहली बार सामने आई है। विधानसभा के करीब 110 सदस्यों की सदस्यता पर विधानसभा अध्यक्ष को निर्णय करना है। इन सदस्यों की सदस्यता अलग-अलग कारणों से विवाद में है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत समर्थक विधायकों ने 25 सितम्बर को कांग्रेस आलाकमान की ओर से बुलाई विधायक दल की बैठक से अलग बैठक कर विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी को इस्तीफे सौंपे थे।
सरकारी मुख्य सचेतक महेश जोशी ने 92 विधायकों के इस्तीफे विधानसभा अध्यक्ष को सौंपने का दावा किया था। इसके अलावा 19 विधायकों की सदस्यता का मामला विधानसभा अध्यक्ष सी.पी. जोशी के पास पहले ही वर्ष 2020 से लंबित है। बहुजन समाज पार्टी(बसपा) से कांग्रेस में शामिल हुए 6 विधायकों की सदस्यता का मामला भी 2020 से विधानसभा अध्यक्ष के पास विचाराधीन है।
इन पर होना है निर्णय
पिछले दिनों जिन 92 विधायकों ने विधानसभा अध्यक्ष के निवास पर जाकर इस्तीफा सौंपा उनका भविष्य क्या होगा इसके बारे में विधानसभा अध्यक्ष ने अब तक प्रक्रिया तक शुरू नहीं की है। हालांकि विधानसभा नियमों के अनुसार इस्तीफा मंजूर होने तक विधायक कभी अपना निर्णय बदलने को स्वतंत्र हैं। वर्ष 2020 में कांग्रेस में अंदरुनी कलह होने पर सरकारी मुख्य सचेतक महेश जोशी ने 19 विधायकों की सदस्यता को विधानसभा अध्यक्ष के सामने चुनौती दी, जिस पर विधानसभा अध्यक्ष ने नोटिस जारी किए थे। पी.आर. मीणा सहित अन्य 18 विधायकों ने नोटिस को हाईकोर्ट में चुनौती दी। यह मामला बाद में सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया। इसी तरह बसपा से कांग्रेस में आए 6 विधायकों की सदस्यता का मामला भी विधानसभा अध्यक्ष व हाईकोर्ट तक पहुंचा, जो बाद में सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया। विधायकों की सदस्यता से संबंधित दोनों ही मामले अभी लंबित है।
ऐसा पहली बार
संभवतया पहले ऐसा कभी नहीं हुआ कि विधानसभा के आधे से ज्यादा सदस्यों की सदस्यता पर विवाद लंबित हो। 92 विधायकों के इस्तीफे हालांकि यह पार्टी का अंदरुनी मामला है, लेकिन विधायकों इस्तीफा मंजूर होने से पहले उसे वापस लेने का अधिकार है।
-प्रदीप कुमार शास्त्री, पूर्व सचिव, राजस्थान विधानसभा
मोहनलाल सुखाड़िया के समय भी 17 विधायकों ने इस्तीफा देने की बात कही थी, लेकिन इस्तीफा दिया नहीं था।
-सीताराम झालानी, वरिष्ठ पत्रकार