India Pakistan Conflict History | Jammu And Kashmir Dispute In UN 1948 | Jawahar Lal Nehru Blunder On Kashmir | भारत पाकिस्तान तनाव: नेहरू की गलती को पाकिस्तान ने फिर बनाया हथियार, पर भूल गया POK खाली करने का वादा

नई दिल्ली: ‘पाकिस्तान एक ऐसा देश है जिसने जन्म से ही झूठ बोलना शुरू कर दिया था’. विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने गुरुवार को स्पेशल ब्रीफिंग में यही कहा था. झूठ बोलकर बरगलाना पाकिस्तान की फितरत है, यह शुक्रवार को फिर साबित हो गया. पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने अपनी वीकली प्रेस ब्रीफिंग में कहा, ‘हम याद दिलाना चाहते हैं कि यह भारत था जो 1948 में जम्मू और कश्मीर विवाद को संयुक्त राष्ट्र तक लेकर गया था. आज वह संयुक्त राष्ट्र, पाकिस्तान और कश्मीरी लोगों से किए गए वादों से मुकर कैसे सकता है?’ यह जिक्र था देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की उस ऐतिहासिक भूल का, जो आज तक भारत को चुभती है. पाकिस्तान एक बार फिर उसी गलती को हथियार बनाकर भारत पर सवाल उठा रहा है.
पाकिस्तान ने यह बकवास ऐसे वक्त की है जब उसकी सेना की हिमाकतें कश्मीर से कच्छ तक उजागर हो चुकी हैं. ड्रोन से लेकर मिसाइल तक भेजने की नाकाम कोशिश कर चुका पाकिस्तान अब अपने गुनाहों को ढकने के लिए वही पुराना 1948 का चोगा ओढ़कर खुद को मासूम साबित करना चाहता है. अगर पाकिस्तान 1948 के यूएन रेजोल्यूशन का इतना ही कायल है, तो सबसे पहले POK खाली क्यों नहीं करता?
भारत का रुख साफ, यह आंतरिक मामला
भारत आज साफ शब्दों में कहता है कि पूरा जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा है, जिसमें POK और अक्साई चिन भी शामिल हैं. कश्मीर विवाद कोई अंतरराष्ट्रीय मुद्दा नहीं, बल्कि पूरी तरह भारत का आंतरिक मामला है.
तीसरे पक्ष की कोई जरूरत नहीं, क्योंकि 1972 के शिमला समझौते में तय हो चुका है कि भारत और पाकिस्तान आपस में ही बात करेंगे. शिमला समझौते में साफ लिखा है कि कोई भी विवाद आपसी बातचीत से सुलझाया जाएगा. यानी संयुक्त राष्ट्र, OIC या किसी भी विदेशी मंच की कोई भूमिका नहीं है.
पाकिस्तान, यूएन और 1948 का झूठा राग
संयुक्त राष्ट्र ने 1948 में जो प्रस्ताव पास किया था, उसकी पहली और सबसे महत्वपूर्ण शर्त थी कि पाकिस्तान को कश्मीर से अपनी पूरी फौज हटानी होगी. यानी पाकिस्तान को खुद ही पीछे हटना था, तभी भारत पर आंशिक सैन्य वापसी की बात होती और फिर जनमत संग्रह (plebiscite) का विकल्प खुलता.
जनवरी 1948 में, सुरक्षा परिषद ने संकल्प 39 (1948) को अपनाया, विवाद की जांच और मध्यस्थता के लिए भारत और पाकिस्तान के लिए संयुक्त राष्ट्र आयोग (UNCIP) की स्थापना की.
लेकिन पाकिस्तान ने कभी अपनी सेना नहीं हटाई. उल्टा उसने POK में आतंकी ट्रेनिंग कैंप खोले, चीन को गिलगित-बाल्टिस्तान सौंप दिया और वहां के स्थानीय लोगों को दोयम दर्जे का नागरिक बना दिया. आज तक POK पाकिस्तान के कब्जे में है और वही कब्जा 1948 के प्रस्ताव का सबसे बड़ा उल्लंघन है.
MEA Press Conference: Pakistan Targeted Military Bases, Sofia Qureshi और Vyomika Singh ने खोली पोल | Operation Sindoor News #IndiaPakistanWar #OperationSindhoor2 pic.twitter.com/STVDfv2Ne4
— India (@India) May 9, 2025